HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #57 – DOCTOR AUR ZUKAAM

डॉक्टर के पास गए हम, हमें हो गया था ज़ुकाम,
कहा ठीक वक़्त पे आ गए नहीं तो सही न होता अंजाम।

पहले MRI करवायो फ़िर देखते हैं CT Scan,
Blood और urine टेस्ट करवाओ नहीं तो काम हो जाएगा तमाम।

Chest X Ray और Ultra Sound की तो बहुत ज़रूरत है,
यह न हो कुछ ही दिनों में हो जाए आपकी राम राम।

Test result जब तक नहीं आते यह चंद दवाइयां लिख रहा हूं,
इनको खाना दोपहर और रात, सुबह और शाम।

ढाई लाख का खर्चा और सात दिन के tests के बाद*,
मेरे जुकाम को धीरे धीरे आ गया आराम।

इतने खर्चे के बाद मेरे दिमाग की घंटी बजने लगी,
अगली बार जब हुआ जुकाम, नाक और छाती पे मला balm.

डॉक्टर से बचना उतना ज़रूरी जितना बीमारी से है,
उतने test लिख देगा वह, जितना बड़ा है उसका नाम।

डॉक्टर ने देखा तो सात दिन में, नहीं तो एक हफ्ता लगेगा,
Common Cold और जुकाम का यही तो है अंजाम।

 

*Based on true story.

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #56 – SMARTPHONE SE BHI SMART

स्मार्ट फोन लेने मैं गया मोबाइल दुकान से,
क्या चाहिए यह नहीं निकल रहा था ज़ुबान से।
फ़िर कहा, “ऐसा दिखाइए जो मुझसे स्मार्टनेस न दिखाए।”
अपना काम मुझे करने दे इत्मीनान से।

Applications ऐसी न हों जो मुझे कठपुतली बना दें।
हर वक़्त यह करो वह करो, हां करे, मना करे।
जो कुछ फ़ोन करे, कुछ तो मेरे कंट्रोल में हो।
आधे से ज़्यादा processes वह न मेरे बिना करे।

बार बार मुझे न बोले यह करो अब download,
आम तौर पे ऑपरेट करे यह in silent mode.
Update कर कर के मुझे और कुछ करने न दे।
बार बार मुझसे न मांगे पासवर्ड या पासकोड।

वीडियो और images download कर के out of memory न चला जाए।
मेरे कुछ गलत करने पे मुझे आंख न दिखाए।
कई चीजें मुझसे ही छिपा के या डिलीट कर देने से,
मेरा ही होके बार बार मुझे ही न डराए।

कई कई हफ्ते बैटरी चार्ज करने की न हो ज़रूरत,
गिर भी अगर जाए तो स्क्रीन न लगे बदसूरत।
Samsung या Apple के लोगो नहीं चाहिए हमें,
कितना अच्छा हो अगर पीछे भगवान श्री कृष्ण की हो मूरत?

सेल्समैन मुझे हड़बड़ा के कोने में ले आया,
दो डिब्बों को एक धागे से उसने बंधाया।
एक उसने मेरे कान में और दूसरा अपने मूंह में लगाया।
दूर से बोला: “सर, अब कुछ समझ में आया?”

मुझे उसकी हरकत बिल्कुल न अाई पसंद,
लेकिन वह मुस्कराता रहा मंद मंद।
स्मार्ट फोन से भी बढ़कर ऐसे स्मार्ट salesmen हों अगर,
Samsung और Apple वालों का बिजनेस हो जाएगा बन्द।

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #55 – DAR KE AAGE JEET

एक ज़माना था जब हमें लगता था डर,
रात को पर्दा हिले तो हम देखते थे इधर उधर।

सांप के बारे सोच के तो जान निकल जाती थी,
कब कहीं पास में आके वह कर दे फर्र फर्र।

भूत प्रेत पर हालांकि मैं नहीं करता था यकीन,
फ़िर भी सोचता था क्या होगा मिल जाए कहीं अगर।

शेर चीते और हाथी का इतना खौफ रहता था,
कि यह हम आदमियों को खाते होंगें पेट भर।

क्लास में अपने उस्तादों से तो मैं यूं डरता था,
कि यह कच्चा चबा जाएंगे मेरी नादानियों पर।

पुलिस, नेताओं और बाबुओं से मैं इसलिए डरता था,
रिशवत लेने के लिए ही बने हैं ये हम सबके लीडर।

और बहुत से डर थे जिन्हें बयान करना है मुश्किल,
एक तरह से ज़िंदा था, और एक तरह से गया था मर।

फ़िर एक दिन, यारो, मेरी शादी हो गई,
अब उसके मुकाबले में कोई और नहीं है डर।

उसका अपना खौफ कुछ इतना बुलंद है,
उसके सामने सारे डर कांपते हैं थर्र थर।

हम सबको यारो बीवी बना देती हैं,
अपने लिए चूहा पर औरों के लिए निडर।

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #54 – ALGEBRA KA X

याद आती है algebra की वह क्लास जहां X का हो रहा था ज़िक्र,
सब सिर खुरचने में लगे थे, X की value का था सबको फ़िक्र।

Algebra की दिलचस्पी इतनी बढ़ गई, हमने नए करतब दिखलाए,
सोचा न समझा बस संगम टॉकीज में Mr X In Bombay देख के आए।

पिताजी को जब चला पता ऊंचाई पे पहुंचा उनका पारा,
हमने कहा X की खोज में जाना पड़ेगा वहां दोबारा।

और कहा हमने जब कुमकुम और किशोर को न चला पता,
तो X कहां है क्या value है, यह नहीं हो सकती हमारी खता।

पिताजी बहुत प्रैक्टिकल आदमी थे, चौंके नहीं हमारी बातों से,
हर मसले को हल करते थे, अपने पैरों से और हाथों से।

उनकी प्रैक्टिकल तजवीज से बहुत से X नज़र आने लगे।
पिताजी की तुलना में हमें algebra के उस्ताद सुहाने लगे।

हाथ पैर जब डैडी ने दिखाए, हम तो पूरी तरह गए घबरा,
संगम टॉकीज में दोबारा हम सीखने नहीं गए algebra.

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #53 – ‘LIKEABLE’ READER

उन्होंने react किया मेरी पोस्ट पे,
वरना इतने तो काबिल नहीं थे हम।
उनकी लव वाली emoji देख के,
कहीं निकल न जाए मेरा दम।

दूसरों की पोस्ट पे तो वह comment करती हैं,
पर उससे हम नहीं होते बदगुमान।
हम तो सिर्फ emoji के लायक हैं,
कहां वो और हम हैं कहां?

वैसे जब वह अपना पोस्ट करती हैं,
फोन लगा के करती हैं request:
“भैया, like करके न छोड़ देना,
Your comment is the best.”

हम घंटो सोच के कुछ लिखते हैं,
वह like करके बजाती हैं ताली।
और पूरा का पूरा Comment Box,
नज़र आता है बिल्कुल ख़ाली।

एक दिन तो मेरी दस पोस्ट पे,
बीस सैकंड में उन्होंने किया like,
ऐसे लगता था जैसे LOC के पार,
Commandoes ने की हो सर्जिकल स्ट्राइक।

ख़ैर प्यारी बहिन है मेरी,
कभी तो करेगी मेरी पोस्ट पे comment,
ख़ास करके क्यूंकि एक ड्राफ्ट कॉमेंट,
मैंने ही उसको दिया है sent.

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #52 – PATAKHE BHI BAND AUR PHOOLJHADI BHI

कहते हैं दिवाली में पटाखे अब कर दिए हैं बंद,
अब वह बन संवर के नहीं निकल सकती।
पटाखा क्या सब लड़के उसे कहते थे बम,
उसकी चुनरिया मुश्किल से थी उसे ढकती।

उसके एक बार गली से गुजरने से,
जैसे लाख बड़े बम गए हों फूट।
जब वह किसी और से गुफ्तुगु करती थी,
लगता था राजधानी एक्सप्रेस गई हो झूट।

जब वह पिंक स्कूटी पे कहीं जाती थी,
लोग जलते थे स्कूटी की किस्मत से।
हेलमेट से आज़ाद होके जुल्फें लहराती थीं,
जैसे घटाएं हों उसकी खिदमत में।

दिल थाम के लड़के रहते थे इंतज़ार में,
स्कूटी की उनकी साइकिल से हो जाए टक्कर।
आम तौर पे यही होता है प्यार में,
जब शुरू होता है प्रेमियों का चक्कर।

कोक पिला के और उसको हैमबर्गर खिला के,
लड़के करते रहे उसका मोबाइल भी चार्ज।
कई कई तो उसके लिए लहंगा चोली सिला के,
अपना मासिक बिल बनाते रहे लार्ज।

फ़िर एक रोज़ वह अपने शौहर के संग,
उसी स्कूटी पे निकली वहां से।
दीवानों का चेहरे से उतर गया रंग।
जैसे मारे गए हों दोनों जहां से।

एक ने कहा ठीक किया है सरकार ने,
जो पटाखे कर दिए हैं गैर कानूनी।
हमारा बम चुराया है इक गंवार ने,
अब तो अपनी ही गली लगती है सूनी।

बैन करवा दो फुलझड़ी भी,
और बंद करवा दो हर तरह के अनार।
हमें तो याद है वो घड़ी भी,
जब एक थी अनार और सौ बीमार।

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #51 – BACHE RAHIYE HASEENO SE

I am reviving a series that I left after the 50th post: ‘HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #50 – PERFECT HAI TO BIWI‘.

Please enjoy #51:

हमने कहा कितना खूबसूरत तुझे बनाया खुदा ने,
तो कहने लगी क्या मैं खुदा नहीं हूं?
हो सकता है तुम्हें अलग नज़र आती हूं मैं,
पर हकीकत में मैं खुदा से जुदा नहीं हूं।

मेरे दिमाग के दरवाज़े यकायक खुल गए,
क्यूं मैं रहा बनके इतना मासूम?
हसीनों और खुदा में सिर्फ एक ही फर्क है,
रहम दिली से हसीन होते हैं महरूम।

महबूब बनके ये छीन लेते हैं दिल का चैन,
और बंदे को बना देते हैं बंदी।
दूर बचके भागने में ही है दोस्तो,
आख़री बार इस्तेमाल करने वाली अक्लमंदी।

नहीं किया तो मुमकिन है आपकी हो हालत,
जो है शमा के पास मंडराते परवाने की।
जल के राख़ हो जाते हैं बेचारे,
जैसे सज़ा मिली हो उनको दिल लगाने की।

गले में फंदा डाल के लटके रहो,
पर हसीनों से हरदम रहो दूर दूर।
खुदा को भी अपने से कम समझते हैं,
अपनी एहमियत में रहते हैं इतने मगरुर।

आजकल ज़माना ही बदल चुका है,
वो भी दिन थे जब हसीने होती थी सावित्री या राधा,
अब वह बराबरी नहीं चाहती हैं,
मर्द को नीचा दिखाने का है पूरा इरादा।

WHAT CAN WE DO WITH FORWARDS?

Guess what? Two weeks after the Cholesterol joke and cartoon, there will still be guys who have got it the first time. Somewhat similar to boys and girls who figure out how to masturbate, the guys who got it ‘the first time’ are excited and want to share with their friends not knowing that the guys are up to their necks with Chole and Sterol having the wrong spellings for Bhature.

What exactly is a Forward? Anything and everything that you or someone shares from the net, which is not your own writing, is a Forward. Such Forwards include nearly 100 percent of all Good Morning messages, jokes, cartoons, poems, songs, and even opinions such as political.

Knowing the kind of damage that these are doing to our society (dumbing down as never before) I wrote two essays:

One was called Are ‘Forwards’ Backward?  and the other was Confessions Of A New Age Intellectual.

We know about the dumbing down. We know about the enormous damage. But, as brought out in the essays, we find it very convenient to push the Forwards further. Indeed, some even take credit for having found them in the first place and hence being worthy of comment and appreciation. There is a sizable number of people who justify pushing Forwards through one argument or the other; eg, “These are harmless and easy way to start the day rather than having to go through other people’s Gyan (translated it means Knowledge but what we intend is Bullshit) early in the mornings.”

Forwards are also meant for people who are in a hurry (Fast Food types) and who just don’t have time for reading anything original. These are more than ninety percent of all people. WhatsApp, for them, is a quick way to socially connect and they don’t want to waste their time on reflection before commenting.

So then, we can conclude that the popularity and lure of Forwards are unlikely to die down. If hundreds of years after the advent of religion, people haven’t reflected upon whether it is still meaningful and sensible, they are unlikely to be swayed by arguments against WhatsApp Forwards. And currently, these Forwards are more attractive than Sermons on the Mount.

Therefore, we can at least have some rules about Forwards and that’s why this essay. Here are they:

1. Verify the Facts before Pushing Forwards. Even though you are hard-pressed for time (it is another thing that you are almost perpetually on WhatsApp) you would find that verifying facts is always a revelation. For example, I came across a post about a popular song of the lyricist Shailendra that was claimed to have been used in a movie much earlier than it was known to us. On the second round of it being pushed, I merely rang up Dinesh, Shailendra’s son, and came to know that this post was a hoax. Take the recent case of Prime Minister Modi collecting garbage from a beach in Mamallapuram whereat he was to have an informal summit with the Chinese President Xi Jinping. People were impressed with the sincerity of the gentleman towards Swachh Bharat until three days later there were the following pictures pushed by the other party:

These pics were accompanied by a message that the PM was grandstanding for the mediawhereas the beach was already combed for garbage much earlier. Now the entire lot was swayed in the opposite direction until it was revealed by India Today that Karti Chidambaram had cleverly used the unrelated pictures above to show Modi down(Please read: ‘Fact Check: Karti Chidambaram posts unrelated image from Scotland with plogging pics of PM Modi). But, Karti Chidambaram must have convinced people – at least those who are die-hard fans of the Congress – that Modi is a fraud. There is, therefore, always a need to check the veracity of the facts enumerated in the Forwards. It doesn’t take too much time.

2. Caption the Videos being Forwarded. Nothing takes as much space in cellphone memory and as much of people’s time as plodding through videos only to find that either these weren’t worth seeing or, worse, you had already seen and downloaded these earlier. When you press down on the video and use the right arrow to Forward it, you have to now select up to five individuals or groups to forward it to. After you have selected these and press the Send arrow, it would go without any caption from you. However, if you Forward it from your Gallery, after selecting the people that you want it to be sent to and before you press the Send arrow, you have a choice to ‘Add a caption…’. At this juncture, you have the public duty to tell your recipients as to what this video is all about. About an year ago, I stopped looking at all videos without captions and I never forward videos without an introduction from me. Hence, if I am one of the recipients, it is even more important that you caption it. If you write an introduction about the video just before sending the video, that would suffice too.

3. Always Date Tag the Forwards and Check If A Forward is Still Current. Many posts are date and time dependent. These are not current for all times to come simply because you can push these at a date and time of your convenience. As an example, two days ago (12th Oct 2019), someone shared a post with the title: ‘Today is Mirza Ghalib’s 220th birthday. Lovely lines from Mirza Ghalib…’. This anniversary was on 27 Dec 2017 and naturally this post was considered current for nearly two years after the anniversary.

4. Reflect Before You Opine. You feel that there is an urgency to comment on a Forward lest you should miss the opportunity later. Your excuse is: “After all, I get thousands of posts everyday and I can’t be expected to reflect on issues.” This is exactly the mindset that makes the society dumbed down. Don’t post off-the-cuff remarks and something you only feel strongly about without knowing facts. Satisfy that you are adding value to the post and not just letting people know how astute you are. As an example, if someone has forwarded a post about some new facts that have surfaced about Einstein’s Relativity of Time Theory, your this comment is adding no value to it: “Ah, I just love Einstein. He was great. There was a time when I couldn’t sleep without reading a chapter of Relativity of Time. I would still read it if I could get a little more time. But, you know how times change.”

5. Don’t Comment on the Thumbnail Only but Read the Article and Comment. When we were in Staff College, we were required to write Book Reviews of nominated books and then present these in the Syndicate. One of the officers – call him Cdr A – presented a book review and it sounded great. Well, until, during questioning, the Syndicate DS brought out that he had merely copied the back cover of the book and hadn’t read the book at all. What was true for Cdr A is true for a large percentage of readers on Social Media. They comment on the thumbnail of the article without reading it at all.

6. Write Something of Your Own at Least Once in a While. Yes, with the Forwards you are winning a lot of popularity, eg, “Your Good Morning messages are really very beautiful.” However, do think if you ever wrote something of your own. Let me give you an example. There was a time when in the Navy we used to present in-house talent during the Navy Week Balls or for that matter even during stage-plays and cultural programmes. Nowadays, a lot of sponsored money is spent on hiring artistes from here and there including from the Hindi films industry (I don’t like the bastardized word: Bollywood). A lot of other people and I still long to have the sense of belonging by presenting or seeing in-house shows. Your Forwards have as little sense of belonging as those sponsored programmes.

That’s it from me, then. I am sure if we follow these simple rules, something can still be salvaged from Forwards.

HASYA PANKTIYAN OF THE DAY #50 – PERFECT HAI TO BIWI

हर किसी को करनी चाहिए आपकी पूजा,
आप सर्वश्रे्ठ हैं, कोई और नहीं दूजा।

हर माइने में आप सबसे महान हैं,
हम हैं इनसान पर आप तो भगवान हैं।

कैसे अपनी किस्मत से आप कर रहीं हैं लड़ाई?
हम सबको करनी चाहिए हर वक़्त आपकी बढ़ाई।

आपकी खूबियों का आपको मिलना चाहिए इनाम,
गोली मारिए हमें करिए काम तमाम।

किस में होगी इतनी मासूमियत जो आप में है,
हर किसी में नहीं ऐसी खासियत जो आप में है।

दुनिया में अगर अव्वल इनसान है तो वह हैं आप,
जिस वक़्त आप की तारीफ न हो वह लम्हा है पाप।

मेम साहब हम आपको झुक के करते हैं सलाम,
भारत रत्ना हैं आप Dr ABC Kalam.

आज से रोज़ बांधेंगे आपकी तारीफ के पुल,
इसी तरह कट जाएगी हमारी ज़िन्दगी मिल जुल।

AH, WE HAVE VOTED!

A friend put up a picture of his finger and himself after voting. This is what I wrote for him instantly:

नाखून पे लगी है काली लकीर,
वोट देने के बाद फिर बन गए फकीर,
मुस्करा क्यूं रहे हो मेरे भाई?
आपकी नहीं उसकी बदली है तकदीर!

अब दुआ करो तुम्हारी वोट से वह जीत ना जाए,
नहीं तो पांच साल रहोगे मूंह लटकाए,
“इस गधे को नेता बनाने में मेरा भी हाथ था,
शर्म से हम किसी को क्या बताएं?”

Indian Democracy की यही तो है परिभाषा,
एक दिन आशा और पांच साल निराशा,
क्या उंगली दिखा रहे हो फोटो में?
पांच साल वह दिखाएगा जिसे तुमने न तराशा।

उंगली क्यूं मूंह करवा आते काला,
देके हर पांच साल चुनाव का हवाला,
सिर्फ NOTA ही सही है इन बदमाशों के लिए,
वरना गायो, “मार डाला…हाय, मार डाला….”

MAIN, WOH AUR UNKI KHUDGARZI

हम जब सोच रहे थे उनके बारे,
वह भी सोच रहे थे अपने बारे।

हम दोनों की एक ही सोच रही,
वह हमें और अपने आप को लगते थे प्यारे।

हमने किसी को ना देखा उनके सिवा,
हमारी आंखों में उनके ही सपने थे सारे।

हमने सोचा वह रहते हैं हमारे दिल के करीब,
उन्होंने अपने संग ही सारे दिन थे गुजारे।

वह अपने आप में एक दिन पूरी तरह डूब गए,
हम बैठे रह गए किनारे किनारे।

कहना पड़ेगा उनकी वफा अपने आप से इतनी थी मज़बूत,
वो हुए अपने ही, ना हुए हमारे।

तीन थे हम, मैं, वह और उनकी खुद गर्जी,
आखिर में वह जीते और हम हारे।

हमारा सहारा था जो टूट गया, रवि,
वह तो अब भी खड़े हैं अपने सहारे।

FUNNY TWIST TO HINDI SONGS #6 – MAAYUS TO HOON WAADE SE TERE

(On 23rd April 18, on my Facebook group ‘Main Shayar To Nahin‘, I started a new series. Here is the sixth one of the series).

मायूस तो हूं वादे पे तेरे,
कुछ पास नहीं कुछ पास भी है,
अब अगली इलेक्शन आई है,
कुछ ख़ास नहीं और ख़ास भी है।

हमने तो अच्छे दिन चाहे थे मगर,
जो तूने दिए अच्छे ही दिए।
मेरी प्यारी भूरी गाय के लिए,
अब घास नहीं और घास भी है।
अब अगली इलेक्शन आई है…

सड़कों पे लगे होर्डिंग पे,
तस्वीर झलकती है तेरी।
घर घर में स्वच्छ भारत है,
संडास नहीं संडास भी है।
अब अगली इलेक्शन आई है…

उधर पप्पू तमाशा बन के रहा,
मायावती भी कॉमेडियन से कम नहीं,
गठबंधन में ऐसे फिरते हैं,
PM बनने की आस नहीं और आस भी है।
अब अगली इलेक्शन आई है…

AUR NAHIN BUS AUR NAHIN…

प्यार होता तो ऐसे तो ना कहते,
सारी ज़िन्दगी आपकी शर्तों को क्यूं सहते,
खुशी में तो पूछ लेते थे हाल हमारा,
कहां हो आप जब आंसू हैं हमारे बहते?

दो से एक नहीं हम दो से तीन हुए,
मै आप में और आप अपने गरूर में लीन हुए,
क्या लुत्फ था हमारी मौसिकी का, हुज़ूर?
अपनी अपनी डफ़ली और अपनी ही बीन हुए।

आखिर खत्म हुआ यह मुश्किल अफसाना,
रोज़ रोज़ का बात बात का बतंगड़ बनाना,
आप अपने रास्ते पे चलिए अपनी खुदी के संग,
हमें अपनी तन्हाई से है रिश्ता निभाना।

कभी फिर ना मिलेंगे ये हमारा वादा है,
आप बिन ज़िन्दगी जीने का ही इरादा है।
बहुत उम्मीद में थे कभी तो बदलाव आएगा,
अब और इंतज़ार करें, क्या फायदा है?

HAMAARE SAPNON KI HOLI

होली में उनका हुस्न,
क्या खूब निखर आया।
ऐसे लगा के आसमान को,
है इन्द्रधनुष ने सजाया।
हरे पीले नीले पे नज़र रुकती थी,
पर लाल ने तो सच ही खूब मन बहलाया।
रंगों को भी देखो उनके गाल पे जा के,
अपने को खोया पर सब कुछ था पाया।
और कई जगह तो ऐसे चिपके थे,
जैसे प्रभु की हो अदभुत माया।
गीले रंगों में तो यूं लगता था,
जैसे देवी जी का अंग अंग हो मुसकाया।
ईश्वर करे उनकी होली आनंदमय हो।
हमारे आनंद सीमा ने एक नया शिवर पार कराया।
यहां हम होली के सपने देखते रह गए,
वहां अचानक ही हमें किसी ने जगाया।
चलो सपनों में ही सही,
होली और उनके हुस्न को रंगों से भरा पाया।

HAAY JEHAD!

हाय क्यों कर बैठे जेहाद,
पूरा मुल्क ही हो गया बर्बाद,
बस चीन ही बचा है ऐसा देश,
जो सुनता है हमारी फरयाद।
झूठ हमारी आदत बनी है,
चाहे कितने आएं एबोटाबाद।

हाय क्यों कर बैठे जेहाद,
पूरा मुल्क ही हो गया बर्बाद,
१९४७ में हिंदुस्तान और पाकिस्तान,
दो मुल्क हुए थे आजाद।
हम फिरते हैं मारे मारे,
और वह फिरते हैं होके आबाद।

हाय क्यों कर बैठे जेहाद,
पूरा मुल्क ही हो गया बर्बाद,
उनकी जीडीपी उछाले मारती,
यहां देहशत है हमारी जायदाद।
उनकी ख्वाहिश चांद को छूना,
कशमीर उजाड़ना है हमारी मुराद।

हाय क्यों कर बैठे जेहाद,
पूरा मुल्क ही हो गया बर्बाद,
वह करते हैं इंसानियत की पूजा,
खून खराबे का हमें है स्वाद।
फिर भी मद मस्ती में घूम रहे हैं।
शायद होश आए तबाही के बाद।


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