अब यह मायूसी क्यूं और क्यूं है बेताबी,
तूने कहा था फिर से बनते हैं अजनबी।
राहें अलग हों इसमें कुछ नहीं है ख़राबी,
न तुम बनोगे दुश्मन, न हम होंगे मतलबी।
नहीं आसां है बन जाएं इक रोज़ अनजान,
नहीं आसां है थाम लें यादों का तूफान;
नहीं आसां है रास्ते फिर से हों सुनसान,
जो रफ्ता रफ्ता बन गए थे प्यार की पहचान।
मुश्किल है इश्क़ की आग का लगाना,
लग जाये तो मुश्किल है उसका बुझाना;
मुश्किल है दिल को दिल से मिलाना,
मुश्किल है फिर रिश्तों को तोड़ के जाना।
शायद तार टूट जाये मरने के बाद,
शायद तब न आएं एक दूजे को याद,
शायद दिल की बस्ती फिर से हो आबाद,
जो न जाने क्यूं हमने की थी बर्बाद।
चलो तब तक मिल के करते हैं इंतज़ार,
चलो तब तक फिर से करते हैं वही प्यार;
चलो फिर से ले आएं ज़िन्दगी में बहार,
चलो फिर अजनबी बनने से करते हैं इनकार।
Author: Sunbyanyname
I have done a long stint in the Indian Navy that lasted for nearly thirty seven years; I rose as far as my somewhat rebellious and irreverent nature allowed me to. On retirement, in Feb 2010, the first thing that occurred to me, and those around me, was that I Flew Over the Cuckoo's Nest (you will find an article with this title in this blog) and hadn't lost all my noodles and hence thought of a blog titled 'This 'n That'. I later realised that every third blog is called 'This 'n That' and changed the name to 'Sunbyanyname'. I detest treading the beaten track. This blog offers me to air 'another way' of looking at things. The idea is not just to entertain but also to bring about a change. Should you feel differently, you are free to leave your comments. You can leave comments even when you agree and want to share your own experience about the topic of the blog post. Impudent or otherwise, I have never been insousciant and I am always concerned about the betterment of community, nation and the world. I hope the visitors of this blog would be able to discern it.
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