Zindagi or Jeevan Songs Series
I started this series on my Facebook group Yaad Kiya Dil Ne on 18 Oct 20. Since then, many other members have put up these songs. Here, I shall be giving you one of my own, per day.
I hope you liked my choice for Song #51 – Woh tum na thi woh hum na the in Zindagi or Jeevan Songs series. Let’s start with Song #52.
Song #52
Mere dushman tu meri dosti ko tarse
Theme-word: Jiye is tarah se tu zindagi ko tarse
Not My Style
A lyricist is different from a poet; he or she writes as per the diktats of the director and the plot. So, considering the large hearted person (he was also a good party singer) that Anand Bakshi was, it is unthinkable that if hurt in love, he’d wish Zindagi for his beloved, which is worse than death.
Shakeel in Dil Diya Dard Liya, in similar circumstances had this to say:
हम वो नहीं जो प्यार में रोकर गुज़ार दें
परछाईं भी हो तेरी तो ठोकर से मार दें
वाक़िफ़ हैं हम भी ख़ूब हर एक इंतक़ाम से
Here is my style:
BEWAFAYI KA INTEQAAM
हरदम खुशी की तमन्ना की थी तेरे प्यार में,
ज़िन्दगी भर के ग़म मिल गए उधार में।
खिज़ा आने का इंतज़ार भी ना किया,
हम तो लुट गए काफिला-ए-बहार में।
मुहब्बत में हो गए रुस्वा कुछ इस तरह,
नज़र आने लगी तौहीन-ए-उल्फत हर जगह,
तेरी महफ़िल में बदनाम होना यकीनन था,
हंसने लगे हम पे सब लोग बेवजह।
ना समझे इस में हमारा क्या था कसूर,
मानते हैं मुहब्बत की थी हमने ज़रूर,
पर इसकी इतनी बड़ी मिलेगी सज़ा,
यह बात तो दिल के बहुत ही थी दूर।
हम लेंगे तेरी बेवफाई का इन्तकाम,
तेरी रुसवाई का भी कर लेंगे इंतज़ाम,
फ़ना हो जाएंगे तेरे प्यार में इस कदर,
के लोग तुझको भी कर देंगे बदनाम।
Punjabis – Strong Likes and Dislikes
You know the song involves Punjabis and they have strong likes and dislikes; they love from heart and if slighted, also hate from heart. Here is what Anand Bakshi wrote for Dharmendra (in this case a misunderstanding in the 1966 J Om Prakash movie Aaye Din Bahar Ke:
मेरे दुश्मन तू मेरी दोस्ती को तरसे
मुझे ग़म देने वाले तू खुशी को तरसे
तू फूल बने पतझड़ का, तुझ पे बहार न आए कभी
मेरी ही तरह तू तड़पे तुझको क़रार न आए कभी
जिये तू इस तरह की ज़िंदगी को तरसे
इतना तो असर कर जाएं मेरी वफ़ाएं ओ बेवफ़ा
जब तुझे याद आएं अपनी जफ़ाएं ओ बेवफ़ा
पशेमान होके रोए, तू हंसी को तरसे
तेरे गुलशन से ज़्यादा वीरान कोई वीराना न हो
इस दुनिया में तेरा जो अपना तो क्या, बेगाना न हो
किसी का प्यार क्या तू बेरुख़ी को तरसे
The object of his hate (erroneously) is Asha Parekh.
The Song
Ladies and gentlemen, please enjoy Mohammad Rafi singing for Dharmendra a composition of Laxmikant Pyarelal on the lyrics of Anand Bakshi: Mere dushman tu meri dosti ko tarse…
I hope you enjoyed my choice for Song #52 in the series.
Please await Song #53 – Dil laga kar ham ye samajhe.