ज़िन्दगी में एक दफ़ा आया यह मुकाम,
जब हमें हो गया था खांसी और जुकाम।
हौले हौले निकली भारी आवाज़ हमारी सुनके,
उन्हें लगा यह उनके प्यार का है अंजाम।
सांस हमारी फूली देख उन्होंने जज़्बाती समझ लिया,
इस गलत फहमी में यारो हम हो गए बदनाम।
यहां खांसी हमारी दिन बा दिन बढ़ती जाती थी,
वहां उनकी दिल्लगी ने जीना किया था हराम।
दोस्तो, सर्दी लगने पे फौरन जाईये दवाखाने,
इससे पहले माशूका करदे आपका काम तमाम।
डॉक्टर की दवाई का असर तो देखिए,
खांसी और महबूबा दोनों को किया सलाम।
नहीं तो बिमार की हालत कुछ ऐसी बन आयी थी,
खुद ही अपनी मौत का किया था इंतजाम।