RRR Songs (Songs of Regret, Repentance and Ruefulness)
I started this new series on 17 Jan 21 on my Facebook Group Yaad Kiya Dil Ne. My efforts failed to involve people in writing their own stuff about songs and music rather than copying and pasting from here and there or worse, just sharing url of songs from YouTube. Hence, I had decided to give the group a burial that it deserved rather than making it like thousands of groups on Facebook about songs with nothing unique about them at all.
Hence this series shifted to my page Lyrical.
I hope you liked RRR Song #22: Phir thes lagi dil ko. Here is the next song:
Song #23
Woh bhooli dastaan lo phir yaad aa gayi
Rajinder Krishan and Madan Mohan
In this pair, we have some of the most memorable and poignant songs of Lata Mangeshkar. Particularly, in this song, we have excellence of lyrics well matched by the excellence of composition. The best part of the composition is that being a melancholic song, Lata’s “Madan bhaiya” chose to compose it in a fast pace to indicate how she is flooded by memories going past her quickly, like sceneries going past a train. Only the maestro Madan Mohan could have thought of it. He was, in short, a genius. The most outstanding part of the lyrics, which leaves you stunned is:
हवा में ज़ुल्फ़ लहराई, नज़र पे बेखुदी छाई
खुले थे दिल के दरवाज़े, मुहब्बत भी चली आई
Only Rajinder Krishan could have thought of it like he thought of:
घर से चले थे हम तो, खुशी की तलाश में
खुशी की तलाश में
ग़म राह में खड़े थे वही, साथ हो लिये
Incidentally, that too was composed by Madan Mohan and is the best of the duo.
Lyrics
Let’s glance at the most beautiful lyrics of regret and ruefulness:
वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गई – २
नज़र के सामने घटा सी छा गयी – २
वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गयी
कहाँ से फिर चले आये, वो कुछ भटके हुए साये
वो कुछ भूले हुए नग़मे, जो मेरे प्यार ने गाये
वो कुछ बिखरी हुई यादें, वो कुछ टूटे हुए नग़मे
पराये हो गये तो क्या, कभी ये भी तो थे अपने
न जाने इनसे क्यों मिलकर, नज़र शर्मा गयी
वो भूली …
बड़े रंगीन ज़माने थे, तराने ही तराने थे
मगर अब पूछता है दिल, वो दिन थे या फ़साने थे
फ़क़त इक याद है बाकी, बस इक फ़रियाद है बाकी
वो खुशियाँ लुट गयी लेकिन, दिल-ए-बरबाद है बाकी
कहाँ थी ज़िन्दगी मेरी, कहाँ पर आ गयी
वो भूली …
उम्मीदों के हँसी मेले, तमन्नाओं के वो रेले
निगाहों ने निगाहों से, अजब कुछ खेल से खेले
हवा में ज़ुल्फ़ लहराई, नज़र पे बेखुदी छाई
खुले थे दिल के दरवाज़े, मुहब्बत भी चली आई
तमन्नाओं की दुनिया पर, जवानी छा गयी
वो भूली …
वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गयी – २
नज़र के सामने घटा सी छा गयी – २
वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गयी
Sanjog – 1961 Movie
A movie with this name (not the same plot) was made four times: once each in 1943, 1961, 1972 and 1985.
This 1961 movie was directed by Pramod Charavorty and starred Pradeep Kumar as Shyam and Anita Guha as his wife Laali, believed by him to be dead and hence the cause of his re-locating to Bombay. Little did he know that she’d regain her lost senses and hence this song.
My Own Poetry
UNHEN YAAD BHI NA AAYI
वफा की बात करते थे वो, पर करते रहे बेवफाई,
हैरत हुई है यह जान के हमें, हमारी हुई है रुसवाई।
उनके अंदाज़ ए इश्क ने हमें बेहोश कर दिया,
चार दिन की मुलाकात, अब बरसों की है जुदाई।
क्या क्या रंग उनसे मिले, मेहरबानी में सर झुका है,
ख़ून ए जिगर तो लाल हुआ, आंखों तले सियाही।
जशन ए ज़िन्दगी में वह कुछ इस तरह थे गरक शुदा,
हमारी शमा ए हयात बुझ रही थी, उन्हें याद भी न अाई।
सुहाना सफर शुरू किया था उनके संग, लबों पे गीत थे,
थोड़ी दूर चलते ही कश्ती ए मुहब्बत डगमगाई।
शादमा थे यह सोच के, साथ चलेंगे जन्मों जन्मों तक,
नींद जब खुली तो मीलों बेकरारी नज़र आयी।
दामन में समेट के रखी है उस याद की गर्म राख,
बरसों से सुलगती रही, अभी तक वो जल न पाई।
The Song
Ladies and gentlemen, please enjoy: Woh bhooli dastaan, lo phir yaad aa gayi….
I hope you liked Song #23 in this series.
Please await Song #24: Seene mein sulagte hain armaan.