These poems are for my close friend Maj Vishwas Mandloi‘s delightful group of tipplers called i-peg. One has to raise a toast to the committed lot for their single minded aim of spreading cheers!
हमको पीने के बहुत आते हैं बहाने,
जब नहीं पीते तो वह खुद आते हैं पिलाने,
शराब में पानी तो सब मिलाते हैं लेकिन,
हम तो माहिर हैं शराब में और शराब मिलाने।
लोग करते हैं शराब में ज़िन्दगी होती है बर्बाद,
अपनी तो दुनिया है मय से ही आबाद,
पीने को कौन कमबख्त कहता है हमें,
पर क्या करें जब आ जाती है उनकी याद?
फिर तो नशा कुछ बढ़ता ही जाता है,
उनकी आंखों का सरूर चढ़ता ही जाता है,
सब तरह के रंग हैं ज़िन्दगी मैं,
पर लाल रंग और भी पकड़ता ही जाता है।
कई बार सोचा है शराब छोड़ दूं,
बोतल का कसूर है, तो बोतल ही तोड़ दूं,
फिर तन्हाई का ख्याल आ जाता है,
जो तक़दीर में है उसे कैसे फोड़ दूं?
अब जी भर के पुकारो मुझे कह के शराबी,
ना इसमें अच्छाई है और ना है खराबी,
बोतल भी छोड़ दी अब उसका क्या करें,
जो उनकी आंखे हैं नशीली और गुलाबी?
Hamako peene ke bahut aate hain bahaane,
Jab nahin peete to woh khud aate hain pilaane,
Sharaab mein paani to sab milaate hain lekin,
Ham to mahir hain sharaab mein shraab milaane.
Log kehte hain shraab mein zindagi hoti hai barbaad,
Apni to duniya hai maya se hi aabaad,
Peene ko kaun kambakht kehta hai hamen,
Par kyaa karen jab aa jaati hai unaki yaad?
Phir to nasha kuchh badhta hi jaata hai,
Unaki aankhon ka saroor chadhta hi jaata hai,
Sab tarah ke rang hain zindagi mein,
Par laal rang aur bhi pakadhta hi jaata hai.
Kayi baar socha hai shraab chhod doon,
Botal ka kasoor hai, to botal hi tod doon,
Phir tanhaayi ka khyaal aa jaata hai,
Jo taqdeer mein hai use kaise phod doon?
Ab jee bhar ke pukaaro mujhe keh ke shraabi,
Naa ismein achhayi hai aur naa hai khraabi,
Botal bhi chhod di ab iska kyaa karen,
Jo unaki aankhen hain nasheeli aur ghulaabi?
बहुत खूब ।
बड़ी ही खतरनाक हैं ये नशीली आंखें ।
लाजबाव, वेमिसाल हैं ये गुलाबी आंखें ।
शराब तो खामख्खाह बदनाम है ,
असली गुनाहगार हैं ये रसीली आंखैं ।।
पहली कविता में सबको पहाड़े याद आ गए,
दूसरी में सब बन गए कवि,
यही सिलसिला चलता रहा तो एक दिन,
हर कोई अपने आप को बुलायेगा रवि!
Thanks Ravi bhai for being so thoughtful and kind for the group.!! I can not describe how much elated I feel by being so generous.!! Thanks again and so much.!!
You are most welcome Vishwas. Friends are very important to me.
हे कवि आपको क्या दिक्ककत है गर सब बन जायें । सौर मण्डडल का मुखिया भला कौन है ? बताओ तो जानें ।।।
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