My sister Anju, in Kandaghat, left us suddenly and at a very young age on Wednesday, 23 Apr 19. Even though much younger to me, I always addressed her as ‘Deedi’. I penned the following after attending her funeral on 24th:
एक दीपक था जो बुझ गया,
एक सांस थी जो थम गई।
चलते चलते राही रुक गया,
एक आंख थी जो नम हुई।
अंजू था नाम मेरी बहिन का,
हजारों थे उसमें गुण।
होटल* चलाना बहुत कठिन था,
कभी इसकी कभी उसकी सुन।
पर उसने क्या संभाला समां,
याद आती है उसकी मुस्कान।
हर किसी से हंस हंस के मिलना,
चेहरे पे ना आने देना थकान।
इतना कुछ करने के बाद,
फिर घर को भी चलाना।
साईं बाबा की करना फरियाद,
और कीरतन में सबको नचाना।
कई बार ऐसा लगता था,
दर्जनों होंगी अंजू की बाहें।
हर काम उसे जचता था,
हर तरफ थी उसकी निगाहें।
पर जबसे गया था समीर**,
तबसे थी अंजू बहुत उदास,
क्या खूब था उसका ज़मीर,
जा पहुंची वह उसी के पास।
खोया है हम सब ने मिल के,
एक इतनी प्यारी हस्ती को।
मेरी तो बहिन थी दिल से,
पर दुख पहुंचा है सारी बस्ती को।
साईं करे उन्हें रखे प्यार से,
पूरे परिवार को संग हो यादों का,
सनी और कुनाल ना हों बेकरार से,
अंजू चिन्ह बने उनके इरादों का।
हम तुम्हें कभी न भूल पाएंगे,
तुमसे ही कंडाघाट की शान थी।
दिन और साल बदल जायेंगे,
कहेंगे हमारी बहन हमारी जान थी।
*She ran the restaurant ‘Sunny’s Full Stop together with her husband Sunny.
**She lost her son Sameer within three days of his marriage last year. She never fully recovered from the tragic loss.
Sad at learning about her demise. May Almighty bless her Soul. Om Sai Ram.
Oh, very sad. Our heartiest condolences. May the great soul rest in peace..🙏🙏💐💐
Losing one’s sibling is very painful and certainly an irreparable loss. Our heartfelt condolences.
Vo ek bhot hi nek dil insaan thi unhe kabhi bhula nahi jasakta hum sab ke dilo me vo raaj karegi humari yaado me hamesha unka vaas hoga unki muskan kabhi na bhulapaege
Very Sad… RIP humble Soul….Om Shanti Sadgati.