Zindagi or Jeevan Songs Series
I started this series on my Facebook group Yaad Kiya Dil Ne on 18 Oct 20. Since then, many other members have put up these songs. Here, I shall be giving you one of my own, per day.
I hope you liked my choice for Song #54 – Chandni aayi banke pyar in Zindagi or Jeevan Songs series. Let’s start with Song #55.
Song #55
Kaise koi jeeye zehar hai zindagi
Theme-word: In the mukhada
Baadbaan – 1954 Movie
In the last two weeks, I have given you quite a few of the movies directed by Phani Majumdar. This 1954 movie Baadbaan (Shelter from Storm). The movie starred Dev Anand, Meena Kumari, Ashok Kumar, Usha Kiran, Mehmood and Leela Chitnis.
Indeevar penned the lyrics of this song and Timir Baran composed it. The song has two versions: the female version by Geeta Dutt and the male version by Hemant Kumar.
Not just that the lyrics are very beautiful (yes, Indeevar wrote these before Bappi Lahiri ruled his life for as many as 500 trash songs), but the composition makes it very suitable as RRR Song. The kind of Regret, Repentance and Ruefulness that you experience with the song makes it very soulful.
I am going to give you both versions. The lyrics are the same in both Geeta Dutt and Hemant Kumar versions:
कैसे कोई जिए ज़हर है ज़िन्दगी
उठा तूफ़ान वो…
उठा तूफ़ान आस के सब बुझ गए दिए~~~
कैसे कोई जिए
बादल है या धुआ आग लगी कहा
जलता ना हो कही मेरा ही आशिया
अंगारे थे आंसू नही वो दिल ने जो पिए
कैसे कोई जिए
ज़हर है ज़िन्दगी
उठा तूफ़ान वो….
तारे ना जाने ऊंचाई गगन की
आंखे ना समझे गहराई मन की
गहराई मन की..तारे ना जाने
प्यासे पपीहे ने आस थी बाधी
उड़ गए बादल अI गई आंधी
हमने जो छेड़ा दिल ने हसी से
होठ सी लिए
कैसे कोई जिए ज़हर है ज़िन्दगी
My Own Poetry
TOOFAN SE HOON ANJAAN
बात कहने से बात निकल आती है,
न कहूं तो बात बन जाती है।
बाहर तूफ़ान आने को है लेकिन,
अंदर धड़कन खामोश हुई जाती है।
इश्क़ की हवाएं तेज़ हुआ करती थीं,
लहरें उमड़ कर उनका ही दम भरती थीं।
दिल की रगें मेरी तो थीं लेकिन,
लगता था वह उनसे कुछ डरती थीं।
और फ़िर वह मुकाम भी आया,
ज़िन्दगी ने इस कदर हमें आजमाया।
जैसे दोनों के बीच आ गया हो,
भूले हुए ज़ख्मों का कोई साया।
क्या खबर उनको हो गया हूं दूर तूफ़ान से,
जैसे साहिल पे पत्थर पड़े हों बेजान से।
इन्सान तो इन्सान है लेकिन,
मैं तो बेरुख हुआ हूं भगवान से।
रहने दो यादों के शोलों को राख में,
पड़ा रहने दो मुझे वक़्त की ख़ाक में।
नहीं लगते हैं वह फूल कभी दोबारा,
एक बार टूट जो गए उस हरी शाख से।
The Song
Ladies and gentlemen, please enjoy both versions of: Kaise koi jeeye, zehar hai zindagi…
I hope you enjoyed my choice for Song #55 in the series.
Please await Song #56 – Chalte chalte mere yeh geet.