HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #53 – ‘LIKEABLE’ READER

उन्होंने react किया मेरी पोस्ट पे,
वरना इतने तो काबिल नहीं थे हम।
उनकी लव वाली emoji देख के,
कहीं निकल न जाए मेरा दम।

दूसरों की पोस्ट पे तो वह comment करती हैं,
पर उससे हम नहीं होते बदगुमान।
हम तो सिर्फ emoji के लायक हैं,
कहां वो और हम हैं कहां?

वैसे जब वह अपना पोस्ट करती हैं,
फोन लगा के करती हैं request:
“भैया, like करके न छोड़ देना,
Your comment is the best.”

हम घंटो सोच के कुछ लिखते हैं,
वह like करके बजाती हैं ताली।
और पूरा का पूरा Comment Box,
नज़र आता है बिल्कुल ख़ाली।

एक दिन तो मेरी दस पोस्ट पे,
बीस सैकंड में उन्होंने किया like,
ऐसे लगता था जैसे LOC के पार,
Commandoes ने की हो सर्जिकल स्ट्राइक।

ख़ैर प्यारी बहिन है मेरी,
कभी तो करेगी मेरी पोस्ट पे comment,
ख़ास करके क्यूंकि एक ड्राफ्ट कॉमेंट,
मैंने ही उसको दिया है sent.

PAON ZAMEEN PAR

पहुंचने के बाद कभी न भूलें कहां से आप हैं आए,
आज अगर दिलशाद दिन हैं कल मुश्किलों के थे साए।

आपकी कामयाबी देख के चाहने वाले बहुत हैं अब,
हरदम आपको याद रहे जब अपने भी होते थे पराए।

बहुत दिया है देने वाले ने, न करना उसे बर्बाद,
सोच के रखना उन पलों को आंख में थे आंसू भर आए।

इस से हरदम आपके पांव ज़मीन पे रहेंगे मजबूत,
तब भी जब किस्मत के सितारे हों जगमगाए।

देने वाला ले भी सकता है सदा रहे हमें यह याद,
जिन्हें यह सच भूल गया वो दोबारा फिर संभल न पाए।

ज़िन्दगी में बन के रहिए, हमेशा मस्कीन ओ बा अजमत,
कौन जाने किस जगह वक़्त हमें क्या क्या सिखलाए?

हर हालत में हमें रखना, मालिक, आपका होके शुक्रगुजार,
जो भी मिले हम रहें उसे, सर आंखों पे लिए उठाए।

शुभ प्रभात

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #52 – PATAKHE BHI BAND AUR PHOOLJHADI BHI

कहते हैं दिवाली में पटाखे अब कर दिए हैं बंद,
अब वह बन संवर के नहीं निकल सकती।
पटाखा क्या सब लड़के उसे कहते थे बम,
उसकी चुनरिया मुश्किल से थी उसे ढकती।

उसके एक बार गली से गुजरने से,
जैसे लाख बड़े बम गए हों फूट।
जब वह किसी और से गुफ्तुगु करती थी,
लगता था राजधानी एक्सप्रेस गई हो झूट।

जब वह पिंक स्कूटी पे कहीं जाती थी,
लोग जलते थे स्कूटी की किस्मत से।
हेलमेट से आज़ाद होके जुल्फें लहराती थीं,
जैसे घटाएं हों उसकी खिदमत में।

दिल थाम के लड़के रहते थे इंतज़ार में,
स्कूटी की उनकी साइकिल से हो जाए टक्कर।
आम तौर पे यही होता है प्यार में,
जब शुरू होता है प्रेमियों का चक्कर।

कोक पिला के और उसको हैमबर्गर खिला के,
लड़के करते रहे उसका मोबाइल भी चार्ज।
कई कई तो उसके लिए लहंगा चोली सिला के,
अपना मासिक बिल बनाते रहे लार्ज।

फ़िर एक रोज़ वह अपने शौहर के संग,
उसी स्कूटी पे निकली वहां से।
दीवानों का चेहरे से उतर गया रंग।
जैसे मारे गए हों दोनों जहां से।

एक ने कहा ठीक किया है सरकार ने,
जो पटाखे कर दिए हैं गैर कानूनी।
हमारा बम चुराया है इक गंवार ने,
अब तो अपनी ही गली लगती है सूनी।

बैन करवा दो फुलझड़ी भी,
और बंद करवा दो हर तरह के अनार।
हमें तो याद है वो घड़ी भी,
जब एक थी अनार और सौ बीमार।

HAATH KI LAKEEREN BADAL SAKTA HAI INSAAN

एक तरफ है अपना मुकद्दर,
एक तरफ है कड़ी मेहनत।
जो खून पसीना एक करते हैं,
उनको मिलती है रब्ब की रहमत।

कहते हैं जब ऊपर वाला देता है,
तो देता है वह फाड़ के छप्पड़।
लेकिन जो मेहनत से इतराता है,
भगवान उसको भी देता है थप्पड़।

ठीक है किस्मत दी है खुदा ने,
पर मेहनती लोग हैं उसके क़रीब।
वह भी अमीर बन सकता है,
जो पैदा हुआ था बिल्कुल गरीब।

मुकद्दर भी उनका देता है साथ,
जो बदल दें हाथों की लकीरें।
तारीखी में हमने कई देखें हैं,
तोड़ी हैं जिन्होंने पैरों की जंजीरें।

ना फटकारिए अपने नसीब को,
बैठिए न हाथ पे धर के हाथ।
मेहनत करिए और एहसास यह होगा,
भगवान भी चलेंगे आप के साथ।

देखिए ख्वाब सुनहरे ओ सुहाने,
लेकिन ख्वाब तो ख्वाब रहेंगे।
जब तक तदबीर की बात न माने,
तकदीर के दिन भी ख़राब रहेगें।

शुभ प्रभात

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #51 – BACHE RAHIYE HASEENO SE

I am reviving a series that I left after the 50th post: ‘HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #50 – PERFECT HAI TO BIWI‘.

Please enjoy #51:

हमने कहा कितना खूबसूरत तुझे बनाया खुदा ने,
तो कहने लगी क्या मैं खुदा नहीं हूं?
हो सकता है तुम्हें अलग नज़र आती हूं मैं,
पर हकीकत में मैं खुदा से जुदा नहीं हूं।

मेरे दिमाग के दरवाज़े यकायक खुल गए,
क्यूं मैं रहा बनके इतना मासूम?
हसीनों और खुदा में सिर्फ एक ही फर्क है,
रहम दिली से हसीन होते हैं महरूम।

महबूब बनके ये छीन लेते हैं दिल का चैन,
और बंदे को बना देते हैं बंदी।
दूर बचके भागने में ही है दोस्तो,
आख़री बार इस्तेमाल करने वाली अक्लमंदी।

नहीं किया तो मुमकिन है आपकी हो हालत,
जो है शमा के पास मंडराते परवाने की।
जल के राख़ हो जाते हैं बेचारे,
जैसे सज़ा मिली हो उनको दिल लगाने की।

गले में फंदा डाल के लटके रहो,
पर हसीनों से हरदम रहो दूर दूर।
खुदा को भी अपने से कम समझते हैं,
अपनी एहमियत में रहते हैं इतने मगरुर।

आजकल ज़माना ही बदल चुका है,
वो भी दिन थे जब हसीने होती थी सावित्री या राधा,
अब वह बराबरी नहीं चाहती हैं,
मर्द को नीचा दिखाने का है पूरा इरादा।

MAAF KEEJIYE

जो गलती करता है वह इन्सान है,
पर गलती से जो सीखे वह महान है।

किसी की गलती माफ करना मुश्किल ज़रूर है,
पर जो कर दे दानिशमंदी उसकी पहचान है।

है कोई जिसने कभी कोई गलती न की हो?
कौन ऐसा है जो गलती से अनजान है?

माफ़ी देना कभी किसी की कमज़ोरी नहीं,
ऐसी हिम्मत दिखानेवाला सच ही बलवान है।

माफ़ करनेवाला बनता है ज़हनी सुकून का हकदार,
जो न करे वह ज़िन्दगी भर परेशान है।

सख़्त बन के दूसरों की गलतियां निकालना अच्छा नहीं,
उनकी अच्छाइयां ढूंडना चेहरा ए भगवान है।

आपका फराख दिल होना उन्हें बनाता है शुक्र गुज़ार,
तारीफ करते हैं लोग आपकी जो आपका एहसान है।

कहां तो आप ख़रीद लेते ज़िन्दगी भर की दुश्मनी,
कहां आपका कर्जदार अब आप पे कुर्बान है।

शुभ प्रभात

DAR KAHAN HAI AB?

एक चीज़ जिसके कब्जे में थी मेरी ज़िन्दगी उम्र भर,
और कुछ नहीं उस चीज़ का नाम है डर।

मुझे हर वक़्त वो कहती थी यह कर वह न कर।
धीरे धीरे ज़िन्दगी में बढ़ता गया उसका असर।

हर दम मुझे लगता था किसी की आंखें मुझे देखती हैं,
कुछ भी करूं या सोचूं उनको रहती है खबर।

यह भी लगता था नेकी न करूं तो जहन्नुम जाऊंगा,
पाप करने से कोई काट लेगा मेरे उड़ने के पर।

मौत के बाद मुझे उस आग में जलना होगा,
सैय्याद जहां फैंकेंगे मुझे पिला के ज़हर।

कामयाबी के ख्वाब न करते थे मेरी हौंसला अफजाई,
नाकामी का ख़ौफ जकड़ के करता था मुझे मुतासिर।

बढ़ों से और छोटों से मैं इसलिए डरता था,
मेरे कुछ भी करने से मेरी घट जाएगी कदर।

इस डर से इतना सहमा रहता था मैं,
अंधेरा ही अंधेरा था, कुछ न आता था नज़र।

फ़िर एक दिन खुदा मेरी ज़िन्दगी में आए,
उनके हाथ पकड़ने से मेरा डर गया है मर।

अब मेरी ज़िन्दगी में प्यार की किरणों का उजाला है,
काली डरावनी रात कट गई, देखता हूं सहर।

मेहरबानी खुदा की जिसने बना दिया मुझे निडर,
नए निशाने की खोज में डर घूमता है दर बा दर।

शुभ प्रभात

KHAYAAL KA KAMAAL

क्या जादुई चीज़ दी खुदा ने कहते हैं इसे खयाल,
इसके इख्तियार में बसा रहता है इन्सान का हाल।

मन में इस तरह यह हरदम यूं उछलता है,
वह पल जिसमें यह न हो, लगता है मुहाल।

क्या अजब है इसकी सिफ्त, हैरत में पड़े हैं हम,
हर सवाल का देता है जवाब, हर जवाब का सवाल।

पैदा होते ही हमें सताने लगता है दिन ओ रात,
फ़िर लगातार आता है, हालांकि सफेद हो जाएं बाल।

जो कहलाते हैं आज़ाद, वह भी रहते हैं इसके गुलाम,
सोच समझ के फंस जाते हैं, बुनता है जब यह जाल।

अमीर बन के रहते हैं, जिन्हें एहसास हो इसकी ताकत का,
कल ही तो उनको देखा था, पैदा हुए थे जो कंगाल।

लोग कहते हैं सारी कायनात माया ही है, रवि,
जो कुछ है वह है हमारे खयाल का कमाल।

शुभ प्रभात।

SOTE SOTE KHWAB JAGAYA NA KARO

मुझे रोज़ रोज़ इस तरह सताया न करो,
यूं बार बार दिल मेरा दुखाया न करो।

तेरे प्यार में क्या क्या बना हूं इस तरह,
अब तमाशा ए इश्क मुझे बनाया न करो।

ज़रा ज़रा सी बात पे तुम रूठ जाते हो,
रहने दो, रूठने की वजह समझाया न करो।

हौले हौले फासले हमारे बीच बढ़ते ही रहे,
अब दूर से अपना समझ के बुलाया न करो।

तीर ए जिगर घायल कर के पार हो गया,
अब मंद मंद कल की तरह मुस्कराया न करो।

बात बात पे तुम ने मुझे ताने दिए हैं,
कान पक गए हैं, और मुझे सुनाया न करो।

जितने भी मिलें हैं सब तुम्हारी है मेहरबानी,
इन ज़ख्मों को रोंद रोंद के जलाया न करो।

तेरी नज़रों के नशे ने बहुत किया मुझे मदहोश,
अब हल्का हल्का ज़हर मुझे पिलाया न करो।

खुशी बांटने का हुनर तुम्हारा कहां खो गया,
शब ए ग़म में ज़ार ज़ार मुझे रुलाया न करो।

पत्ता पत्ता तोड़ कर तूने जिसे कर दिया कतल,
उस यादों के फूल को राख बनाया न करो।

KOI AITFAAQ NAHIN HOTE

आपकी ज़िन्दगी में जो लोग आते हैं,
हर किसी का है कोई मतलब।
आपकी खुशी का या किसी नसीहत का,
हर आदमी बन जाता है सबब।

कभी सोचा है ऐसे ऐतफाक़ क्यूं होते हैं,
उसी वक़्त क्यूं होते हैं सब?
हो सकता है उनका वहां होना,
खुदा ने उसी तरह लिख रखा हो तब।

कोई ऐतफाक नहीं होते कभी, दोस्त,
सबका करने वाला है वही एक रब्ब।
किसको कैसे और कहां मिलना है,
उसी के हाथ में है कहां और कब।

इसलिए लोगों को मिलते ही,
ये न सोचो क्यूं मिला है यह अब,
खुदा की बख्शीश समझ के सर झुकाओ,
और सोचो न मिलता तो क्या करते तब।

DIWALI MUBARAK

सब कुछ खुदा ही करेगा, तो जीने का मकसद क्या है हमारा?
किसी जरूरतमंद का क्यूं हम ही न बन जाएं सहारा?

हो सकता है खुदा ने हमें चुना हो अपना बना के कासिद,
उसकी ज़िम्मेदारियां बांटने के लिए हो उसने हमें पुकारा।

क्या किसी के अश्क पोंछने में हमारी नहीं कोई गर्ज़,
किसी डूबते को हम कभी न दे सकें किनारा?

शायद वो हो उसका मुकद्दर जिसे बेकसी मिली हो,
क्या पता हमारा हो मुकद्दर उसका चलता रहे गुज़ारा।

गर चांद बन के किसी की ज़िन्दगी में न जगमगाएं,
क्या हर्ज़ है कोशिश करें बनने में किसी का सितारा?

इस दिवाली में जलाइए दिए किसी की ज़िन्दगी हो रौशन,
अंधेरे में वो बैठे हैं जिन्हें हो ज़िन्दगी ने मारा।

यह सुनहरा मौका मिला है, खुदा के बनें हम हिस्सेदार,
शायद यह जो हमें मिला है, न मिले कभी दोबारा।

शुभ प्रभात।
शुभ दीपावली।

UNHEN YAAD BHI NA AAYI

वफा की बात करते थे वो, पर करते रहे बेवफाई,
हैरत हुई है यह जान के हमें, हमारी हुई है रुसवाई।

उनके अंदाज़ ए इश्क ने हमें बेहोश कर दिया,
चार दिन की मुलाकात, अब बरसों की है जुदाई।

क्या क्या रंग उनसे मिले, मेहरबानी में सर झुका है,
ख़ून ए जिगर तो लाल हुआ, आंखों तले सियाही।

जशन ए ज़िन्दगी में वह कुछ इस तरह थे गरक शुदा,
हमारी शमा ए हयात बुझ रही थी, उन्हें याद भी न अाई।

सुहाना सफर शुरू किया था उनके संग, लबों पे गीत थे,
थोड़ी दूर चलते ही कश्ती ए मुहब्बत डगमगाई।

शादमा थे यह सोच के, साथ चलेंगे जन्मों जन्मों तक,
नींद जब खुली तो मीलों बेकरारी नज़र आयी।

दामन में समेट के रखी है उस याद की गर्म राख,
बरसों से सुलगती रही, अभी तक वो जल न पाई।

SAB USI KI MEHARBANI

कोई कितना दूर है, कोई कितना क़रीब है?
यह मुद्दा फासलों का नहीं, अपना अपना नसीब है।

हर खूबी कामिल नहीं, मुत्नसिब ही समझिए,
हमीं कहते हैं यह अमीर है, और वह गरीब है।

आज कोई प्यार से मिले तो वह हमारा हबीब है,
कल वही ललकारे तो कहिए सबसे बड़ा रकीब है।

खुश किस्मत कहते हैं उसे जिसकी पूरी हो मन की मुराद,
नहीं तो ऐलान कर देते हैं बेचारा बदनसीब है।

कभी नहीं हम सोचते खुदा की क्या है रज़ा,
हर माजरे में लगता है किसी आदमी की तरकीब है।

लोग बड़े होशियार, अक्लमंद और सयाने हों, रवि,
जो खुदा की रज़ा समझे मैं कहूंगा वह सबसे नजीब है।

शुभ प्रभात

PAANI MEIN BUDBUDA

ऐसा लगता है हमें कि कुछ हैं हम,
यह कुछ नहीं बस सिर्फ है वहम।
रेत पे चलते हुए कुछ देर नज़र आते हैं:
तुम्हारे भी कदम, हमारे भी कदम।

किसी से पूछना उनके पड़दादे का क्या नाम है,
हमारी ज़िन्दगी यहां छोटा सा मुकाम है,
गर सौ बरस तक तुम्हें कोई याद रखे,
झुक झुक के तुम्हें मेरा सलाम है।

नहीं यकीन तो चलो मिल कर करते हैं एक तजरुबा,
बरस १९२० में कौन थे किसके अब्बा?
कुनबे में और कौन थे, क्या थीं उनकी बातें?
कौन खयाली थे और कौन थे अजूबा?

किसकी नेकियां या बुराइयां आपको हैं याद?
आपने उनके लिए क्या किया उनके जाने के बाद,
कभी तो उनका ज़िक्र ए ज़िन्दगी हुआ होगा?
कभी तो आपने की होगी उनकी रूह के लिए फरियाद।

अगर आपके जवाब ज़्यादा तर हैं “न या नहीं”,
फ़िर अपनी “हम हैं” के लिए क्या ढूंढते हो कहीं?
हमारी ज़िन्दगी है सिर्फ पानी में बुदबुदा,
हम चले जाएंगे ज़माना रह जाएगा यहीं।

इसलिए निकल आयिए अपनी अहमियत के खुमार से,
राज़ी नामा कर लीजिए अपने ही ख़ाकसार से।
फ़िर आज़ाद रहिए गमों से और महरूमी से,
मिटा दीजिए रंग ए गरूर अपने रुखसार से।

मैं कुछ भी नहीं हूं रब्बा, मुझे रख अपने पाओं के पास,
अपनी अहमियत की मेरी मिटा दे तू प्यास।
मैं तेरे बारे अपने से ज़्यादा सोचूं,
तूं ही हो मेरी उम्मीद, तू ही हो मेरी आस।

शुभ प्रभात।

BADA KAMZOR HAI AADMI

अच्छे हर वक़्त नहीं करते अच्छाई,
बुरे हरदम नहीं करते बुराई।
गर यह छोटी सी बात समझ लें,
यही है ज़िन्दगी की सबसे बड़ी सच्चाई।

संगदिल भी कभी कर जाता है मेहरबानी,
खुद गरज के बस में भी है कुर्बानी।
धोखा दे जाते हैं जो बड़े वफादार थे,
इन्सानों में भी कभी कभी आ जाती है शैतानी।

मैं नहीं कहता किसी का ना कीजिए ऐतबार,
बस हर करतूत को ताज़ा आजमाइए हर बार।
चलते चलते लोग बदल जाते हैं,
जैसे बहार बन जाती है खिजा और खिजा बहार।

सिर्फ खुदा है जो यही था, यही है, यही रहेगा,
यह वो दरिया है जो हमेशा यूं ही बहेगा।
हालात में बदलने का उसका नहीं है दस्तूर,
जो कहेगा वो करेगा, जो करेगा वो कहेगा।

शुभ प्रभात

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