बेचारे फौजी अभी भी सोचते हैं कोई उनकी सुनेगा,
कोई तो हो जिसे उनके लिए हो इज़्ज़त और प्यार;
कोई तो होगा जो उनका भी दम भरेगा,
यहां तो, दोस्तों, एक अनार और सौ बीमार I
“मानते हैं देश की रक्षा की जान पे खेल के,
अब इस के लिए क्या दें हम लोग इन्हें इनाम?
मानते हैं फ़र्ज़ निभाया हर वक़्त दुःख झेल के,
सारी खुशियां और आराम हो गए हराम I”
“पर हम क्या करें हम नेताओं की है मजबूरी,
बहुत सारे लोग हैं इज़ाफ़ों के हक़दार;
सबसे पहले industrialists को देना है ज़रूरी,
Elections में भारी चंदा देके हम पे किया उद्धार I”
“फिर बढे छोटे contractors की आती है बारी,
जो हर प्रोजेक्ट में हमें देते रहे हैं हिस्सा हमारा;
उन्हीं के कन्धों पे तो चलती है पार्टी हमारी,
Elections में तो उनका बहुत ही है सहारा I”
“पुलिस और बाबुओं को तो देना ही पड़ता है,
हर बार तो elections जीती नहीं जाए;
उनको देने से हमारा यह हौंसला बड़ता है,
ना रहे हम पावर में फिर भी हमें न कोई सताये I”
“फिर बची है देश की आम जनता,
डाक्टर, इंजीनियर, दुकानदार और किसान;
इनको तो आपको पता है देना ही है बनता,
ताके elections के बाद वापिस लेने का हो सामान I”
“अब आप ही बताओ फौजी को क्या दे सकते हैं?
इनके लिए हमारा हरदम है झुक के सलाम;
हम हर स्पीच में इनकी इज़्ज़त में कुछ कहते हैं,
हज़ारों लिखे हैं इनके लिए हमने कलाम I”
“हमने इनको agitation पे मजबूर कर दिया,
पुलिस से भी करवाया इन पे attack;
आम जनता के दिलों से हमने इन्हें दूर कर दिया,
Naval Chief को भी हमीं ने किया था sack”.
बेचारे फौजी अभी भी लगाए बैठे हैं आस,
देश में कोई तो होगा उनका आभारी;
अभी भी उनको हुआ नहीं है विश्वास,
बाहरी battles उन्होंने जीती पर अंदरूनी हैं हारी I
मुझे मेरी गुम शुदा ज़िन्दगी की तलाश है,
वो जो कोने में पड़ी है, क्या उसी की लाश है?
सोचा था वक़त आने पे सब कुछ कर पाएंगे,
फिर ही हम इस दुनिया से हंसते हुए जाएंगे;
वक़त गुज़रता गया और एहसास तक न हुआ,
ज़िन्दगी के वो हसीन लम्हे फिर कभी न आएंगे।
मुझे मेरी गुम शुदा ज़िन्दगी की तलाश है,
आखिर में चले जाने पे अब उसका एहसास है।
सहर जब थी जवां तो कभी न सोचा शाम का,
काम में यूँ मसरूफ के कभी न सोचा आराम का;
कई सरगर्मियों का इतना दिलकश था आगाज़,
के सोते जागते उन दिनों कभी न सोचा अंजाम का।
मुझे मेरी गुम शुदा ज़िन्दगी की तलाश है,
मेरे आगोश से निकल गयी, नहीं अब मेरे पास है।
काश अब जो मेरा इल्म है वो तब मुझे मिला होता,
काश मैं अपनी बेखबरी में ज़िन्दगी से हाथ न धोता;
काश ज़िन्दगी के प्यार को समझ लेता मैं तब,
आखिर में उस के चले जाने पे इस तरह न रोता।
मुझे मेरी गुम शुदा ज़िन्दगी की तलाश है,
उनके यहां ही रहती है, जिनको यह रास है।
ज़िन्दगी और वजूद दोनों अलग चीज़े हैं यारो,
कुछ इस तरह से ज़िन्दगी के संग वक़त गुज़ारो,
ज़िन्दगी बन के रहे आपकी अपनी महबूबा,
बुढापे में भी अपनी माशूका को न हारो।
नहीं तो…
मुझे मेरी गुम शुदा ज़िन्दगी की तलाश है,
वो जो कोने में पड़ी है, क्या उसी की लाश है?
हर मुद्दा बन जाता है हमारा political,
इस लिए कभी नहीं होता उसका हल;
“BJP इतनी गलत नहीं जितनी Congress थी”,
यही बाद – विवाद रहता है आजकल।
एक ग्रामीण ने शिकायत की के गांव में पानी नहीं आता,
नेता बोले, “Congress के ज़माने में कौन था लाता?”
ग्रामीण बोला, “उस समय यह गांव ही नहीं था,
यह इल्ज़ाम मैं क्यूं कर किसी पे लगाता?”
यह सुनते ही मंत्री जी की खुशी की हद्द हुई पार,
और कहा, “देखा, मेरी government आई इस बार,
हमने आते ही नए गांव खुला दिए लोगो के लिए,
जो कभी न कर पाई Congress की सरकार”।
ग्रामीण बोला, “पानी के बारे क्या करें हुज़ूर?
क्या पैदा होना था हमारा सबसे बड़ा कसूर?”
मंत्री बोले, “अगले चुनाव में हमें फिर से वोट देना,
पानी क्या बिजली भी लगा देंगे ज़रूर”।
“लेकिन पानी तो हमें अभी चाहिए”, ग्रामीण बोला,
मंत्री बोले, “तू कुछ ज़्यादः ही है भोला,
देखा नहीं अमरीकी President मेरे खास दोस्त हैं,
उनसे तेरे लिए मंगवा दूंगा मैं Coca Cola”।
गांव वालों की थी बहुत ही बुरी हालत,
और फज़ूल गयी बूढ़े ग्रामीण की शिकायत,
वो बोला, “अगर यही राजनीति है हमारे देश की,
तो इस आपसी लड़ाई पे है सरासर लानत”।
“लोग मर रहें हैं और इनको सिर्फ वोट का है ख्याल,
कौन करेगा इस देश की देख भाल?
इनकी तू तू मैं मैं सुन सुन कर,
देश वासियों का है बहुत ही बुरा हाल”।
Har mudda ban jaata hai hamaara political,
Is liye kabhi nahin hota uska hal:
“BJP itni galat nahin jitni Congress thi”,
Yehi baad-vivaad rehta hai aajkal.
Ek grameen ne shikayat ki ke gaanv mein pani nahin aata,
Neta bole, “Congress ke zamaane mein kaun tha laata?”
Grameen bola, “Us samay yeh gaanv hi nahin tha,
Yeh ilzaam main kyun kar kisi pe lagaata?”
Yeh sunate hi mantri ji ki khushi ki hadd hui paar,
Aur kaha, “Dekha, meri government aayi is baar,
Hamane aate hi naye gaanv khulwa diye logon ke liye,
Jo kabhi na kar paayi Congress ki sarkaar”.
Grameen bola, “Paani ke bare kya karen huzoor?
Kyaa paida hona tha hamaara sabse badha kasoor?”
Mantri bole, “Agle chunaav mein hamen phir se vote dena,
Paani kyaa bijli bhi laga denge zaroor”.
“Lekin paani to hamen abhi chahiye”, grameen bola,
Mantri bole, “Tu kuchh zyaadah hi hai bhola,
Dekha nahin Amreeki President mere khaas dost hain,
Unse tere liye main mangwa doonga Coca Cola”.
Gaanv waalon ki thi bahut hi buri haalat,
Aur fazool gayi budhe grameen ki shikayat,
Woh bola, “Agar yahi rajneeti hai hamare desh ki,
To is aapsi jhagade pe hai sarasar laanat”.
“Log mar rahen hain aur inko sirf vote ka hai khayaal,
Kaun karega is desh ki dekh bhaal?
Inki tu tu main main sun sun kar,
Desh waasiyon ka hai bahut hi bura haal”.
चोरी चोरी वो मेरा दिल ले गए,
जाते जाते मुझे ही यह बिल दे गए:
दिल आपका हमारे पास गिरवी है,
यह ना कहना कोई क़ातिल ले गए।
हम रखेंगे इसे खूब हिफाज़त से,
हो सकता है बगैर आपकी इज़ाज़त से;
यहां रखने में आपकी ही भलाई है,
हम नहीं कर रहे कुछ शरारत से।
हमने सोचा एक तो चोर उस पर सीना जोरी,
यह कुछ अजब सी लग रही है story,
हमारी चीज़ चुराने का ढंग भी निराला है,
मुझे ही बिल दे रही है चालाक छोरी।
हमें भी कुछ करना है यह हमने ली ठान,
और इस से पहले उसे कुछ होता ज्ञान,
हम उसका दिल ले के भाग खड़े हुए,
और जंग का हमने कर दिया ऐलान:
“दिल लेना है तो दिल दे जाओ,
हमारी चीज़ हमसे ही न चुराओ,
मंज़ूर है तो एक्सचेंज के लिए मिलो हमें,
नहीं मंज़ूर तो दरोगा को बुलाओ”।
तब कहीं जा के वापिस मिली अपनी चीज़,
और दोनों तरफ से जंग हो गयी cease,
अब दोनों दिल owners के अपने पास हैं,
ना के एक दूसरे को दे रखें हैं lease.
कहीं मैं अपना दिल उनके पास दे देता छोड़,
कहानी में आ जाता नया ही मोड़,
अच्छा भला मैं बेचारा रगड़ा जाता,
निम्बू समझ कर वो कर देती निचोड़।
Chori chori wo mera dil le gaye,
Jaate jaate mujhe hi yeh bill de gaye:
Dil aapka hamare paas girvi hai,
Yeh na kehna ke kaatil le gaye.
Hum rakhenge ise khoob hifaazat se,
Ho sakta hai bagair aapki ijaazat se;
Yahan rakhne mein hi aapki bhalaayi hai,
Ham nahin kar rahe kuchh sharaarat se.
Hamne socha ek to chor us par seena jori,
Yeh kuchh ajab si lag rahi hai story,
Hamaari cheez churaane ka dhang bhi niraala hai,
Mujhe hi bill de rahi hai chalaak chhori.
Hamen bhi kuchh karna hai yeh hamne li thhaan,
Aur is se pehle use kuchh hota gyaan,
Ham uska dil le ke bhaag khade huye,
Aur jang ka hamne kar diya ailaan:
“Dil lena hai to dil de jaao,
Hamaari cheez hamse hi naa churaao,
Manzoor hai to exchange ke liye milo hamen,
Nahin manzoor to daroga ko bulaao”.
Tab kahin jaa ke waapis mili apni cheez,
Aur donon taraf se jang ho gayi cease,
Ab donon dil owners ke apne paas hain,
Naa ke ek doosre ko de rakhe hain lease.
Kahin main apna dil unke paas de deta chhodh,
Kahaani mein aa jaata naya hi modh,
Achha bhala main bechara ragdha jaata,
Nimbu samajh kar wo kar deti nichodh.
These poems are for my close friend Maj Vishwas Mandloi’s delightful group of tipplers called i-peg. One has to raise a toast to the committed lot for their single-minded aim of spreading cheers!
दुनिया में कोई अपना है तो वो है शराब,
बाकियों ने तो मिल के ज़िन्दगी की है खराब;
एक एक के किस्से सुनाता हूँ मैं आज सब को,
सब के चेहरों से आज मैं उठाता हूँ नकाब।
पहले मेरी बीवी थी बहुत कमसिन और हसीन,
अब लगती है जैसे buffalo in tight jeans;
रवैय्या उसका अब ऐसे जैसे कोई सैय्याद हो,
हर एक बात पे create करती है scene.
बच्चे मेरे ऐसे जैसे अपने नहीं पराये हों,
जैसे ससुराल से श्रीमति जी ने दहेज में लाये हों;
लोगों को तो वो यूँ बताते फिरते हैं,
Daddy के ज़ुल्मों से बहुत तंग आये हों।
रिश्तेदारों के बारे आप को क्या सुनाएं,
ग़म के गीत बार बार क्यों हम गायें;
उन्हें ज़रूरत है तो आ जाते हैं खाली हाथ,
मेरी ज़रूरत में तो वो नज़र भी ना आयें।
दोस्त मेरे हैं एक से एक बड़ के,
आते हैं मेरे पास अपनी बीवियों से झगड़ के;
मेरी दारू, मेरा खाना खाने के बाद,
चले जाते हैं मूँह बनाये मुझसे ही लड़ के।
इस हालात में मेरे पास एक ही है सहारा,
बाकियों से तो हम कर बैठे हैं किनारा,
सारे ग़म, सारे गिले शिकवे हो जाते हैं दूर,
एक जाम को जब गले से नीचे उतारा।
इसलिए शराब बनी है सबसे बड़ी मीत,
ज़िन्दगी से हार के यही है मेरी जीत,
इसी से शामें जो पहले कभी कटती नहीं थीं,
अब तो पल भर में खुशी से जाती हैं बीत।
Duniya mein koi apna hai to wo hai sharaab,
Baakiyon ne to mil ke zindagi ki hai kharaab;
Ek ek ke kisse sunaata hoon main aaj sab ko,
Sab ke chehron se aaj main uthhata hoon naqaab.
Pehle meri biwi thi bahut kamsin aur haseen,
Ab lagta hai jaise buffalo in tight jeans;
Ravaiyya ab uska ab aise jaise koi saiyyad ho,
Har ek baat pe create karti hai scene.
Bachche mere aise jaise apne nahin praaye hon,
Jaise suasural se shrimati ji ne dahej se laaye hon;
Logon ko to wo youn batate phirte hain,
Daddy ke zulmon se bahut tang aaye hon.
Rishtedaaron ke baare mein aap ko kya sunaayen,
Gham ke geet baar baar kyun ham gaayen;
Unhen zaroorat hai to aa jaate hain khaali hath,
Meri zaroorat mein to wo nazar bhi na aayen.
Dost mere hain ek se ek badh ke,
Aate hain mere paas apni biwiyon se jhagadh ke;
Meri daaru pi ke, mera khaana khane ke baad,
Chale jaate hain moonh banaye mujhse hi ladh ke.
Is halaat mein mere paas ek hi hai sahaara,
Baakiyon se to ham kar baithe hain kinaara,
Saare gham, saare gile shikwe ho jaate hain door,
Ek jaam ko jab gale se neeche utaara.
Isliye shraab bani hai sabse badhi meet,
Zindagi se haar ke yahi hai meri jeet,
Isi se shaamen jo pehli kabhi katati nahin thin,
Ab to pal bhar mein khushi se jaati hain beet.
माखन लाल माखन के थे बहुत शौक़ीन,
रोज़ पांच किलो से कम खाने में समझते थे तौहीन;
बीवी और दोस्तों ने बहुत समझाया बस करो,
लेकिन लगता था भैंस के सामने बजा रहे हों बीन I
सरकारी दफ्तर में बाबू बनने का जब से हुआ सिलेक्शन,
तब से माखन के साथ उनका जुड़ गया कनेक्शन;
हर एक काम करने के लिए माखन हो गया ज़रूरी,
माखन है तो फाइल पास वरना हो गया रिजेक्शन I
लोगों को भी पता माखन से मिलते हैं सारे परमिट,
वरना लम्बे अरसे की हो सकती है खिटपिट;
वह सब भी शामिल हैं माखन लाल की हॉबी में,
खाने खिलाने की रीत से ही है सिस्टम अनफिट I
कब तक चलेगी यह सालों से चली आ रही रीत?
आज़ादी मिले भी ७१ साल गए हैं बीत;
कोई एक नहीं है जो यह साबित कर दिखाए,
माखन लाल की नहीं पर लोगों की हो जीत?
हम सब हिस्सेदार हैं माखन लाल के गुनाह में,
झट से उन्हें लाया जा सकता है सीधी राह में:
लेकिन हम सब भी माखन के संग शामिल हैं,
जुर्म पल रहा है हम सबकी पनाह में I
Maakhna Lal maakhan ke the bahut shaukeen,
Roz paanch kilo se kam khaane mein samajhte the tauheen;
Biwi aur doston ne bahut samjhaya bas karo,
Lekin lagta tha bhains ke aage baja rahe hon been.
Sarkaari daftar mein babu banane ka jab se hua selection,
Tab se maakhan ke saath unka judh gaya connection;
Har ek kaam karne ke liye maakhan ho gaya zaroori,
Maakhan hai to file pass varna ho gaya rejection.
Logon ko bhi pata maakhan se milte hain saare permit,
Varna lambe arse ki ho sakti hai khitpit;
Woh sab bhi shaamil hain Maakhan Lal ki hobby mein,
Khaane khilane ki reet se hi hai system unfit.
Kab tak chalegi yeh saalon se chali aa rahi reet?
Aazadi mile bhi 71 saal gaye hain beet;
Koi ek nahin hai jo yeh saabit kar dikhaaye,
Maakhan Lal ki nahin par logon ki hogi jeet?
Ham sab hissedaar hain Maakhan Lal ke gunaah mein,
Jhhat se unhen laaya jaa sakta hai raah mein;
Lekin ham sab bhi maakhan ke sang shaamil hain,
Zurm pal raha hai ham sanki panaah mein.
एक वक्त था scam की होती थी सनसनीखेज खबर,
अब इसके बारे में सुन के कुछ होता नहीं असर,
आजकल लोग पूछते हैं: क्या scam है आज का?
जैसे कह रहे हों: आज का scam, आपकी नज़र।
दस लाख का scam समझा जाता था बहुत भारी,
अब तो करोड़ों का भी नींद नहीं चुराता हमारी,
ऐसा ही चलता रहा तो मुझे तो यूँ लगता है:
कहीं एक ऐसा ऐलान न हो जाय जारी:
“Scam ना करने वाले को हो सकती है सज़ा,
और आपने भी ज़िन्दगी का गर लेना हो मज़ा,
बैंक से करोड़ों के पैसे चुरा लीजिये हज़ूर,
ऊपर से नीचे तक सबकी है टोटल रज़ा”!
“देर किस बात की है, वक़्त न करो बर्बाद,
भरा हुआ यह जाम, आप भी ले लो स्वाद,
बैंक स्टाफ एक दूसरे को ही गर नहीं जानते,
आपकी KYC डिटेल्स किसको हैं याद?”
हमारे देश का है यह बहुत अहम असूल,
जो कानून मानते हैं उन्ही पे और लगते हैं रूल,
जो देते हैं tax उन्हें और दबाया जाता है,
जिनकी income ब्लैक है उनसे कौड़ी भी नहीं वसूल।
इसलिए जनाब अच्छे बने रहने में न है कोई अच्छाई,
तिजोरियां भरने में बिल्कुल नहीं है बुराई,
Right to Scam का बिल पास होने ही वाला है,
बहती गंगा में हाथ धोने में ही है हम सबकी भलाई।
Ek waqt tha scam ki hoti thi sansanikhej khabar,
Ab iske baare mein sun ke kuchh hota nahin asar,
Aajkal log poochhte hain: kya scam hai aaj ka?
Jaise keh rahe hon: Aaj ka scam, aapki nazar.
Dus laakh ka scam samjha jaata tha bahut bhaari,
Ab to karodhon ka bhi neend nahin churaata hamaari,
Aisa hi chalta raha to mujhe to youn lagta hai,
Kahin ek aisa ailaan na ho jaaye zaari:
“Scam na karne waale ko ho sakti hai saza,
Aur aapne bhi zindagi ka gar lena ho maza,
Bank se karodhon ke paise chura leejiye huzoor,
Ooper se neeche taq sabki hai total raza”!
“Der kis baat ki hai, waqt na kari barbaad,
Bhara hua yeh jaam, aap bhi le lo swaad,
Bank staff ek doosre ko hi gar nahin jaante,
Aapki KYC details kisko hain yaad?”
Hamaare desh ka hai yeh bahut aham asool,
Jo kanoon maante hain unhi pe aur lagte hain rule,
Jo dete hain tax unhe aur dabaaya jaata hai,
Jinaki income black hai unse kaudhi bhi nahin vasool.
Isliye janaab achhe bane rehne mein na hai koi achhayi,
Tijoriyan bharne mein bilkul nahin hai buraayi,
Right to Scam ka bill paas hone hi waala hai,
Behti Ganga mein haath dhone mein hi hai sabki bhalaayi.
I have this Facebook group called ‘Main Shayar To Nahin‘. Unlike many other groups on Shair-o-Shayari with members running into tens of thousands, I am very cautious about adding members. Following is the description:
“A group for Nazams, Ghazals and Shayari (but not songs). You can either upload your own or of a poet/writer. This is indeed a group for earnest fans of good and serious poetry. YOU SHOULDN’T BE JOINING IT IF YOU ARE ONLY INTO FRIVOLOUS, COPY-PASTE, FAST-FOOD EQUIVALENT IN SHAIR – O – SHAYARI.
Please avoid:
1. Greetings except in poetry. 2. Religious posts including pictures of gods and goddesses. 3. Pornographic, obscene or vulgar stuff. 4. Irrelevant stuff such as sharing phone numbers and ‘Hi, anyone from Pahargang?'”
अब तो आ जाओ के रात चुकी है ढल,
सुबह होने को थोड़े ही बचे हैं पल,
आज रात का वादा था तुम्हारा,
अब तो आ जाओ के शुरू हो गयी है कल।
Sher of the Day #23
दिल में छुपी है तेरे प्यार की परछाई,
कई अरमान लेते हैं अंगड़ाई,
वक़्त यूँ है जैसे थम ही गया हो,
कब सहर हुई, कब रात आयी।
Sher of the Day #24
कुछ ना कुछ ज़िन्दगी में रह ही जाता है,
लोग कहें ना कहें, ज़मीर कह ही जाता है,
हालांकि वक़्त एक दरिया की तरह है,
इसके बहाव में अच्छा बुरा बह ही जाता है।
Sher of the Day #25
बचपन के वो दिन मुझे आते हैं याद,
हर ग़म से, मायूसी से, रश्क़ से हम थे आज़ाद,
कभी सोचा न था, अक्लमंद बनने की तमन्ना मैं,
सबसे बड़ी अक्लमंदी हो जाएगी बर्बाद।
Sher of the Day #26
गर दर्द और ग़म मोहब्बत के हैं अंजाम,
तो खुशी ढूंढने कहाँ जायें प्यार में,
सारी जिंदगी उनकी एक नज़र के नाम,
कुछ तो होगा उनके इक़रार में।
चलिए नहीं करते हम मोहब्बत को बदनाम,
हमें ही इत्मिनान है दिल-ए-बेक़रार में।
Sher of the Day #27
आपके प्यार ने क्या क्या बना दिया मुझे,
आपके दिल ने क्या क्या सुना दिया मुझे,
अब खामोश राहों पे खड़ा हैरान सोचता हूँ,
क्या हुआ जो तूने दफ़अतन भुला दिया मुझे।
Sher of the Day #28
तेरे तग़ाफ़ुल में हम मर ही जाएं पर सोचा,
फिर भी तुझे खबर न हुई तो कहां जाएंगे?
तुझे एहसास न हो हम कहाँ और कैसे मरे,
आंसू भी क्या हम खुद ही बहायेंगे?
एक बार सिर्फ एक बार कह दो मेरी जान:
“चले जाने पे आप बहुत याद आयेंगे।”
फिर देखना कितने इत्मिनान से,
हमारे सांस सीने से निकल जाएंगे।
I have this Facebook group called ‘Main Shayar To Nahin‘. Unlike many other groups on Shair-o-Shayari with members running into tens of thousands, I am very cautious about adding members. Following is the description:
“A group for Nazams, Ghazals and Shayari (but not songs). You can either upload your own or of a poet/writer. This is indeed a group for earnest fans of good and serious poetry. YOU SHOULDN’T BE JOINING IT IF YOU ARE ONLY INTO FRIVOLOUS, COPY-PASTE, FAST-FOOD EQUIVALENT IN SHAIR – O – SHAYARI.
Please avoid:
1. Greetings except in poetry. 2. Religious posts including pictures of gods and goddesses. 3. Pornographic, obscene or vulgar stuff. 4. Irrelevant stuff such as sharing phone numbers and ‘Hi, anyone from Pahargang?'”
On the 19 Jan 18, I started with a regular ‘Sher Of The Day’ penned by me. I shall be doing a weekly compilation of those too on this blog. Three days later, on 22 Jan 18, I started with another series ‘Hasya Panktiyan of the Day’. I am doing a weekly compilation of those that are not long enough to stand as separate posts. This is again by itself, being long enough:
ODE TO COPY-PASTERS ON FACEBOOK
Facebook पे original की नहीं कॉपी पेस्ट की है fame,
कई महारथियों ने इसमें बनाया है name,
और अगर आपकी पोस्ट अपनी बनाई हुई है,
Well, you have only yourself to blame.
सभी बने हैं मुसन्निफ़ और शायर,
सभी इस art में हो गए हैं माहिर,
किसी के लिए किसी और के पढ़ने का वक़्त कहाँ है?
सभी sellers हैं कोई नहीं है buyer.
इस माहौल में, एक चीज़ मैने की है taste,
“Like हम तब करते हैं, when there is haste”
और, कभी कभार आप comment भी तो करते हो?
“वो हम तब करते है, when there is time to waste.”
पर original आपको क्यों नहीं लगता सही?
“अरे भाई, ऐसी कोइ बात ही नहीं,
हम जानते हैं इसको, इसी के साथ बड़े हुए हैं,
यह हम जैसा लिख सकता है कहीं?”
लेकिन इसी के कॉपी पेस्ट पे सौ like और comment इतने सारे,
क्या कहना है आपको इसके बारे?
“Well, मैं तो सिर्फ इतना कहूंगा जिन्होंने कॉपी पेस्ट किया है,
वह बहुत ही अज़ीज़ हैं हमारे”!
Facebook pe original ki nahin copy paste ki hai fame,
Kayi maharathiyon ne ismein banaya hai name,
Aur agar aapki post apni banayi hui hai?
Well, you have only yourself to blame.
Sabhi bane hain musannif aur shayar,
Sabhi is art mein ho gaye hain mahir,
Kisi ke liye kisi aur ko padhne ka waqt kahan hai?
Sabhi sellers hain koi nahin hai buyer.
Is mahaul mein, ek cheez maine ki hai taste,
“Like ham tab karte hain, when there is haste”
Aur kabhi kabhaar aap comment bhi to karte ho?
“Wo ham tab karte hain, when there is time to waste.”
Par original aapko kyun nahin lagta sahi?
“Are bhai, aisi koi baat hi nahin,
Ham jaante hain isko, isi ke saath badhe huye hain,
Yeh ham jaisa likh sakta hai kahin?”
Lekin iske copy paste pe sau like aur comment itne saare,
Kyaa kehna hai aapko iske baare?
“Well, main to sirf kahunga jinhone copy paste kiya hai,
Woh bahut hi azaaz hain hamaare”!
I have this Facebook group called ‘Main Shayar To Nahin‘. Unlike many other groups on Shair-o-Shayari with members running into tens of thousands, I am very cautious about adding members. Following is the description:
“A group for Nazams, Ghazals and Shayari (but not songs). You can either upload your own or of a poet/writer. This is indeed a group for earnest fans of good and serious poetry. YOU SHOULDN’T BE JOINING IT IF YOU ARE ONLY INTO FRIVOLOUS, COPY-PASTE, FAST-FOOD EQUIVALENT IN SHAIR – O – SHAYARI.
Please avoid:
1. Greetings except in poetry. 2. Religious posts including pictures of gods and goddesses. 3. Pornographic, obscene or vulgar stuff. 4. Irrelevant stuff such as sharing phone numbers and ‘Hi, anyone from Pahargang?'”
On the 19 Jan 18, I started with a regular ‘Sher Of The Day’ penned by me. I shall be doing a weekly compilation of those too on this blog. Three days later, on 22 Jan 18, I started with another series ‘Hasya Panktiyan of the Day’. I am doing a weekly compilation of those that are not long enough to stand as separate posts. This is again by itself, being long enough:
HONHAAR BIRWAAN KE CHIKNE CHIKNE PAAT
पिछले दस सालों से मारी है हमने नक़ल,
तब कहीं जाके exam में हुए हैं सफल,
कड़ी मेहनत का काम था, दोस्तो,
और बहुत ही यूज़ करनी पड़ी थी अकल।
सबसे मुश्किल था अंग्रेजी का टेस्ट,
Essay की पर्ची ले के गए थे ‘My Friend Best’
लेकिन उस साल ‘Journey by Aeroplane आ गया,
सारी मेरी एफर्ट हो गयी वेस्ट।
और उस साल भी हम हो गए फेल,
पिता जी की पिटाई करनी पड़ी झेल,
लेकिन पता था कभी तो आयेगा नंबर,
अंग्रेज़ी में क्यों रहेंगे हम अनवेल?
और इस साल प्रभु ने खोल दी किस्मत,
हमारी पर्ची ने रख ली हमारी इज़्ज़त,
If I Were The Prime Minister की पर्ची ले के गए थे,
वही आया, मंज़ूर की प्रभु ने हमारी ख़िदमत।
अब हम भी matric पास हैं कहलाते,
पढ़े लिखों में हम भी हैं गिने जाते,
प्लीज, यस सर, गुड़ मारनिंग के इलावा,
कई वर्ड्स हमें अंग्रेज़ी के हैं आते।
देखना एक दिन हम बनेंगें HRD मिनिस्टर,
बड़ी कार और मकान होगा, हम कहलायेंगे मिस्टर,
हाऊ आर यू कह के विदेशियों को मिलेंगे,
हेलो जेंटलमैन, हेलो बरादर, और हेलो सिस्टर।
Pichhle das saalon se maari hai hamne nakal,
Tab kahin jaa ke exam mein huye hain safal,
Kadhi mehnat ka kaam tha, dosto,
Aur bahut hi use karni padhi thi akal.
Sabse mushkil tha angrezi ka test,
Essay ki parchi le gaye the: ‘My Friend Best’,
Lekin us saal ‘Journey by Aeroplane aa gaya,
Saari meri effort ho gayi waste.
Aur us saal bhi ham ho gaye fail,
Pita ji ki pitayi karni padhi jhel,
Lekin pata tha kabhi to aayega number,
Angrezi mein kyun rahenge ham unwell?
Aur is saal prabhu ne khol di kismat,
Hamari parchi ne rakh li hamari izzat,
If I Were The Prime Minister ki parchi le ke gaye the,
Wohi aaya, manzoor ki prabhu ne hamari khidmat.
An ham bhi matric paas hain kehlaate,
Padhe likhon mein ham bhi hain gine jaate,
Pleej, Yas Sar, Gud Maarning ke ilaawa,
Kayi words hamen angrezi ke hain aate.
Dekhna ek din ham banenge HRD Minister,
Badhi car aur makaan hoga, ham kehlaayenge mister,
How are you keh ke videshiyon ko milenge,
Hello gentleman, hello brather, aur hello sister.
I have this Facebook group called ‘Main Shayar To Nahin‘. Unlike many other groups on Shair-o-Shayari with members running into tens of thousands, I am very cautious about adding members. Following is the description:
“A group for Nazams, Ghazals and Shayari (but not songs). You can either upload your own or of a poet/writer. This is indeed a group for earnest fans of good and serious poetry. YOU SHOULDN’T BE JOINING IT IF YOU ARE ONLY INTO FRIVOLOUS, COPY-PASTE, FAST-FOOD EQUIVALENT IN SHAIR – O – SHAYARI.
Please avoid:
1. Greetings except in poetry. 2. Religious posts including pictures of gods and goddesses. 3. Pornographic, obscene or vulgar stuff. 4. Irrelevant stuff such as sharing phone numbers and ‘Hi, anyone from Pahargang?'”
On the 19 Jan 18, I started with a regular ‘Sher Of The Day’ penned by me. I shall be doing a weekly compilation of those too on this blog. Three days later, on 22 Jan 18, I started with another series ‘Hasya Panktiyan of the Day’. I am doing a weekly compilation of those that are not long enough to stand as separate posts. This is again by itself, being long enough:
PYAAR KI SHURUYAAT
आये वो हमारे पहलू देने को हमें गाली,
हमने तुरंत उनको यह याद दिला डाली:
गाली नहीं, मांगे थे हमने आपके गाल,
यह काली है, हमने मांगे थे लाल लाल।
सैंडल खोल के उन्होंने हाथ मे ले लिया,
हमने भी छाता बिन बरसात में ले लिया,
Self defence की ट्रेनिंग खूब आयी काम,
वरना तो उस दिन हमारी हो गयी थी राम राम।
धीरे धीरे उनको हम पे आ गया तरस,
खास करके जब बरसात होने लगी थी बरस,
एक छाते के नीचे हम झट से हो गए एक,
और आपसी झगड़े पे लगा दी हमने ब्रेक।
ऐसे हुई थी यारो हमारे प्यार की शुरुआत,
मुक्का-लात ही बनी थी हमारी पहली मुलाकात,
लेकिन इस अंदाज – ए – इश्क़ को आप ना आजमाना,
मुश्किल है यारो गर्मियों में बरसात का आना!
Aaye wo hamaare ghar dene ko hamen gaali,
Hamne turant unako ye yaad dila daali:
Gaali nahin, maange the hamne aapke gaal,
Yeh kaali hai, hamne maange the laal laal.
Sandal khol ke unhone haath mein le liya,
Hamne to chhata bin barsaat mein le liya,
Stelf defence ki training khoob aayi kaam,
Varna to us din hamaari ho gayi thi Ram, Ram.
Dheere dheere unako ham pe aa gaya taras,
Khaas karke jab barsaat hone lagi thi baras;
Ek chhate ke neeche ham jhat se ho gaye ek,
Aur aapsi jhagde pe laga di hamne break.
Aise hui thi yaaro hamaare pyaar ki shuruyaat,
Mukka-laat hi bani thi hamaari pehli mulaqaat;
Lekin is andaaz-e-ishq ko aap na aazmaana,
Mushkil hai yaaro garmiyon mein barsaat ka aana!
I have this Facebook group called ‘Main Shayar To Nahin‘. Unlike many other groups on Shair-o-Shayari with members running into tens of thousands, I am very cautious about adding members. Following is the description:
“A group for Nazams, Ghazals and Shayari (but not songs). You can either upload your own or of a poet/writer. This is indeed a group for earnest fans of good and serious poetry. YOU SHOULDN’T BE JOINING IT IF YOU ARE ONLY INTO FRIVOLOUS, COPY-PASTE, FAST-FOOD EQUIVALENT IN SHAIR – O – SHAYARI.
Please avoid:
1. Greetings except in poetry. 2. Religious posts including pictures of gods and goddesses. 3. Pornographic, obscene or vulgar stuff. 4. Irrelevant stuff such as sharing phone numbers and ‘Hi, anyone from Pahargang?'”
On the 19 Jan 18, I started with a regular ‘Sher Of The Day’ penned by me. I shall be doing a weekly compilation of those too on this blog. Three days later, on 22 Jan 18, I started with another series ‘Hasya Panktiyan of the Day’. I am doing a weekly compilation of those that are not long enough to stand as separate posts. This is by itself since it is long enough:
DESH KE NETA AUR BABU
चलो हंसने का साधन तो ज़रूर हैं,
हमारे देश के नेता और बाबू,
देश के हित की बातें तो इनसे दूर हैं,
Progress पे इनका न है काबू।
किन मुद्दों पे उठाते हैं ये आवाज़,
हम तो सुन के हो जाते हैं हैरान;
देश के गरीबों के पास नहीं है अनाज,
यह गाय और धर्म को कहते हैं शान।
Human growth index में थोड़े ही देश हमसे नीचे हैं,
पर यह पकड़ बैठे हैं GDP के बढ़ावे को,
हर आंकड़ों में हम दुनिया से पीछे हैं,
पर यह हमें खींचते हैं मंदिर के चढ़ावे को।
किसी party का नहीं है दोष,
सभी हैं एक से एक बड़ के,
यह रहेगा जब तक लोगों को नहीं यह होश,
Divisive aur criminal politics को निकालें जड़ से।
यह न किया तो अगले चुनाव में भी,
यह हमें बनाएंगे उल्लू,
हमें कुछ करना है बदलाव में भी,
न के फिरसे चुने गडकरी, पप्पू, मायावती और लल्लू।
अब आप कहेंगे आज की पंक्तियों में कहाँ है joke,
यह तो मामला है काफी serious,
पर सोचिये अगर मज़ाक में ही रहे हम लोग,
फिर से we will miss the bus!
Chalo hansne ka saadhan to xaroor hain,
Hamare desh ke neta aur babu,
Desh ke hit ki baaten to inse door hain,
Progress pe inka na hai kaabu.
Kin muddon pe uthhate hain ye awaaz,
Ham to sun ke ho jaate hain hairaan;
Desh ke gareebon ke paas nahin hai anaaj,
Yeh gaye aur dharm ko kehte hain shaan.
Human growth index mein thode hi desh hamse neeche hain,
Par yeh pakad baithe hain GDP ke badhave ko;
Har aankdon mein ham duniya se peechhe hain,
Par yeh hamen kheenchte hain mandir ke chadhave ko.
Kisi party ka nahin hai dosh,
Sabhi hain ek se ek badh ke;
Yeh rahega jab taq logon ko nahin hai hosh,
Divisive aur criminal politics ko nikaalen jadh se.
Yeh na kiya to agle chunaav mein bhi,
Yeh hamen banaayenge ullu;
Hamen kuchh karna hai badlaav mein bhi,
Na se phirse chune Gadkari, Pappu, Mayawati aur Lallu.
Ab aap kahenge aaj ki panktiyon mein kahan hai joke,
Yeh to maamla hai kaafi serious;
Par sochiye agar mazaak mein hi rahe hum log,
Phir se we will miss the bus!