I have this Facebook group called ‘Main Shayar To Nahin‘. Unlike many other groups on Shair-o-Shayari with members running into tens of thousands, I am very cautious about adding members. Following is the description:
“A group for Nazams, Ghazals and Shayari (but not songs). You can either upload your own or of a poet/writer. This is indeed a group for earnest fans of good and serious poetry. YOU SHOULDN’T BE JOINING IT IF YOU ARE ONLY INTO FRIVOLOUS, COPY-PASTE, FAST-FOOD EQUIVALENT IN SHAIR – O – SHAYARI.
Please avoid:
1. Greetings except in poetry.
2. Religious posts including pictures of gods and goddesses.
3. Pornographic, obscene or vulgar stuff.
4. Irrelevant stuff such as sharing phone numbers and ‘Hi, anyone from Pahargang?'”
On the 19 Jan 18, I started with a regular ‘Sher Of The Day’ penned by me. I shall be doing a weekly compilation of those too on this blog. Three days later, on 22 Jan 18, I started with another series ‘Hasya Panktiyan of the Day’. I am doing a weekly compilation of those that are not long enough to stand as separate posts. This is the first one:
Hasya Panktiyan of the Day #1
खुशी के साथ ग़म हैं, ग़म के साथ है खुशी,
क्या इस के बारे किसी ने सोचा है कभी?
खुदा की मार्केट में ही पहली बार स्कीम निकली थी:
बाइ वन एंड गेट वन फ्री ।
Hasya Panktiyan of the Day #2
ग़रीबी वो बला है जो मिटने का नहीं लेती नाम,
इसमें हम देश के नेता क्यों हो रहे हैं बदनाम?
पहले अपनी और फिर खानदान की मिटा डाली,
सारे देश की मिटा दें, यह भी क्या हमारा ही है काम?
Hasya Panktiyan of the Day #3
चोर मेरे घर आया, अंधेरे का हुआ उसे भर्म,
मैने कहा अंधेरा क्यों है, इस का तो जान लो मर्म,
अंधेरा इसलिए नहीं के मैं सोने जा रहा था,
घर में कुछ है नहीं, इसी की आ रही थी शर्म।
Hasya Panktiyan of the Day #4
आप यूहीं हमें वोट देते रहें,
जेब के सिक्के और नोट देते रहें,
हम भी वादा करते हैं, हर चुनाव के बाद,
हम ऐसे ही तुम्हें चोट देते रहें ।
Hasya Panktiyan of the Day #5
दिल में अरमान थे देश के लिए कुछ कर लूं,
फिर मैंने सोचा पहले अपनी तिजोरी तो भर लूँ,
Charity begins at home स्कूल में सीखा था,
भई जो सीखा है उस पर तो अमल कर लूं।
Hasya Panktiyan of the Day #6
जब से आम हुए हैं तेरे मेरे प्यार के चर्चे,
तब से बढ़ गए हैं मेरी ज़िंदगी के खर्चे,
सारी रात बीत जाती है रोते रोते,
सारे दिन में सवाल है अगरचे मगरचे ।
Hasya Panktiyan of the Day #7
पिछले बीस सालों से आप ही का केस कर रहा हूँ,
वक़्त के साथ बढ़ी तेज रेस कर रहा हूँ,
बस दस पंद्रह सालों में फैसला हो ही जायेगा,
मैं कौन सा वकीलों को डिसग्रेस कर रहा हूँ।
I hope you liked these.
Please await my next compilation.