तनहाई में कई चेहरे और अफसाने याद आते हैं,
हमारी उदासी में भी वो दिल को लुभाते हैं।
जिन के साथ बिताए थे एक दो पल ही,
वो भी हमें खुशियों का एहसास दिलाते हैं।
फिर खुदा के साथ तो सारी ज़िन्दगी कटी है,
हम उन्हें इतनी आसानी से क्यूं भूल जाते हैं?
गर उनकी इबादत में हम सर झुका लें,
यकीनन गमों के सेहरे बहारों में बदल जाते हैं।
लोग हमें मझदार में छोड़ भी सकते हैं,
खुदा के बंदे हर वक़्त खुदा के ही कहलाते हैं।
रब की पनाह में आसानी से वह सकून मिलता है,
जिसके लिए सभी उंगलियों पे नचाते हैं।
मुहब्बत का सिला लोगों से मिले न मिले, रवि,
सब कुछ मिलता है उन्हें जो खुदा से दिल लगाते हैं।
शुभ प्रभात।