DOSTON KI MEHFILEN

कुछ कहने को दिल करता है,
पर सोचता हूं लिखूं क्या?
किसको क्या फर्क़ पड़ता है,
दिल चीर के भी रखूं क्या?

अक्सर अपने आप को देखा है,
ख़ाक के उड़ते ग़ुबार में l
बहुत लंबी नहीं है ज़िंदगी,
चार पल मिले हैं उधार में l

सेहर को उम्मीद से देखता हूँ,
तो नज़र आती है सूनी रात की तरह l
तन्हाई हरदम सताती है,
नामुमकिन सवालात की तरह l

महफिलें तो दोस्तों की,
ऐसे आती हैं कई दफा उभर l
पर बहारों के मेले कभी,
किसी के लिए कहां जाते हैं ठहर?

सच यही है मेरे दोस्तो,
भीड़ में हम सब अकेले हैं l
कहने को तो महफिलें हैं,
खुशियों के यहां वहां मेले हैं l

हम हैं तो अपने लिए हैं,
कोई नहीं है कहीं हम से l
पर मानता हूँ दुनिया आबाद है,
इसी एक हसीन वहम से l

🎯😥📌

NAYA SAAL HAI AAINA

सब चले गए, यह साल भी रहा है जा,
हमारे माज़ी का नहीं रहता कोई गवाह l
पूरी ज़िंदगी यादों के मरहले बनी है,
फिर भी आने वाले पल की ही मांगते हैं दुआ l

मुस्तक़बिल पर ऐतबार करना है एक जुआ,
कल आएगा या नहीं किस को है पता l
सारी मेहनत तो गए कल बनाने में लगी,
वह वक़्त जो अभी था, अभी गया l

माज़ी पे जिसको कभी नाज़ ही न हुआ,
किस उम्मीद से ताकते हैं मुस्तक़बिल की हवा?
तिनके तिनके से ही आशियाने बनते हैं,
रातों रात किसका कोई महल हुआ है खड़ा?

हर एक याद हमें कल रुलायेगी क्या?
हर एक चोट हमें क्या सताएगी सदा?
या गए लम्हे तबस्सुम लाएंगे लबों पे,
माज़ी ने ही किया मुस्तक़बिल का फ़ैसला l

जिस के संग चले उन यादों का सिलसिला,
जिसमें कभी किसी का कुछ बुरा न किया l
वही “नए साल मुबारक” का हकदार है, दोस्तों,
आने वाली ज़िंदगी से वही मिले जो दूसरों को हमने दिया l

आने वाला पल माज़ी का ही है आईना,
आएगा वही जो है हमारे हाथों से बना l
दुआ मांगता हूँ आपने बनाया हो जितना,
कल आपको मिले उससे दुगना और चौगुना l

MOHAMMAD RAFI – THE GREATEST EVER SINGER

रफी साहब जैसा गायक ना हुआ है ना हो सकता है,
उनकी याद में हर एक सिर्फ पलकें भिगो सकता है l
मुझ जैसा नाचीज़ उनके मोहब्बत के गीत Lyn को सुना के,
कुछ तो दिल के दाग कभी कभी धो सकता है l

सच कहा है, गायकी का जब पूरा हो जाये ज्ञान,
फिर भी हम ज़मीन रहेंगे और वह थे आसमान l
अदाकारी उनकी सिर्फ गीतों में ही नहीं थी,
आदमी तो सब होते हैं, वह थे मिसाली इन्सान l

उनके गीत गाने से रूह को मिलता है सुकून,
हर रफी गायक को रफी का लग जाता है जुनून l
उनकी बुलंद आवाज से गाने की कोशिश में,
साँस तेज़ हो जाती है, चेहरे पे आ जाता है खून l

काश, थोड़ा सा रफी का हुनर हमें भी जाये मिल,
एक अंश उनकी काबलियत का हो जाये हासिल,
हम भी गिने जाएँ लाखों रफी के गायकों में,
उनके मुतरिब-ए-अंदाज़ में हम भी हों शामिल l

☺️😊🙏❤️

MAUT SIKHATI HAI ZINDAGI

मौत ना होती तो हमें
ना आती जीने की अदा,
ज़िंदगी खूबसूरत है
क्यूंकि कहां रहती है सदा l

सबसे हसीन फूल है वह
जो पल में मुरझा जाए,
परवाना अबदी बन जाता है,
शमा पे होके फिदा l

हंस हंस के जो करते हैं,
अपनी खुशियों को विदा,
मर के जीने का तो
उन्होंने सीखा है कायदा l

उम्र गर बहुत लंबी मिले
सोचो क्या हो फायदा l
अपने कानों तक ना पहुंचे
किसी तंग दस्त की सदा l

इस से और क्या होगी
कोई चीज़ उम्दा,
यार की बाहों में मिल जाये
आखिरी साँस की दुआ l

इस मौज ए दरिया में
अपनी है हस्ती क्या?
अपने आप को बड़ा दिखे
पर असल में पानी का बुदबुदा I

CHAND AAYA BHI TO KYAA?

चाँद मेरे जीवन में आया भी तो क्या,
आँखों के करीब ही आके चला गया l

वैसे तो चाँद को समझता हूँ मैं अपना,
चंद लम्हों के लिए लुभा के चला गया l

देखने को लगता था खामोश और पुर-अम्न,
जाने क्यूँ आज हिला के चला गया l

लोग हँसते हैं मेरी मजबूरी ए हालात पे,
क्या खबर थी कि चाँद रुला के चला गया l

मैं उसे समझता था हमनवा और हमज़ुबान,
अब कुछ भी मुझे ना बता के चला गया l

बरसों लगे उस लम्हा-ए-फ़ुसूँ पाने के लिए,
वक़्त नहीं ठहरा, बिता के चला गया l

अपने भी हो जाते हैं पराए, दफ़’अतन,
किस अंदाज़ से चांद जता के चला गया l

उदासी और बेबसी ही हैं मेरे दाएम हमसफ़र,
कितनी खूबी से चाँद समझा के चला गया l

KANDAGHAT LIVE FEST (KLF) 2024 KA AALAM

कई लम्हे ज़िंदगी की यादगार बन जाते हैं,
जिन्हें कभी कभी मिलें, हमेशा के यार बन जाते हैं l

कंडाघाट की वादियों का लुत्फ देखिए हुज़ूर,
रंजिश भूल के लोग दिलदार बन जाते हैं l

मौसीक़ी हो गुल की,आवाज़ हो सब की,
यूँ कहिए के दिलों के तार बन जाते हैं l

और जो किसी वजह से KLF* में न पहुंच पाए,
वह अक्सर बेकरार ही नहीं बेज़ार हो जाते हैं l

क्या रंग है, क्या नूर है, क्या अदा, क्या तरन्नुम,
कल के अजनबी हमारा घर संसार बन जाते हैं l

दूर पहाड़ पे जब चांद निकल आता है रात में,
दीवाने ही इश्क ओ वफ़ा का इज़हार बन जाते हैं l

उदासी और बेकसी हमारे करीब नहीं आते,
तबस्सुम ओ हैजान ही सबका रुख़्सार बन जाते हैं l

आलम के बारे बस यह ही कहूँगा, रवि,
दोस्त फ़क़त दोस्त नहीं, कंडाघाट की बहार बन जाते हैं l

*KLF has been held at least once every year since 2016. It is the Live Fest of the Facebook group Yaad Kiya Dil Ne.

PANCHHI THA, USE TO UDHNA HI THA

उन्हें अपने दोस्त से क्या मिलवाया,
वह उसी के यार बन बैठे l
हमें भूलने में ना लगा उन्हें वक़्त,
अब वह उसी से प्यार कर बैठे l

मेरे गीत सुनने में उन्हें आता था आनंद,
पर अब वह उसी का वादन सुनते हैं l
उसकी हर पोस्ट पे देके कमेन्ट,
अपने सपनो का जाल वह बुनते हैं l

उसकी शोहरत, उसकी काबलियत है मैग्नेट,
उन्हें ले गई है मुझसे काफी दूर l
आपने परवाने की हालत तो देखी होगी,
शमा की लौ जिसे कर देती है मजबूर l

चलो अच्छा हुआ अपने ओ पराये की,
इससे तो हो गई जल्द पहचान l
कुछ तो वक़्त लगेगा उन्हें समझने में,
जितनी ऊंची दुकान, उतना फीका पकवान l

चाहे कोई किसी के कितना भी हो नज़दीक,
खुदगर्जी ही है दुनिया की बुनियाद l
आमला बहुत ज़बरदस्त फल है दोस्तो,
बड़े अर्से के बाद भी देता है स्वाद l

सालों के बाद फिर मिलेंगे सब,
अपने उस छोटे से आशियाने में l
टूटने को जिसे दफ़’अतन न लगा वक़्त,
बरसों लगे थे जिसे बनाने में l

हमें क्या, हम तो हमेशा ही इसी तरह,
तसव्वुर में, वफाई में, हुनर में रहे हैं अमीर l
दिल के दरवाज़े उसी तरह खुले हैं अब भी,
रुसूख़ ओ शोहरत के लिए, नहीं बेचते हैं ज़मीर l

AMEER BHARAT KI JHALAK

उन्होंने पांच हज़ार करोड़ की करके शादी,
नव विवाहित जोड़ों की यकायक याद दिला दी l

बहुत हौंसला चाहिए इतनी दौलत लुटाने को,
उनके लिए जिनकी अपनी लुटने वाली हो आज़ादी l

राम मंदिर पूरे देश ने चौदह सौ करोड़ का बनाया l
इस शादी ने तो उसकी भी वाट लगा दी l

रामचंद्र चौदह साल बनवास के बाद बने थे राजा,
पचास सौ करोड़ का मंदिर बनाते गर पचास साल रहते वो बनवासी l

कल रात हम एक करोड़ खर्चने की मन में बनाने लगे प्लान,
बस यूँ कहिए कि दस लाख खर्च करने में पूरी रात बिता दी l

एक शहँशाह ने बनवाया था हसीन ताज महल l
नए शहँशाह ने तो इस मकबरे की नींव ही हिला दी l

अंग्रेजो, तुम छोड़ गए थे हमारे गुलाम देश को गरीब करके,
अब देखो कहां पहुँच गया हमारा क्रिकेट बोर्ड और यह शादी l

यह मिसाल हैं आने वाले बुलंद विकसित भारत की,
चाहे अभी भी रोटी को तरसती हो बहुत सारी आबादी l

क्रिकेट के मैदान में देख के छक्के और यहां हुक्म के इक्के,
सच पूछिये तो हमने अपनी औकात ही भुला दी l

यहां ज़मीन पर ही हमने देख लीं सैंकड़ों हूरें,
जिन्हें जन्नत में ढूँढ रहे हैं गुमराह जिहादी l

TRIBUTE TO MADAN MOHAN – MY OWN SINGING – PART III

This tribute to Madan Mohan is in continuation of my Tribute to Madan Mohan – My Own Singing and Tribute to Madan Mohan – My Own Singing – Part II.

Two of the greatest: Madan Mohan with Mohammad Rafi)

Madan Mohan was born on 25 Jun 1924 at Erbil, Iraqi Kurdistan, where his father Rai Bahadur Chunilal was working as an Accountant General with the Kurdistan Peshmerga forces. Madan Mohan spent the early years of his life in the Middle East. After 1932, his family returned to their home town of Chakwal, then in Jhelum district of Punjab, British India. He joined the Army as a Second Lieutenant in the year 1943. He served there for two years until end of World War II, when he left the Army and returned to Bombay to pursue his musical interests. In 1946, he joined the All India Radio, Lucknow as Programme Assistant, where he came in contact with various artists such as Ustad Faiyaz Khan, Ustad Ali Akbar Khan, Begum Akhtar, and Talat Mahmood.

He was very fond of singing, and so in 1947 he got his first chance to record two ghazals penned by Behzad Lucknawi, Aane Laga Hai Koi Nazar Jalwa Gar Mujhe and Is Raaz Ko Duniya Jaanti Hai. Soon after, in 1948 he recorded two more private ghazals penned by Deewan Sharar, Wo Aaye To Mahfil Mein Ithlaate Huye Aaye and Duniya Mujhe Kahti Hai Ke Main Tujhko Bhoolaa Doon. In 1948, he got his first opportunity to sing a film duet Pinjare Mein Bulbul Bole and Mera Chhotasa Dil Dole with Lata Mangeshkar under composer Ghulam Haider (composer) for the film Shaheed (1948 film), though these songs were never released or used in the film. Between 1948 and 1949, he assisted music composers SD Burman for Do Bhai, and Shyam Sundar in Actress and Nirdosh.

As Music Director, he scored his first big break with the film Aankhen in 1950. He was soon to emerge as a music director par excellence especially for ghazals. Indeed, music director OP Nayyar once said about Madan Mohan that two of his ghazals were better than all that OP Nayyar composed. Some of the best songs of Lata Mangeshkar (she fondly called him “Madan Bhaiyya”) were composed by him on the lyrics of Raja Mehdi Ali Khan and Rajinder Krishan.

Some of my favourite songs of Madan Mohan are: Aaj soch to aansu bhar aaye, Betaab dil ki tamanna yehi hai, Tum jo mil gaye ho (Hanste Zakham 1973), Aapke pehlu mein aa ke ro diye, Naino mein badra chhaye, Jhumka gira re, Tu jahan jahan chalega (Mera Saya 1966), Aapki nazaron ne samajha, Hai isi mein pyaar ki aabru, Vo dekho jala ghar kisi ka (Anpadh 1962), Aapko pyaar chhupane ki buri aadat hai, Tere paas aake mera waqt nikal jaata hai (Neela Akash 1965), Agar mujhase mohabbat hai, Main nigaahen tere chehre se hatayun kaise (Aap Ki Parchhayiyan), Ai mere dil mujhe bata de (Bhai Bhai 1946), Ari vo shokh kaliyon muskara dena vo jab aayen (Jab Yaad Kisi Ki Aati Hai 1967), Baad muddat ke yeh ghadi aayi, Haal-e-dil youn unhe sunaya gaya, Jab jab tumhe bhulaya tum aur yaad aaye, Kisi ki yaad mein duniya ko jhain bhulaye huye, Main teri nazar ka saroor hoon, Phir wohi shaam wohi gham wohi tanhaayi hai, Teri aankh ke aansu pi jaayun, Wo chup rahen to mere dil ke daag jalate hain (Jahan Ara 1964), Hamare baad mehfil mein (Baghi 1953), Bainya na dharo O balma, Ham hain mataa-e-kuchcha-e-bazaar ki tarah, Mai ri main kaase kahun, Tumse kahun ik baat (Dastak, 1970), Bairan neend na aaye mohe (Chacha Zindabad 1959), Basti basti parbat parbat gaata jaaye banjara, Chand madham hai aasman chup hai, Dekh tere Bhagwan ki haalat (Railway Platform 1955), Bhooli hui yaado mujhe itna na satayo, Vo bhooli dastaan lo phir yaad aa gayi (Sanjog 1961), Chanda ja re ja re, Main to tum sang nain mila ke (Manmauji 1962), Chhadi re chhadi kaise gale mein padhi, Dil dhoondata hai fursat ke, Ruke ruke se kadam (Mausam 1975), Chhod kar tere pyar ka daaman, Jao hamane dastaan apni sunaayi, Lag jaa gale ke phir, Naina barse rimjhim rimjhim, Shokh nazar ki bijliyan  (Woh Kaun Thi 1964), Do dil toote do dil haare, Doli chadate hi Heer ne bain kiye, Milo na tum to ham ghabraayen, Ye duniya ye mehfil mere kaam ki nahin (Heer Ranjha 1970), Ham chal rahe the wo chal rahe the (Duniya Na Maane 1959), Ham pyar mein jalane waalo ko chain kahan (Jailor 1958), Hamsafar saath apna chhod chale, Tujhe kya sunayun main dilruba (Aakhri Dao 1958), Hamse aaya na gaya, Kaun aay mere man ke dwaare, Meri veena tum bin roye, Tu pyar kare ya thukraye (Dekh Kabira Roya 1957), Har taraf ab yahi afsaane hain, Hai tere saath meri wafa main nahin to kya (Hindustan Ki Kasam 1973), Hoke majbuur mujhe usne bhualaya hoga, Kar chale ham fida, Khelo na mere dil se, Main ye soch kar uske dar se, Zara si aahat hoti hai (Haqeeqat 1964), Husn haazir hai mohabbat ki saza paane ko, Is reshmi paazeb ki jhankar ke sadake, Tere dar pe aaya hoon (Laila Majnu 1976), Ik haseen raat ko dil mera kho gaya, Kabhi ai haqeeqat-e-muntazar, Sapano mein agar mere (Dulhan Ek Raat Ki 1966), Ishq ki garmi-e-jazbaat kise pesh karun. Mere mehboob kahin aur mila kar mujhase, Naghma o sher ki saugat, Rang aur noor ki baraat (Ghazal 1964), Jaa jaa re jaa saajna, Jaana tha hamse door, Unako ye shikayat hai, Youn hasaraton ke daag (Adalat 1958), Kabhi na kabhi kahin na kahin koi na koi to aayega, Mujhe le chalo aaj us jagah, Sawan ke mahine mein (Sharaabi 1964), Koi shikwa bhi nahin koi shikayat bhi nahin (Neend Hamari Khwab Tumhaare 1966), Main paagal mera manwa paagal (Aashiyana 1952), Meri yaad mein tum na aasnu bahana (Madhosh 1951), Na tum bewafa ho na ham bewafa hain (Ek Kali Muskaaye 1958), Sapne mein sajan se do baaten, Do ghadi wo jo paas aa baithe (Gateway Of India 1957), Teri aankhon ke siwa duniya mein rakha kya hai (Chirag 1969), Tumhari zulf ke saaye mein shaam kar loonga (Naunihaal 1967), Tu mere saamne hai teri zulfen hain khuli (Suhagan, 1964), and Vo jo milate the kabhi hamsase deewano ki tarah (Akeli Mat Jaiyo 1963).

When I learnt singing, I soon got to sing Madan Mohan. Here I present six more of his songs that I sang:

Song #13
Har taraf ab yahi afsaane hain

Just like J Om Prakash made many his movies’ titles starting with the letter ‘A’, Chetan Anand made many movies starting with the letter ‘H’: Haqeeqat made after the 1962 Indo China War was the first with the letter ‘H’. It ws followed by Heer Ranjha, Hanste Zakhm, and then Hindustan Ki Kasam. The last one is the 1973 movie from where I have taken this song. The movie depicts the role of Indian Air Force in the 1971 Indo Pak War, in the Western Sector.

Chetan Anand’s preferred actress Priya Rajvansh was the heroine opposite Raaj Kumar who was an IAF pilot in the movie.

As in Haqeeqat, Heer Ranjha, and Hanste Zakhm, Kaifi Azmi was the lyricist, Madan Mohan the composer.

This song was superbly sung by Manna Dey.

Please enjoy: Har taraf ab yahi afsaane hain…

 

Song #14
Teri Aankhon ke siwa duniya mein rakha kya hai?

This is the kind of song that I would like to sing to Lyn.

Madan Mohan composed it in Raag Jhinjhoti, Tal Dadra.

The director of the 1969 movie Chirag, from where this song is taken, made the lyricist Majrooh Sultanpuri take permission from Faiz Ahmad Faiz to use this line from Faiz’s nazm Mujhse pehli si mohabbat mere mehboob na maang made immortal by the singer Noorjehan.

Mohammad Rafi, as he always did, sang the song so well that it became unforgettable.

Please enjoy: Teri aankhon ke siwa duniya mein rakha kya hai…

Song #15
Tum jo mil gaye hao

Ultra Entertainment has blocked this song (containing snippets of original video) to be displayed here. But, you can click on ‘Watch on YouTube’ and it will take you there to watch.

This is from the 1973 Chetan Anand movie Hanste Zakhm starring Naveen Nischol and Chetan Anand’s favourite heroine Priya Rajvansh.

It is one of the most unique compositions of Madan Mohan on the lyrics of Kaifi Azmi.

The singer, once again, is Mohammad Rafi. Just one line has also been sung by Lata Mangeshkar.

Please enjoy: Tum jo mil gaye hao…

(In case you read the message Video unavailable, please click on Watch on YouTube. Thank you)

Song #16
Main teri nazar ka suroor hoon, tujhe yaad ho ki na yaad ho

The 1964 Vinod Kumar movie Jahan Ara had some of the best songs (ghazals) of Madan Mohan. These were on the lyrics of Rajinder Krishan. Indeed, the success of this movie was largely due to these songs. Mala Sinha in the title role nearly got the Filmfare Award. She enacted emperor Shahjahan’s daughter through his most beloved of four wives: Mumtaz, in whose memory he erected one of the seven Wonders of the World: the Taj Mahal.

When Mumtaz was dying, she took a promise from Jahan Ara that she would look after the father and not marry. She was in love with Mirza Yusuf Changezi (played by Bharat Bhushan). But, their love couldn’t go further because of Jahan Ara’s promise to Mumtaz.

Hence, this song and many others in the movie portraying their predicament and sob-story; eg, Phir wohi shaam wohi gham wohi tanhayi hai, and Teri aankh ke aansu pi jayun.

In this movie, Madan Mohan favoured Taal Mahmood to sing these songs. Mohammad Rafi sang only one: Kisi ki yaad mein duniya ko hain bhulaye huye in Raag Kedar.

Please enjoy: Main teri nazar ka suroor hoon…

Song #17
Yahi hai tamanna tere dar ke saamne

This is from the 1964 Mohan Kumar movie Aap Ki Parchhaiyan starring Dharmendra and Supriya Choudhury.

Madan Mohan stunned us by composing two songs of the movie in the same Raaga and Tal: Darbari Kanada and Dadra. The songs were: Rafi’s Main nigaahen tere chehre se hatayun kaise and Lata’s Agar mujhse muhabbat hai mujhe sab apne gham de do.

Mohan Kumar’s Aap Ki Parchhaiyan suffers from the same malaise that most of the movies of that era did: the second half used to drag on and on without the end in sight. Indeed, whilst watching most of the movies now, one can see the second halves in fast-forward mode. Another such movie was DD Kashyap’s 1961 movie Maya starring Dev Anand and Mala Sinha.

Anyway, most of these had excellent songs.

This was penned by Raja Mehdi Ali Khan and sung by Mohammad Rafi.

Please enjoy: Yahi hai tamanna tere dar ke saamne….

Song #18
Tum bin jeevan kaisa jeevan

This was penned by Kaifi Azmi and composed by Madan Mohan in Raag Hemant, Tal Punjabi Theka (Sitarkhani) for the 1972 Hrishikesh Mukherjee movie Bawarchi with superstar Rajesh Khanna in the title role.

The singer was Manna Dey.

It is one of Madan Mohan’s difficult songs attempted by me.

Please enjoy: Tum bin jeevan kaisa jeevan….

So that this post won’t become too long, I shall end here today. Next time I shall give you another six songs of Madan Mohan sung by me in Part IV.

JANAMDIN MUBARAK RAJ DUTTA

रब्ब ने दुनिया कितनी सुन्दर है बनाई,
पर सबसे सुन्दर है, राज, मेरा भाई l

बचपन का भोलापन अभी भी है रुखसार पे,
जैसे वक़्त की इसने थाम रखी हो कलाई l

ना किसी का बुरा करना, ना सोचना,
जैसे बेहद अच्छाई है इस में समाई l

किसी के साथ ना दुश्मनी, ना रंज, ना नाराज़गी,
लगता है सारी ज़िंदगी है प्यार में बिताई l

इसकी मीठी आवाज़ के गीत सुनके,
दिल की धड़कन लेती है अंगडाई l

मेरी भाभी, मीना, है मशहूर फोटोग्राफर,
खुदा ने कितनी हसीन जोड़ी है बनाई l

बच्चे तो माँ बाप से भी लायक निकले,
जैसे दुध पे आ गयी हो मलाई l

छोटे, स्नेह से भरे दिल से आज हम,
तुम्हारे जन्मदिन की देतें हैं बधाई l

हमारी दुआ है आप खुश ओ तंदरुस्त रहें,
आपके आस पास भी ना आए कभी कोई कठिनाई l

WOH HAIN TO JANAMDIN BHI HAI…

कहानियाँ बनतीं हैं लहरों की तरह,
झूम के उठती हैं चली जाती हैं l
और हम साहिल पे खड़े सोचते हैं,
चंद यादें हैं जो मन्द मन्द मुस्कराती हैं l

लफ्ज़ साँसों में फंसे यूँ दिखते हैं,
जैसे सूखी ज़ुबाँ कुछ कह ना पाती है l
कोई तो हो जिसे ज़िंदगी बता सके,
रह रह के जो राज़ हमें समझाती है l

अब ना तो वह तूफान, ना वह फ़िज़ायें,
दूर दूर तक गर्म रेत ही नजर आती है l
और वह हसरतें जो उभरती थीं दिल में,
ना वह गाती हैं, ना लुभाती हैं l

खुदा, मेरी जान, मेरे प्यार को रखना सलामत,
मेरी धड़कने उन्हीं से ही थरथराती हैं l
मेरी उम्र मेरी ज़िंदगी भी उन्हें दे देना,
उनके बगैर तो मुझसे एक शब भी ना जीई जाती है l

GOOD FOR NOTHING!

Nearly forty-weeks of labour,
Three trimesters of increasing pangs,
Anxiety, hopes, desires, and dreams,
And then one fine morning,
In the month of June,
At the Angel Number 666,
The umbilical was finally cut
Between me and my God:
Mother.
Dad said, “He is a Bubble of joy.”
Mom said, “He is the Sun god, Ra.”
The Eleventh Guru
Confirmed the name:
Ravinder or Ravi.

Born in the likeness of God?
Like everyone else?
Ha…
…..and not Ra.
He is…different,
Almost “a maverick.”
Nothing seemed to have
Put him in any known mould.
He can even think
In a world where brilliance
Of learning past knowledge by rote
Counts.

He isn’t just different.
He is evil,
Supercilious,
Egotistical,
Megalomaniac,
Even dangerous.
Actually…..
…..good for nothing.

How can he think
As if he is the only one?
How can he see beyond,
Hear unheard voices?
Travel to places no one dreamt about?

He spurns
Friends, family, society.
We can’t let him live
In a world he calls his own.
He breaks our walls.
He shatters our images.
He is detached, distant, aloof.
Unsociable.
Even anti-social.

It has taken us eons
To build something
We can be proud of:
This society.
This bedrock of civilization.
This paradigm of virtue.
No one,
Not even in the name of creativity
And innovation
Can go beyond.
In our derived and set standards
He is and will always be
A failure..
He will always be…
….good for nothing.

My prayer:

God, in my next life
Don’t give me
A mind that can think,
A heart that can feel.
Just make me a clone,
Of Survival of the Fittest Theory.
And send me on Life’s highway,
Like any other remotely piloted car,
Going generally
In everyone’s direction.
Admired
Loved
Respected
Idolised
Even remembered.
I shall respect all their rules,
And they shall adore me.
From nothingness we emerge,
And into nothingness we go.
But, this way,
The only way,
Tested and tried,
We shall be
Anything, but…
….good for nothing.

Alas.

THE WORLD AND….I

Most of us have
Nothing to say.
Silence is gold, and we have
Discovered a mine.
Nay, many mines.
But, look closely.
Our calm and quiet
Are only when others
Suffer and are in pain.
Those tales don’t touch us.
Waters down the mackintosh
Without a moist spot within.

But, own pain is real.
That blood drips agony.
Those piercing nails
Torment more than
Even Christ on the cross.
Every moment is torturous.
I am the world.
When I suffer
My world suffers.
The same world
Whose pangs and woes
Left me untouched.
Nary a whisper of dew
On the petals of my cheeks.

Love is that magic wand.
Me becomes they.
They become us.
There are no pains
Separate and different:
One real and the other imagined.
You feel, you cry.
On the cross you die.
Even when He is the one
Who is nailed.
Everything is real
Within and without.
You own his or her pain.
His world is yours.
Your world is his.
You own the universe.
You’ve never been so rich.
How bizarre it can get:
I am
When I am not.

P.S. The featured image is courtesy: https://seelenkompass.medium.com/we-are-all-connected-in-the-universe-ab1d354feec8

 

MERE PYAAR MEIN TUMHE KYA MILA?

हमें एहसास है आप हमसे कुछ ख़फ़ा हैं,
फिर सोचते हैं यह कौन सी पहली दफा है l

जो मैं निभा रहा हूँ, वह कबसे मेरी वफा है,
आप फ़िर भी कहती हैं यह मेरी जफ़ा है l

यही खींचातानी, यही जिल्लत, यही जद्दोजहद चलने दीजिए,
हम तो इसे भी मानते हैं आपकी और खुदा की दुआ है l

लोग कहते हैं सब इनाम और अज़ाब यहीं मिलेंगे हयात में,
हम मानते हैं आपका इश्क ही गुनाहगार की सज़ा है l

उनसे प्यार कीजिए जिनसे आपको कुछ तो मिले,
मेरे प्यार में, सनम, कहाँ कुछ नफा है?

आधी ज़िंदगी गुज़ार दी, तेरे ग़म में, ओ सितमगर,
मज़ा ही मज़ा है, नशा ही नशा है l

P.S. The featured image is a painting titled Wasted Love by Gloria Haghpasand, a Swedish artist.

THANK GOD FOR YOU, MAA

There are times,
More often than before,
When I feel lonely and sad.
When friends, relatives and circumstances,
Are ranged against me,
Like brothers, cousins, and uncles,
In Mahabharta.

There are times,
When tears want to break out,
Like feral animals from wicket cages.
When everything looks alien,
Everything looks inimical.
When words from either side,
Are chucked as pointed stones.

There are times,
When rose petals have blown away,
Leaving thorns – stark and sharp.
Hopes have dried,
Like the autumn tree leaves.
Darkness of my heart,
Engulfs everything in and around.

There are times,
When nothing seems to work.
Even gods and my guardian angel,
Appear to have deserted me.

With my soul bruised,
My limbs fatigued,
My voice hoarse,
My lips parched,
I whisper, barely audible, “Mom, I need you….”

I hear that loving voice,
Clear and kind,
Even in the howling storm.
It is near me,
It is within me;
My mother, my God,
My Creator, my Protector,
My joy, my succour:
“Kaka, I hear you,
Put your head in my lap,
Close your eyes and rest.
All your problems will go;
I’ll make sure of that.”

Suddenly, I am aware,
Of my dormant strength.
My mother is beside me,
My God is within me.
My tears and sadness,
Despair and despondency,
Problems and evils,
Deceit and chicanery,
Are outwitted and weakened.
There is just serenity,
Hope and happiness.
It’s name is Maa.

(The featured image is a copy of the 1905 painting titled: ‘Mother And Child’ by Gustave Klimt and is housed in National Gallery of Contemporary and Modern Art in Rome since 1912.)

Follow

Get every new post delivered to your Inbox

Join other followers:

error

Enjoy this blog? Please spread the word :)

RSS
Follow by Email
YouTube
YouTube
Set Youtube Channel ID
LinkedIn
Share
WhatsApp
Copy link
URL has been copied successfully!