मच्छर, मक्खी और चूहों की हुई इमरजेंसी कॉन्फ्रेंस,
स्वच्छ भारत का मोदी कर रहे हैं इंतज़ाम।
अगर हिन्दुस्तानियों को आ गई यह सिविक सेंस,
तो हम सब का तो हो जाएगा काम तमाम।
हर साल देश वासियों की insect welfare स्कीम से,
हमारी तादाद बढ़ती ही जा रही है,
डाक्टर और कैमिस्ट बहुत खुश हैं इस सोशल थीम से,
उनकी झोली में और इनकम आ रही है।
उनकी दयालुता से हम बहुत मुत्मइन हैं,
गंदगी फैलाने वाले इंडियन हमारे हैं अन्नदाता।
कचरा फैंकने, खुले में संडास में वह इतने लीन हैं,
हमारे काबीले के सब कीड़े मकोड़ों का गुज़ारा हो जाता।
अगर मोदी इस में कहीं हो गए कामयाब,
तो हम सब लोग कहीं के न रहेंगे।
कुछ करने के लिए मोदी बहुत हैं बेताब,
उनकी बेरहमी हम सह नहीं सकेंगे।
इतने में एक चूहा, बड़ा और होशियार,
उठा अपनी राए सुनाने के लिए।
मोदी की किसी स्कीम को opposition न होने देगी कामयाब,
और देशवासी नहीं हैं देश बनाने के लिए।
कूड़ा करकट फैंकना उनकी आज़ादी का है निशान,
एक मोदी क्या करेगा बेचारा?
बरसों बाद हम जरासीम बने रहेंगे सुल्तान,
हिन्दुस्तानियों का हमको बहुत है सहारा।
कई साल बाद वह चूहा साबित हुआ ठीक,
भारत कभी भी स्वच्छ ना हो पाया।
इंडियंस कीड़े मकोड़ों में हैं शरीक,
जोर से सब ने मिलके यह नारा लगाया:
“हमने पाई है ऐसी आज़ादी,
बढ़ती जा रही है हमारी आबादी।”
लॉन्ग लिव इंडियन फ़्रीडम!