MUFT HUYE BADNAAM…

Hasya Panktiyan of the Day #50

जिन के लिए हम हो गए बदनाम,
उन्हें याद भी नहीं हमारा नाम।

“कौन हो तुम, क्या चाहते हो?”
उनके लबों से सुना यह पयाम।

आपको आंच न आने देंगे,
दूर से ही हम करते हैं सलाम।

गलती हमने प्यार में कर ली,
कभी न सोचा था अंजाम।

पहले पता होता तो कभी न करते,
ऐसा एहसान फरामोश यह काम।

प्लीज हमें अब माफ करो जी,
इश्क़ का नहीं लेंगे कभी भी नाम।

नज़्म लिखते लिखते हो गयी,
सुबह से अब अंधेरी शाम।

रवि हमारा नाम था लेकिन,
आपने बना दिया गुमनाम।

MISERS AND FREELOADERS

Armed forces used to be a profession for the gentlemen; now, of course, for the ladies as well. Hence, there weren’t many people who would go with you to a restaurant and get sudden urge to visit the toilet as soon as the bill was expected to be presented.

And yet, once in a while, freeloaders are sighted in the social circles in the armed forces too. Though a rare breed, their habits are well-known. They do visit you only at the drinks and the meals timings. They would have wanted to bring gifts along but being sunday, all the shops were closed. They generally want to discuss things (over drinks) of great importance to you since their hearts bleed to see you in difficulty. It is another thing that after they have left you have as many problems as before they arrived plus empty bottles of liquor and soda, unwashed dishes and shabby drawing-room.

They invite you on all their important dates: birthdays, anniversaries and the like so that you won’t forget to bring gifts. Indeed, they would tell you their likes and dislikes in advance and the shops from where to buy the gifts. The really generous ones would advance the information about which shops would be open on Sundays in case you thought of returning the favour of using their excuse for not bringing gifts.

It is not a mere coincidence that most freeloaders are great story-tellers and promise you the moon.

In case you take them up on their invite and actually land up, you are likely to be met with next to nothing at home (it happens to be their fasting day!) After agonising minutes spent with them, they see you off at the door with: “Ravi, yeh tera aana maana nahin jaayega. Tu phir aana, braather, jab mera fast na ho” (Ravi, your visit isn’t counted. You have to come again, brother, when I am not fasting).

Lieutenant Commander B was one such freeloader. I was posted at Navy’s Leadership School called INS Agrani at Coimbatore as a young instructor and this guy arrived on temporary duty from Cochin.

That was during my drinking days and more often than not my drinking partner used to be another bachelor Amarjit Bajwa (Please read: ‘Happy Sixtieth Birthday To My Best Friend’ and ‘Oh, The Memories Of Those Drunken Soirees’). We had found that despite drinking everyday, LtCdr B (senior to both of us) hadn’t signed for a single drink. We had also found that he had checked out of the mess catering so that he could just scrounge from others and won’t have to pay any bills.

That night (the night before he went back), we all sat together and just like every night, B was drinking merrily, expecting one of us to sign the wine chits. Bajwa and I started talking about an imaginary character who was a freeloader and scrounged on others, without paying for anything.

Bajwa: He was shameless.
Me: Yes, really shameless.
Bajwa: So, one night we went to his cabin…
Me: And gave him nice and proper for every drink that we had to sign for him.
Bajwa: He begged for mercy….
Me: But, we won’t hear of it….
Bajwa: Finally….
Me: But, Sir, why are we talking about it?
Bajwa: Yes, there is no one like that here….

B went back to his cabin, double bolted the door from inside and to be on the safe side, barricaded with chairs and a table.

We went to sleep, satisfied like Boy Scouts for having done our good work for the day.

Well past midnight, there were loud shrieks from B that woke us up. B shrieked that he had understood (we were sure that the intoxication caused by free drinks had subsided) that the character in our evening talk was none other than him.

We silently congratulated him for his enlightenment. All greats had got similar revelations in their lives like Budhha, we felt.

He shrieked many other associated things, too unprintable to be put up here.

We didn’t intervene.

The last thing he shrieked was that he would prove us wrong by paying for all his drinks before he left. And his bills.

We had a good night and sweet dreams without even wishing each other.

 

 

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #49 – “SHAYARI KA KHOL DO MALL”

मेरे एक क़दीम दोस्त हैं,
शायरी में है उनका कमाल,
सोच रहे हैं क्यों न खोल दें,
शायरी और नज़्मों का इक mall।
एक तरफ तो सब्जियां मिलें,
पात पात और डाल डाल।
दूसरी तरफ हो शायरी,
हरी पीली भूरी और लाल।

हर ग्रुप में हर चीज़ मिले,
यह है उनका तेज़ ख्याल।
शायरी का हो बोल बाला,
शायरी की हो हर जगह धमाल।
कितने और ग्रुप में डालोगे,
यह न पूछो उनसे सवाल।
शायरी उनके लिए है जैसे,
नेकी कर दरिया में डाल।

बच्चे उनके उस स्कूल में पढ़ते,
सारे मज़मून का है स्टाल।
एक ही क्लास में दस उस्ताद,
बच्चों को लेते हैं संभाल।
घर के सारे कमरे भी common,
न कोई किचन, बैडरूम और हॉल।
Common पकवान बनता है,
खिचड़ी होती माला माल।

फिश मार्किट में कपड़े सिलवाते,
जूते, पतलून, टाई और रुमाल।
वेजीटेरियन खाने में भी,
मिलते चिकन और मीट हलाल।
ट्रैन में टिकट के बारे,
TTE करता जब सवाल,
“कहीं भी कभी भी उतरेंगे,
मुंबई, रूड़की या West Bengal”।

“जिस ग्रुप में शायरी न हो,
उस ग्रुप की बदल डालो चाल।
दुनिया के हर इक कोने में,
मेरी शायरी का फैला हो जाल।
मंदिर, मस्जिद, चर्च में भी,
मेरा ही पूछें दिन रात हाल।
Parliament में zero Hour पे,
मेरी poetry पर उठें सवाल।”

“YKDN पर ban लगाया,
नादान, तुम्हारी यह मज़ाल?
दोस्त ने होते तो मैं यह कहता:
तुम्हारे हो जाए फिटेहाल।
और तुम यकायक बन जाओ,
दुनिया के सबसे बड़े कंगाल।
लानत है तुम्हारे ban पर,
मेरा न बांका होगा बाल”।

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #48 – ZAALIM USTAAD URDU KA

This is a true story!

याद आ गया आज वह ज़ालिम उस्ताद,
जो सिखाता था उर्दू हमें स्कूल में;
उस्ताद कम वह था सैयाद,
मारता था हमें फुट रूल से।

सब लड़के थे बहुत परेशान,
हाथों में हमारे होती थी दर्द;
लड़कियों के सामने मार खाना न था आसान,
कल हमें ही तो बनना था मर्द।

सबने मुझे रहनुमा बनाया,
और कहा रवि तुम आगे बढ़ो;
कल अगर उस्ताद ने फुट रूल दिखाया,
फौरन तुम उसका हाथ पकड़ो।

पकड़ते ही हम उसपे टूट जाएंगे,
और उसे पढ़ाएंगे ऐसा सबक़,
के उसके अपने उससे रूठ जाएंगे,
उसके घोड़े जाएंगे बिदक।

अगले दिन उस्ताद क्लास में आया,
फुट रूल था जब उसके साथ;
मेरे सामने जब हथियार हिलाया,
पकड़ लिया मैंने उसका हाथ।

बाकियों के टूटने का किया इंतज़ार,
पर कोई नहीं मेरी मदद में आया;
मार मार के उस्ताद ने किया मुझे लाचार,
अभी तक उसका उठा नहीं साया।

कहाँ तो लीडर चुना गया था,
कहाँ लड़कियों के मज़ाक का निशाना;
उस्ताद से अच्छा धुना गया था,
जैसे हो कोई ड्रम पुराना।

ख़ैर ज़िन्दगी से कीमती सबक है सीखा,
मदद न लो कभी गैरों से;
अगर चाहते हो कामयाब मनसूबा,
खड़े रहो अपने पैरों पे।

दोस्तों से मिल सकती है ज़िल्लत,
जब सामने खड़ा हो काल,
पहले रहनुमा बनाने मे करेंगे मिन्नत,
फिर तुम्हें छोड़ेंगे हाल बेहाल।

FUNNY TWIST TO HINDI SONGS #5 – JAANE WAALE ZARA HOSHIYAR

(On 23rd April 18, on my Facebook group ‘Main Shayar To Nahin‘, I started a new series. Here is the fifth one of the series)

वोट वालो ज़रा होशियार
कांग्रेस के हैं PM उम्मीदवार,
हमें कहते हैं पप्पू गँवार,
कांग्रेस के हैं PM उम्मीदवार।
वोट वालो..

काम हमारा सबको हंसाना,
जबसे सीखा ज़ुबान चलाना,
हमसे जो टक्कर लेने आये,
हम हैं उनको भी हँसाये।
Cartoons में हमारी जयकार,
कांग्रेस के हैं PM उम्मीदवार।
वोट वालो…

जब भी हमने मूँह है खोला,
जैसे बोतल में coca cola;
झाग बेअंत निकलती जाए,
कोई मतलब समझ न पाए।
आगे पीछे हमारी सरकार,
कांग्रेस के हैं PM उम्मीदवार।
वोट वालो….

FUNNY TWIST TO HINDI SONGS #4 – AAJ SOCHA TO AANSU BHAR AAYE

(On 23rd April 18, on my Facebook group ‘Main Shayar To Nahin’, I started a new series. Here is the third one of the series)

आज काटे तो आंसू भर आये,
मुद्दतें हो गयी प्याज़ खाये।
आज काटे तो….

एक ज़माना था सस्ते होते थे,
इतने महँगे अब कैसे बनाएं।
आज काटे तो…..

वापिस आते उधर उठ के देखा,
सब्जीवाले से किलो ले तो आये।
आज काटे तो…

हमारे पड़ोसी भी स्वाद लेने आ गए,
Completely बिन बुलाए।
आज काटे तो…

जीभ की नाज़ुक रगें टूटती हैं,
प्याज़ इतना भी कोई ना खाए।
आज काटे तो….

MAIN AKELA NAHIN JAB WOH HAI

i-Peg Poem of the Week #10

These poems are for my close friend Maj Vishwas Mandloi’s delightful group of tipplers called i-peg. One has to raise a toast to the committed lot for their single-minded aim of spreading cheers!

The last one was titled ‘Dar Ke Aage Jeet Hai‘.

Here is the tenth one:

आप समझते हो शराब मेरी आदत है,
मैं कहूंगा यह है मेरी मजबूरी,
मैं समझता हूँ यह मेरी इबादत है,
जीने के लिए इसे पीना है ज़रूरी।

शुरू से ही तन्हाईयों का रहा है साथ,
और इस शराब ने ही तो था संभाला;
वरना दोस्त तो सब छोड़ गए हाथ,
रिश्तेदारों नो तो बस मार ही डाला।

एक दिन शराब चली आयी दर पे,
सब दरवाज़े जो हमारे खुले थे;
कोई और नहीं था घर पे,
हम ही उसे अकेले मिले थे।

वह दिन था और दिन है आज का,
शराब बन गयी हमारी हमनशीं;
हमने उतार फैंका नक़ाब लाज का,
बोतल ही हमें लगने लगी हसीं।

कौन कहता है शराब हमारी है आदत,
अब मान लो यह है हमारी हमसफर;
हमने खुदा से ले के इज़ाज़त,
इसे बनाया है अपनी शाम-ओ-सहर।

डूबा रहता है नशे में सारा आलम,
वह है, हम हैं और हमारी तन्हाई;
न चाहिए हमें सनम या कोई बालम,
शराब साथ निभाने चली आयी।

MEHBOOBA DA KUTTA

ਇਕ ਗੱਲ ਤੈਨੂੰ ਕਹਾਂ ਤਾਂ ਬੁਰਾ ਨਾ ਲਈ ਮਨ,
ਜੱਦ ਮੈਂ ਤੈਨੂੰ ਮਿਲਣ ਆਵਾਂ ਅਪਣੇ ਕੁੱਤੇ ਨੋ ਲਈ ਬਨ।

ਕਲ ਮੈਂ ਤੇਰੇ ਲਈ ਸਵਿੱਸ ਚਾਕਲੇਟ ਲੈ ਕੇ ਆਇਆ ਸੀ,
ਜੱਦ ਤਕ ਤੂੰ ਤੈਯਾਰ ਹੋ ਆਈ, ਓਹਨੇ ਸਾਰੇ ਖਾ ਲਿੱਤੇ ਸਨ।

ਪਹਿਲੇ ਓਹ ਅਰਾਮ ਚ ਬੈਠਿਆ ਸੀ, ਪਰ ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਫੜਿਆ ਹੱਥ ਤੇਰਾ,
ਉਹ ਵੱਡਣ ਨੂੰ ਪੈ ਗਿਆ, ਖੜੇ ਹੋ ਗਏ ਸੀ ਓਸਦੇ ਕੰਨ।

ਤੂੰ ਮੇਰੇ ਲਈ ਡ੍ਰਿੰਕ ਬਣਾ ਲੈ ਆਈ, ਮੈਨੂੰ ਆਉਣ ਲੱਗਾ ਸੀ ਮਜ਼ਾ,
ਅਚਾਨਕ ਕੀ ਦੇਖਦਾ ਹਾਂ, ਓਹਨੇ ਗਿਲਾਸ ਹੀ ਦਿੱਤਾ ਭੰਨ।

ਮੈਂ ਹੌਂਸਲਾ ਕਰ ਕੇ ਆਪਣੇ ਬੁਲ ਤੇਰੇ ਵੱਲ ਕੀਤੇ,
ਚਲਾਕ ਕੁੱਤੇ ਨੇ ਘੰਟੀ ਬਜਾ ਦਿੱਤੀ ਟਨ ਟਨ ਟਨ।

ਇਹ ਤਾਂ ਨਹੀਂ ਕੇ ਮੇਤੋਂ ਜ਼ਯਾਦਾਹ ਕੁੱਤਾ ਹੈ ਤੈਨੂੰ ਪਸੰਦ,
ਫਿਰ ਤਾਂ ਮੈਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਕੁੱਤੇ ਨੂੰ ਹੀ ਤੂੰ ਕਰ ਰੱਖੀਂ ਪ੍ਰਸੰਨ।

(Cartoon courtesy: Vector Toons)

Ik gal tainu kahan tanh bura na layi mann,
Jadd main tainu milan aanwan apne kutte nu layi bann.

Kal main tere layi Swiss Chocolate lai ke aayiya si,
Jadd taq tu taiyaar ho aayi, ohne saare kha lite sann.

Pehle oh araam ch baitheya si, par jadon main fadeya hath tera,
Oh waddan nu pai gyeya, khade ho gaye si usde kann.

Tu mere layi drink bana lai aayi, mainu aaun laga si maza,
Achanak ki dekhda haan, ohne glass hi ditaa bhann.

Main haunsla kar ke aapne bul tere wal keete,
Chalaak kutte ne ghanti baja ditti tann tann tann.

Eh tanh nahin ke maiton zyaadah kutta hai tainu pasand,
Phir tanh mainu chhadd ke kutte nu hi tu kar rakhin prasann.

BIBI DA NAUKAR

ਤੇਰੇ ਹੱਥਾਂ ਤੋਂਹ ਕੁੱਟ ਖਾਣ ਦਾ ਮੇਰਾ ਕੋਈ ਖਿਆਲ ਨਹੀਂ,
ਪਰ ਤੇਰੇ ਹੱਥਾਂ ਤੋਂਹ ਦੂਰ ਮੈਂ ਭੱਜਾਂ ਇਹ ਭੀ ਮੇਰੀ ਮਜ਼ਾਲ ਨਹੀਂ।

ਸਾਰੀ ਤਨਖਵਾਹ ਤੇਰੇ ਕਪੜ੍ਹਿਆਂ ਤੇ ਖਰਚ ਦਿੰਦਾ ਹਾਂ,
ਫੇਰ ਵੀ ਫ਼ਕਰ ਹੈ ਮੈਂ ਕੋਈ ਗ਼ਰੀਬ ਕੰਗਾਲ ਨਹੀਂ।

ਮੇਰੇ ਚੇਹਰੇ ਦਾ ਹਰ ਵਕ਼ਤ ਉਡਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਰੰਗ,
ਕੀ ਇਹ ਤੇਰੀ ਤਿੱਖੀ ਨਜ਼ਰ ਦਾ ਅਨੋਖਾ ਕੋਈ ਕਮਾਲ ਨਹੀ?

ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਤੇਰੀ ਤੂੰ ਤੂੰ ਮੈਂ ਮੈਂ ਸੁਣਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹਾਂ,
ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਅਚੰਭਾ ਲਗਦਾ, ਮੈਂ ਫੇਰ ਭੀ ਹਾਲ ਬੇਹਾਲ ਨਹੀਂ।

ਡਿਨਰ ਖਾਣ ਤੋਂਹ ਬਾਅਦ ਥੱਕ ਕੇ ਮੈਂ ਸੌਂ ਜਾਂਵਾਂ,
ਇਹੋ ਜੇਹੀ ਕਿਸਮਤ ਭੀ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਨਹੀਂ।

ਇਕ ਵਕ਼ਤ ਮੇਰੀਆਂ ਜ਼ੁਲਫ਼ਾਂ ਦੇਵ ਆਨੰਦ ਵਰਗੀਆਂ ਸੀ,
ਹੁਣ ਅਫਸੋਸ ਹੈ ਮੇਰੇ ਸਿਰ ਤੇ ਕੋਈ ਬਾਲ ਨਹੀਂ।

ਇਹਨਾਂ ਕੁਜ ਹੋਕੇ ਵੀ ਮੈਂ ਤੇਰਾ ਰਹੀਆਂ ਹਾਂ ਤੇਰਾ ਰਹਾਂਗਾ,
ਦੂਜੀ ਔਰਤ ਵਲ ਨਜ਼ਰ ਚੁੱਕਣ ਦਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸਵਾਲ ਨਹੀਂ।

(Pic courtesy: Desiblitz)

Tere hathan tonh kutt khan da mera koi swaal nahin,
Par tere hathan tonh door main bhajaan eh bhi meri mazaal nahin.

Saari tankhwaah tere kapdheyan te kharch dinda haan,
Pher wi faqr hai main koi gareeb kangaal nahin.

Mere chehre daa har waqt udheya rehnda hai rang,
Ki eh teri tikhi nazar da anokha koi kamaal nahin?

Saara din teri tu tu main main sunana rehnda haan,
Lokan nu achambha lagda hai, main pher bhi haal behaal nahin.

Dinner khaan tonh baad thak ke main saun jawan,
Eho jeyi kismat bhi mere naal nahin.

Ik waqt meriyan zulfaan Dev Anand wargiyan si,
Hun afsos hai mere chehre te koi baal nahin.

Ehna kuj hoke wi main tera rehan haan, tera rahanga,
Dooji aurat wal nazar chukkan da paida hunda sawaal nahin.

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #47 – MERA HASEEN KHWAAB

न जाने क्यों मुझे वह समझते नहीं इन्सान,
दो आंखे, दो बाहें, दो पैर, दो हैं मेरे कान।

क्या क्या न मैंने उनके लिए किया, कोई पूछे,
सस्ते कपड़ों की उनके लिए खोल दी है दुकान।

समझता हूँ क्या उन्हें, ये नहीं उन्हें गुमान,
मैं तीर हूँ इक छोटा सा, वह हैं तीर कमान।

उनके घर के बिल्कुल सामने मैने अपना,
बनवाया है खिड़कियों वाला मकान।

दिन रात मैं यह ख्वाब देख रहा हूँ,
हम दोनों की होगी खूब सन्तान।

ताके हम दो और हमारे सौ से,
बस जायेगा हमारा खानदान।

फिर मेरे लिए चुनाव जीतना,
हो जाएगा इतना आसान।

के एक रोज़ मैं बन जायूँगा,
वज़ीर – ए – हिन्दुस्तान।

न जाने क्यों मुझे वह समझते नहीं इन्सान,
दो आंखे, दो बाहें, दो पैर, दो हैं मेरे कान।

FUNNY TWIST TO HINDI SONGS #3 – BOL RADHA BOL SANGAM HOGA KE NAHIN

(On 23rd April 18, on my Facebook group ‘Main Shayar To Nahin’, I started a new series. Here is the third one of the series)

मेरे जेब का नोट और तेरे हाथ के वोट का,
बोल वोटर बोल संगम होगा के नहीं – 2
“नहीं, कभी नहीं”

कितने चुनाव लड़ चुका हूँ इस गद्दी को पाने में,
हर बार डिपाजिट लूज़ किया है इस सपने सुहाने में,
बैंक का बढ़ता लोन कभी कम होगा के नहीं,
बोल वोटर बोल संगम होगा के नहीं….
“जा, जा”

दो नदियों का मेल अगर इतना पावन कहलाता है,
क्यों न जहां राजनीतिक दल मिलते हैं, स्वर्ग वहां बस जाता है,
नोट से काम न चला तो व्हिस्की रम होगा के नहीं,
बोल वोटर बोल संगम होगा के नहीं..
“ऊंह”

एक बार मुझको मौका दो पावर में आ जाने का,
फिर देखो मैं टूर करूँगा सारे ही ज़माने का,
इस से आपकी प्रॉब्लम का हल होगा के नहीं,
बोल वोटर बोल संगम होगा के नहीं…
“जाओ न, क्यों सताते हो, होगा, होगा, होगा”

FUNNY TWIST TO HINDI SONGS #2 – CHAUDHVIN KA CHAND HO

(On 23rd April 18, on my Facebook group ‘Main Shayar To Nahin’, I started a new series. Here is the second one of the series)

अमावस का चाँद हो, या काली रात हो,
जो भी हो तुम खुदा की कसम करामात हो।
अमावस का चांद हो….

चेहरा है जैसे कद्दू पे रखा हुआ तरबूज़,
या कोई बल्ब हो जिसका उड़ा हुआ हो फ्यूज़,
लगता है सबको ऐसे तुम एक में सात हो।
अमावस का चाँद हो..

ज़ुल्फ़ें हैं जैसे कई साल गेसू न धोये हुए,
मूंझे हैं जैसे धनिये के पौधे बोये हुए,
कहते हैं सब के तुम महाकाली साक्षात हो।
अमावस का चांद हो….

कान हैं जैसे हों कुंडें कढ़ाई के,
दांत हैं जैसे बने हों पुरानी मलाई के,
काली हो जिसमें स्याही तुम वो दवात हो।
अमावस का चांद हो…

FUNNY TWIST TO HINDI SONGS #1 – AAPKE PEHLU MEIN AAKE RO DIYE

(On 23rd April 18, on my Facebook group ‘Main Shayar To Nahin’, I started a new series. Here is the first one of the series)

आपके पहलू में आके रो दिए,
उसी पानी से कपड़े हमने धो दिए;
आपके पहलू में आके…

Bill धुलाई का सहा जाता नहीं,
पर गंदे कपड़ों में अब रहा जाता नहीं,
साबुन को घिसा घिसा के धो दिये,
आपके पहलू में आके…

बदबू ने जब भी किया हमको उदास,
ले आये कपड़ों के साथ पानी और घास,
ज़ोर लगाया ज़ोर लगाकर धो दिए,
आपके पहलू में आके….

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #46 – GALAT FEHMI PYAAR MEIN

ज़िन्दगी में एक दफ़ा आया यह मुकाम,
जब हमें हो गया था खांसी और जुकाम।

हौले हौले निकली भारी आवाज़ हमारी सुनके,
उन्हें लगा यह उनके प्यार का है अंजाम।

सांस हमारी फूली देख उन्होंने जज़्बाती समझ लिया,
इस गलत फहमी में यारो हम हो गए बदनाम।

यहां खांसी हमारी दिन बा दिन बढ़ती जाती थी,
वहां उनकी दिल्लगी ने जीना किया था हराम।

दोस्तो, सर्दी लगने पे फौरन जाईये दवाखाने,
इससे पहले माशूका करदे आपका काम तमाम।

डॉक्टर की दवाई का असर तो देखिए,
खांसी और महबूबा दोनों को किया सलाम।

नहीं तो बिमार की हालत कुछ ऐसी बन आयी थी,
खुद ही अपनी मौत का किया था इंतजाम।

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY – WEEKLY COMPILATION #4

I have this Facebook group called Main Shayar To Nahin‘. Unlike many other groups on Shair-o-Shayari with members running into tens of thousands, I am very cautious about adding members. Following is the description:

“A group for Nazams, Ghazals and Shayari (but not songs). You can either upload your own or of a poet/writer. This is indeed a group for earnest fans of good and serious poetry. YOU SHOULDN’T BE JOINING IT IF YOU ARE ONLY INTO FRIVOLOUS, COPY-PASTE, FAST-FOOD EQUIVALENT IN SHAIR – O – SHAYARI.

Please avoid:

1. Greetings except in poetry.
2. Religious posts including pictures of gods and goddesses.
3. Pornographic, obscene or vulgar stuff.
4. Irrelevant stuff such as sharing phone numbers and ‘Hi, anyone from Pahargang?'”

On the 19 Jan 18, I started with a regular ‘Sher Of The Day’ penned by me. I shall be doing a weekly compilation of those too on this blog. Three days later, on 22 Jan 18, I started with another series ‘Hasya Panktiyan of the Day’. I am doing a weekly compilation of those that are not long enough to stand as separate posts. This is the fourth one:

Hasya Panktiyan of the Day #39

शादी के बाद पड़ गया उनको भी रोना,
जिन्हें बीवी नज़र आती थी चांदी या सोना,
बर्तन और कपड़े धोने में वह माहिर हैं अब,
जिन्हे कभी हाथ तक भी आता न था धोना।

Hasya Panktiyan of the Day #40

रात ख्यालों में वह आयी सांस रुक गयी,
कांपते लबों की प्यास बुझ गयी;
भारी भरकम बदन पेड़ पर जब बैठा,
हर शाख पेड़ की खुद बा खुद झुक गयी।

(Clipart courtesy: pngtreee)

Hasya Panktiyan of the Day #41

काश उन्हें रोक लेता आने से पहले,
और सोच लेता तसवीर बनाने से पहले;
लेकिन क्या करूँ मेरी किस्मत ही ऐसी थी,
देख लिया उनको मैने नहाने से पहले।

Hasya Panktiyan of the Day #42

ज़ालिम तूने मुझे कर दिया है तबाह,
रात से अब हौले हौले हो गयी है सुबह;
तेरे पैर दबाते दबाते थक गए हैं हाथ,
और यह करने की तू देती नही कोई तनख्वाह।

Hasya Panktiyan of the Day #43

बहुत अरसे से वह आये नहीं इधर,
जो ले गए थे मुझसे उधार,
रह रह के मैं देखता हूँ उधर,
पैसे ले के जहां हुए थे वो फरार।

Hasya Panktiyan of the Day #44

खुदा के बाद उनका ही नाम आता था लब पे,
पर एक दिन उनकी बहन को देख जो लिया;
अब भी बीवी दूसरे नंबर पर ही है,
और साली को कहते हैं: या खुदा, या खुदा।

Hasya Panktiyan of the Day #45

आखिर उसने दे ही दिया नज़राना,
सिखा दिया शौहर को रोटी बनाना;
लेकिन पूरा हुनर उसने फिर भी न दिया,
अपने हाथ में रखा बेलन चलाना।

(Pic courtesy: Gfycan)

I hope you enjoyed these.

Please wait for the next compilation.

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