AMEER BHARAT KI JHALAK

उन्होंने पांच हज़ार करोड़ की करके शादी,
नव विवाहित जोड़ों की यकायक याद दिला दी l

बहुत हौंसला चाहिए इतनी दौलत लुटाने को,
उनके लिए जिनकी अपनी लुटने वाली हो आज़ादी l

राम मंदिर पूरे देश ने चौदह सौ करोड़ का बनाया l
इस शादी ने तो उसकी भी वाट लगा दी l

रामचंद्र चौदह साल बनवास के बाद बने थे राजा,
पचास सौ करोड़ का मंदिर बनाते गर पचास साल रहते वो बनवासी l

कल रात हम एक करोड़ खर्चने की मन में बनाने लगे प्लान,
बस यूँ कहिए कि दस लाख खर्च करने में पूरी रात बिता दी l

एक शहँशाह ने बनवाया था हसीन ताज महल l
नए शहँशाह ने तो इस मकबरे की नींव ही हिला दी l

अंग्रेजो, तुम छोड़ गए थे हमारे गुलाम देश को गरीब करके,
अब देखो कहां पहुँच गया हमारा क्रिकेट बोर्ड और यह शादी l

यह मिसाल हैं आने वाले बुलंद विकसित भारत की,
चाहे अभी भी रोटी को तरसती हो बहुत सारी आबादी l

क्रिकेट के मैदान में देख के छक्के और यहां हुक्म के इक्के,
सच पूछिये तो हमने अपनी औकात ही भुला दी l

यहां ज़मीन पर ही हमने देख लीं सैंकड़ों हूरें,
जिन्हें जन्नत में ढूँढ रहे हैं गुमराह जिहादी l

HAAY YEH HAI KAISI MAJBOORI!

अब तो पाबंदी लग गई है छूने पे और मिलने पे,
पर तुम तो पहले भी रहती थी मुझसे ऐसे ही दूर।
करोना को क्यूं दें हम इल्ज़ाम ए मुहब्बत,
उस से पहले भी हम रहे हैं ऐसे ही मजबूर।

यही लॉकडाउन यही अकेलापन यही तन्हाई थी,
तुम वहां अपने आप में, मैं यहां अपने ही संग।
तुमने कहां कभी वह चिलमन गिराई थी?
कभी देखा ना था मुलाकात का कोई रंग।

हम तो मरने के लिए भी बैठे थे तैयार,
एक बार मिलने की हसरत गर हो जाती पूरी।
सांस फूल जाती, चड़ जाता तुम्हारा ही बुखार,
वेंटिलेटर पे हमें रख लेना हो जाता ज़रूरी।

चलो किस्मत वाले हैं वह जिनके हो तुम करीब,
हमसे तो रखती हो गजब का सोशल डिस्टेंस।
हम भी उन लोगों की तरह हैं गरीब,
खुशी का जिनकी ज़िन्दगी में नहीं कोई इंस्टेंस।

TO HIS BELOVED “CORONA”

On the first day of Lockdown due to COVID 19, here is the tale of woes of a lover to his beloved. If this reminds of your situation with your wife or husband, it is purely coincidental. If this is the first day, imagine another 20. I will keep up your morale with such pieces!

लॉक डाउन में रह रह के याद आती है,
रुलाने में तुम  करोना से कम नहीं।
कोई और तुमसा नहीं सताती है,
तुम जैसी हो, किसी में दम नहीं।

हो जाता है मुझे भारी बुखार,
सांस मेरी जाती है फूल।
वायरस नहीं, तुम्हारा है चमत्कार,
तुमसे इश्क़ ज़िन्दगी की है भूल।

कहीं से कोई मिलता नहीं इलाज,
करोना वायरस से तो फ़िर भी बच जाऊं।
औरों को तो कई होंगे काम काज,
मैं तो मुहब्बत में ही गंगा नहाऊं।

हाथ धो के पड़ी हो मेरे पीछे,
तुम तो हो सानिटाइजर से परे।
रहता हूं मैं तुम्हारे अंगूठे के नीचे,
जैसे कोई खरगोश शेरनी से डरे।

अगली बार ठीक करूंगा अपना हाइजीन,
कभी तुमसे नहीं करूंगा मैं प्यार।
सांप के आगे कौन बजाता रहे बीन?
करोना से भी ख़तरनाक है तुम्हारी मार।

रिलीज़ करो मुझे अपनी क्वारंटाइन से,
दिमाग पे मेरे हो गया है इफैक्ट।
जाहिल हो क्या मेरे मरने के साइन से,
किसी और को करलो अपना आशिक़ सिलेक्ट।

FUNNY TWIST TO HINDI SONGS #6 – MAAYUS TO HOON WAADE SE TERE

(On 23rd April 18, on my Facebook group ‘Main Shayar To Nahin‘, I started a new series. Here is the sixth one of the series).

मायूस तो हूं वादे पे तेरे,
कुछ पास नहीं कुछ पास भी है,
अब अगली इलेक्शन आई है,
कुछ ख़ास नहीं और ख़ास भी है।

हमने तो अच्छे दिन चाहे थे मगर,
जो तूने दिए अच्छे ही दिए।
मेरी प्यारी भूरी गाय के लिए,
अब घास नहीं और घास भी है।
अब अगली इलेक्शन आई है…

सड़कों पे लगे होर्डिंग पे,
तस्वीर झलकती है तेरी।
घर घर में स्वच्छ भारत है,
संडास नहीं संडास भी है।
अब अगली इलेक्शन आई है…

उधर पप्पू तमाशा बन के रहा,
मायावती भी कॉमेडियन से कम नहीं,
गठबंधन में ऐसे फिरते हैं,
PM बनने की आस नहीं और आस भी है।
अब अगली इलेक्शन आई है…

FUNNY TWIST TO HINDI SONGS #7 – GHAM UTHAANE KE LIYE MAIN TO JIYE JAAYUNGA

मैखाने में जितने पैमाने हैं वो भीे शर्माएं,
मेरे साकी तो इतनी मुझे शराब दे दे,
यही सज़ा है मेरी नशा भी न चढ़े मुझको,
एक दो पेग नही मुझे बेहिसाब दे दे।

रम उठाने के लिए मैं तो पीये जाऊंगा,
हरक्युलिस, ओल्ड मोंक, नाम लिए जाऊंगा।

हाय तूने मुझे ठर्रे के सिवा कुछ न दिया,
और मैंने अंग्रेज़ी दारू के सिवा कुछ न पीया,
तूने शर्मिंदा किया संतरी पिला के मुझको,
तुझे क्या मालूम मैंने एक सिप भी न लिया।
रम उठाने के लिए मैं तो पीये जाऊंगा….

देसी दारू मुझे अब भी नहीं भाती है,
स्वाद और बदबू दोनो का जनाज़ा लेकर,
सोचता हूँ कब तूँ स्कॉच लेके आती है,
मेरी अच्छी परवरिश का इशारा लेकर।
रम उठाने के लिए मैं तो पीये जाऊंगा….

Maikhaane mein jitne paimaane hain wo bhi sharmaayen,
Mere saaki tu itani mujhe sharaab de de;
yehi saza hai meri nasha bhi na chdhe mujhako.
Ek do peg bahin mujhe behisaab de de.

Rum uthaane ke liye main to piye jaayunga,
Hercules, Old Monk, naam liye jaayunga.

Haay tune mujhe dharre ke siva kuchh na diya,
Aur maine English daaru ke siva kuchh na piya;
Tune sharminda kiya santri pila ke mujhako,
Tujhe kyaa maalum maine ek sip bhi na liya.
Rum uthaane ke liye main to piye jaayunga….

Desi daaru mujhe ab bhi nahin bhaato hai,
Swaad aur khushbu dono ka janaaza lekar;
Sochata hoon kab tu Scotch leke aati hai,
Meri achhi parvarish ka ishaara lekar.
Rum uthaane ke liye main to piye jaayunga…

FUNNY TWIST TO HINDI SONGS #6 – TERA JAANA

(On 23rd April 18, on my Facebook group ‘Main Shayar To Nahin‘, I started a new series. Here is the sixth one of the series)

(Tera khaana
Daanton se patthar ka hai chabaana) -2
Kaise khaayen – 2
Jeebh ne aisa swaad nahin hai pehchaana
Tera khaana

Mera dam meri khushi
Jaan hi meri nikal gayi
Kuchh bhi lagta nahin sahi
Tune kaha ye roti hai
Dekhne mein to moti hai
Par asal mein chhoti hai

Aa….

Tera khaana
Daanton se patthar ka hai chabaana) -2
Kaise khaayen – 2
Jeebh ne aisa swaad nahin hai pehchaana
Tera khaana

Jab jab cook aayega
Teri yaad dilaayega
Halwe mein namak milaayega
Main bhookha reh jaaunga
Pata nahin kyaa khaayunga
Pet ko kyaa samjhaayunga

Aa….

Tera khaana
Daanton se patthar ka hai chabaana)
Kaise khaayen – 2
Jeebh ne aisa swaad nahin hai pehchaana
Tera khaana

THE KING AT THE END OF DRINKING

i-Peg Poem of the Week #13

These poems are for my close friend Maj Vishwas Mandloi’s delightful group of tipplers called i-peg. One has to raise a toast to the committed lot for their single-minded aim of spreading cheers!

The last one was titled ‘Kaash Shraab Ke Dariya Hote

Here is the 13th poem:

I wanted her to appreciate,
The king at the end of drinking.
Her attitude was enough to indicate,
She wasn’t, in that manner, thinking.

She looked at me hard,
Her eyes were not even blinking.
I was just a miserable discard,
My heart started sinking.

So I nearly threw the bottle and glass,
For the last time heard their clinking.
But, then, I thought it’d be an act most crass,
My friends would call me a Joe who’s stinking.

So, I kissed the pair (bottle and glass) with emotion,
I saw them appreciatively winking.
And I offered my wife too the magic potion,
For infusion, if not for drinking.

Our days (and nights too) have changed friends,
She sees the king at the fag end of drinking.
I don’t have to make, for her, any amends,
Her joys and mine are forever linking*.

Now our days start with loads of love,
Our evenings have the sounds of clinking;
She is thankful to my little shove,
That changed forever her thinking.

Cheers!

P.S. Or is it lynking?

 

WHY NO FULL OROP – IN LIGHTER VEIN

Hasya Panktiyan of the Day #57

फौज के लिए सब Indian Political Parties का एक रवैया है:
देश की रक्षा फौज करे और उनकी रक्षा के लिए कृष्ण कन्हैया है।

फौज वह गन्ना है जिसका कभी भी कहीं भी निकालो जूस,
तनख्वाह, पेन्शन, और सहूलतों के लिए इन्हें दे दो घास फूस।

एक तो ये disciplined हैं, और discipline से है हमें नफ़रत,
ग़लत चीज़ करने के लिए ये कभी नहीं होते हैं सहमत।

दूसरे हर काम बेहतर करके ये सबको दिखाते हैं नीचा,
जैसे नेतागिरी, बाबूगिरी, सरकार, पुलिस, इनके बाप का है बगीचा।

ये तो ठीक है ज़रूरत आने पे हम इन्हें बुला लेते हैं,
जो काम किसी से नहीं होता हम इन्हीं से करा लेते हैं।

पर इन्हें क्यूं समझ नहीं आता के वोट बैंक में इनका नाम नहीं है,
और हमारा काम निकल जाए तो हमें इनसे काम नहीं है।

अब OROP को ले लो, तकरीबन 45 साल से हम कर रहे हैं implement,
Congress और BJP, हम दोनों ही अपने आप को देते हैं compliment.

जन्तर मंतर और बाकी देश में ये निकाल रहे हैं जलूस,
हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, न ही देश वासियों को होता है महसूस।

एक तो यह होने से इनके discipline का होता है पर्दा फास,
दूसरे media यह cover नहीं करता, उसे देते हैं हम घास।

तीसरे OROP को लाते लाते सिर्फ 45 साल तो हैं हुए,
अजी कुछ तो रख लो 2019 में आने वाली सरकार के लिए।

बाकी खूब जय हिंद, जय जवान के हम भी लगाते हैं नारे,
पर कोई भी पार्टी हो, एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं हम सारे।

WHICHEVER PARTY WINS, INDIA LOSES

Hasya Panktiyan of the Day #56

सियासती दल बनाते बनाते क्यूं यह ख्याल नहीं आ रहा है,
के दल को अहमीयत देते देते मुल्क दल दल में फंसा जा रहा है।

‘पहले जो भी नज़रिया था हमारा, अब हमें उनसे उल्टा करना है’,
दलों के इस रवये से देश पीछे की ओर बढ़ता जा रहा है।

हकूमत बनाने की भी क्या मदहोश सरगर्मी है दलों के लिए,
जैसे तादाद बढ़ रही है उम्मीदवारों की, नशा सा छा रहा है।

एक तो हो जो कहे, “दल से ज़्यादह वतन प्यारा है मुझे,
क्या करेंगे उस दल का जो मुल्क को ही हरा रहा है?”

कितने अच्छे दिमाग हैं हमारे इस महान हिन्दोस्तान में,
फ़िर सियासत में सिर्फ गधों को क्यूं भर्ती किया जा रहा है?

वैसे तो खेलों में हमें बहुत कम मैडल मिलते रहे हैं,
पर हमारी horse trading की मास्टरी से पूरा जहाँन घबरा रहा है।

फौज को फज़ूल किया है border की हिफाज़त के लिए,
जब यह गंदा कीड़ा देश को अंदर से ही खा रहा है।

वोट, वफादारी, ज़मीर सब कुछ बिकाऊ है इनका,
अफसोस, ऐसे लोगों से हिन्दोस्तान भरता जा रहा है।

मुल्क बचाने के लिए कोई मसीहा ही पैदा हो तो, रवि,
वरना मुल्क बचाना अब मुश्किल होता जा रहा है

KYA YEHI HAIN JANTA KE SEWAK?

Hasya Panktiyan of the Day #55

आपस में मर रहे हैं, उलझ रहे हैं, लड़ रहे हैं,
हमारी सरकार हो, उसके लिए झगड़ रहे हैं।

कौन इनको बताए यह तमाशा नहीं लोक सेवा है,
वो जिसको करने के लिए सब दल बिगड़ रहे हैं।

हमने यह किया था, तुमने वो किया था,
यह कह कह कर आपस में अकड़ रहे हैं।

इस पार्टी के बंदे खरीद लिए, उन्हें हमने मना लिया,
यहां वहां से सबको हम पकड़ रहे हैं।

क्या सबको ही जनता का सेवक बनने का शौक है,
या power और पैसे के लिए नाक रगड़ रहे हैं।

क्या माइने निकाले हैं democracy के हमने,
Democracy बनाने वाले इसे देख कर सड़ रहे हैं।

क्या फूल लगाए थे आज़ादी दिलाने वालों ने, रवि,
अब वह वक़्त आया जब एक एक करके झड़ रहे हैं।

KAASH SHRAAB KE DARIYA HOTE

i-Peg Poem of the Week #12

These poems are for my close friend Maj Vishwas Mandloi’s delightful group of tipplers called i-peg. One has to raise a toast to the committed lot for their single-minded aim of spreading cheers!

The last one was titled ‘Main Peeta Hoon Kyun?

कितना अच्छा होता गर शराब के दरिया होते,
उसी का सब पानी पीते, उसी से कपड़े धोते।

इस दरिया में डूबने के हज़ारों बहाने बनते,
लोग इसमें डुबकी लगाते जागते और सोते।

ये दरिया हंसी के सागर तक सबको पहुंचाते,
जी हां, उनको भी जो हर वक़्त हैं रोते।

लोगों का लोगों से होता प्यार और भाई चारा,
सब लोग अमन और उल्फत के फूल पिरोते।

दीन ईमान के रखवाले ना फैलाते नफरत,
इसका अमृत पी के, रहम दिली के बाग बोते।

शैतान भी शैतानी और हैवानी भूल जाते,
खुदा की बेअंत सखावत में लगाते गोते।

यानि, सब गुनाहों ओ बुराईयों का एक ही हल है,
काश मय खुले आम बहती, काश शराब के दरिया होते।

HUM CRORON HAIN TO KYUN INKE PAAS CRORON HAIN?

Hasya Panktiyan of the Day #54

पुलिस के हाथ होते हैं लंबे,
जैसे हों बिजली के बड़े खम्बे;
पर अगर हों VIP अपराधी,
तो बोलो जय जय जगदम्बे।

हज़ारों करोड़ों का घोटाला,
विजय मालया ने कर डाला;
और फिर नीरव मोदी ने भी,
PNB का मूँह किया काला।

कई और हुए हैं फरार,
चाहे किसी की भी हो सरकार;
सब एक थैली के हैं चट्टे बट्टे,
सबका है एक ही परिवार।

यह तो चाहे हों किसी भी दल के,
पैसा लेते हैं हाथ ये मल के,
आम चोर को पकड़ लेते हैं,
VIP निकल जाते हैं छल के।

देश में लागू कई कानून,
ग़रीब का लगे पसीना और खून;
और अमीर चोरी कर के भाग ले,
लंदन, न्यू यॉर्क और रंगून।

अगले चुनाव में लगाओ धक्का,
पंक्चर कर दो इनका चक्का,
यह सब हों जेल के अंदर,
आम आदमी न हो हक्का बक्का।

JISMANI SE MAIN BANA ROHANI

Hasya Panktiyan of the Day #52

हमें बहुत पसन्द थे पूरी छोले,
लेकिन हम थे उस वक़्त बहुत भोले;
तकरीबन बीस हमने खा लिए,
और यूँ कहो के गंगा नहा लिए।

रात भर पेट से आती रही आवाज़,
और अंदरूनी सरगर्मियों के खुल गए राज़;
तब तक तो ज़िन्दगी थी जिस्मानी,
पर तब से रोहानी ज़िन्दगी का हुआ आगाज़।

बड़े जोर से खुदा को किया याद,
और कहा, ए पालनहार, सुनले मेरी फरियाद,
तूने जब पूरी छोले इतने स्वाद बनाये थे,
सोचा क्यों नहीं क्या होगा खाने के बाद।

अगली सेहर खुदा का आया जवाब,
मैंने दुनिया में कई चीजें बनाई लाजवाब;
पर पूरी ज़िंदगी पड़ी है उन्हें खाने के लिए,
एक ही बार खाने से तो होगा पेट खराब।

सामने आ गयी सब खुदा की सच्चाई,
बुद्धा, नानक, ईसा, मोहम्मद ने नहीं थी बताई;
खुदा की दिलकश चीजों का मज़ा लेना है तो,
पहले दूध से हटा लो सारी की सारी मलाई।

क्योंकि जो चीजें बनी हों बहुत स्वाद,
उनसे हो जाती है ज़िन्दगी बर्बाद;
चखने में तो लुत्फ आ जाता है, रवि,
ग़म ही ग़म मिलते हैं खाने के बाद।

MUFT HUYE BADNAAM…

Hasya Panktiyan of the Day #50

जिन के लिए हम हो गए बदनाम,
उन्हें याद भी नहीं हमारा नाम।

“कौन हो तुम, क्या चाहते हो?”
उनके लबों से सुना यह पयाम।

आपको आंच न आने देंगे,
दूर से ही हम करते हैं सलाम।

गलती हमने प्यार में कर ली,
कभी न सोचा था अंजाम।

पहले पता होता तो कभी न करते,
ऐसा एहसान फरामोश यह काम।

प्लीज हमें अब माफ करो जी,
इश्क़ का नहीं लेंगे कभी भी नाम।

नज़्म लिखते लिखते हो गयी,
सुबह से अब अंधेरी शाम।

रवि हमारा नाम था लेकिन,
आपने बना दिया गुमनाम।

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #49 – “SHAYARI KA KHOL DO MALL”

मेरे एक क़दीम दोस्त हैं,
शायरी में है उनका कमाल,
सोच रहे हैं क्यों न खोल दें,
शायरी और नज़्मों का इक mall।
एक तरफ तो सब्जियां मिलें,
पात पात और डाल डाल।
दूसरी तरफ हो शायरी,
हरी पीली भूरी और लाल।

हर ग्रुप में हर चीज़ मिले,
यह है उनका तेज़ ख्याल।
शायरी का हो बोल बाला,
शायरी की हो हर जगह धमाल।
कितने और ग्रुप में डालोगे,
यह न पूछो उनसे सवाल।
शायरी उनके लिए है जैसे,
नेकी कर दरिया में डाल।

बच्चे उनके उस स्कूल में पढ़ते,
सारे मज़मून का है स्टाल।
एक ही क्लास में दस उस्ताद,
बच्चों को लेते हैं संभाल।
घर के सारे कमरे भी common,
न कोई किचन, बैडरूम और हॉल।
Common पकवान बनता है,
खिचड़ी होती माला माल।

फिश मार्किट में कपड़े सिलवाते,
जूते, पतलून, टाई और रुमाल।
वेजीटेरियन खाने में भी,
मिलते चिकन और मीट हलाल।
ट्रैन में टिकट के बारे,
TTE करता जब सवाल,
“कहीं भी कभी भी उतरेंगे,
मुंबई, रूड़की या West Bengal”।

“जिस ग्रुप में शायरी न हो,
उस ग्रुप की बदल डालो चाल।
दुनिया के हर इक कोने में,
मेरी शायरी का फैला हो जाल।
मंदिर, मस्जिद, चर्च में भी,
मेरा ही पूछें दिन रात हाल।
Parliament में zero Hour पे,
मेरी poetry पर उठें सवाल।”

“YKDN पर ban लगाया,
नादान, तुम्हारी यह मज़ाल?
दोस्त ने होते तो मैं यह कहता:
तुम्हारे हो जाए फिटेहाल।
और तुम यकायक बन जाओ,
दुनिया के सबसे बड़े कंगाल।
लानत है तुम्हारे ban पर,
मेरा न बांका होगा बाल”।

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