हर किसी की कोई न कोई होती है कहानी,
हर झोले में यादें नज़र आती हैं पुरानी।
क्या क्या महल हमने बनाए हैं,
कोई राजा बना कोई बनी है रानी।
सारे जज्बे हर एक ने किए हैं महसूस,
हर एक इन्सान रहा है फानि।
किसी के तजरुबे कुछ ऐसे अलग नहीं,
हर दरिया से गुज़रा है हर तरह का पानी।
फिर भी यह एक अजब हकीकत है,
बेमिसाल होने की है हर एक ने ठानी।
ज़माने आए और बीत गए एक जैसे,
पर हम फ़िर भी करते रहे नादानी।
हर किसी की लगती है नई कहानी,
हर झोले में यादें नज़र आती हैं पुरानी।
शुभ प्रभात।