SINGING MY OWN POEMS – PART II

I have been writing poems from the age of sixteen. Poems are a way, for me, to express inner feelings. Exactly one year ago, after many years, I started composing my poems and started singing them.

I hope you liked Part I with six poems.

Here is Part II with another six poems.

#7 – UNAKO HAAL-E-DIL KYA SUNA BAITHE

I am fond of this both for lyrics and composition and the twist in the end:

उनको हाल-ए-दिल क्या सुना बैठे,
लगता है खुद को खुद से गंवा बैठे।

तब तक ज़िन्दगी में सब कुछ था मुझे याद,
अब तो ज़िन्दगी का सब कुछ भुला बैठे।

जान का सौदा किया था उनको पाने के लिए,
होश आया तो अपनी हस्ती मिटा बैठे।

कहा था सबने नज़रें बचा के रखना,
नज़रें मिलते ही क्या क्या लुटा बैठे।

मेरा दिल मुझसे ही दगा कर बैठा,
नाज़ुक लबों से जब वह मुस्करा बैठे।

थम गया समां बंद हो गयी दिल की धड़कन,
तसव्वुर में जब वह पास आ बैठे।

दिल्लगी उन्होंने की, हमें लगा सच ही होगा,
जागते सोते हज़ारों ख्वाब सजा बैठे।

उनके जाने का ग़म न होता मुझे, रवि,
ग़म तो यह है हम दिल पे लगा बैठे।

Please enjoy: Unako haal-e-dil kya suna baithe…

#8 – PHIR YAAD NE TADPAYA

Tassavur (Imagination) is a recurring theme with me. If you recall in Part I of this post, I gave you Tu, a poem I wrote at the age of 16 years wherein I created a beloved completely in Tassavur.

Here is what Tasssavur can do for me:

आज फिर तसव्वर में उनका दीदार हो गया
खुदा की रहनुमाई पे फिर से ऐतबार हो गया
ना मेरे करीब हैं वो ना मुझसे दूर रहते हैं
फिर से दिल की अफरा तफरी का आसार हो गया

ज़िन्दगी सेहरा बनी थी उनकी अलैहदगी में
उनके मिलते ही आलम गुलज़ार हो गया
हमने माना करामात-ऐ- ख्याल ही था लेकिन
चंद लम्हों के लिए दिल खुशगवार हो गया

मुझे यकीन है तग़ाफ़ुल मुझे वह नहीं करते
उनकी खामोशी से ही इश्क़ का इज़हार हो गया
हैरत तो उनको खूब होगी मेरे अंदाज़-ऐ-वफ़ा पे
अब मुझे अपनी तन्हाई से भी प्यार हो गया

Please enjoy: Phir yaad ne tadpaya…

#9 – TRIBUTE TO LATA MANGESHKAR ON HER DEMISE, 06 FEB 2022

On the day when Baharat Ratna Lata Mangeshkar passed away I published my tribute. What I did was to have one of her most popular songs: Lag jaa gale ke phir and write both the stanzas in her honour:

लता जैसी गायिका मिलती है दुनिया में एक बार,
आज उनके जाने से हम सब रोते हैं जार जार,
उनके नए गीतों की अब सौगात हो ना हो,
शायद फिर इस जन्म में…
सच कहूँ मैं Lata जी सबसे महान थी,
पूरे देश की यह कोयल हम सबकी जान थी,
आज से हमारे उपर उनका हाथ हो ना हो
शायद फिर इस जन्म में…

Please enjoy, with a difference, her popular song penned by Raja Mehndi Ali Khan and composed by Madan Mohan in Raag Pahadi: Lag jaa gale ke phir…

#10 – KHWAABON MEIN RAKHA HAI SAMBHAAL KE

Here is, once again, my recurring theme of Tasssavur:

तस्सवुर में उनसे हुई गुफ्तगू, मज़ा आ गया,
कब से रही है मेरी जुस्तजू, मज़ा आ गया।

जनमों की कहानी है, यह राज़ ना समझा कोई,
कहां होगी खत्म और कहां शुरू, मज़ा आ गया।

चलो ख्वाबों में ही मिली, मुझे कोई गिला नहीं,
क्या हुआ और क्या थी मेरी आरज़ू, मज़ा आ गया।

समा बांध लिया मेरे मन की छलांग ने,
रख ली प्यार की आबरू, मज़ा आ गया।

इंतज़ार करते रहे ज़िन्दगी भर यूं, रवि,
अब हुए हैं वह रूबरू, मज़ा आ गया।

मेरा हिस्सा गुफ्तुगु में एक अजीब खामोशी थी,
मैं कहूं कुछ या न कहूं, मज़ा आ गया।

लोग कहते रहे वह ना आएगी, वह नहीं है,
पर वह खड़ी थी हूबहू, मज़ा आ गया।

Please enjoy: Khwaabon mein rakha hai sambhaal ke…

#11 – BILLI KA DALEEL – AGAR MIL JAAYE VAKEEL

Vakeel (Lawyers) everywhere are the same. However, Indian Vakeel are a class by themselves.

Here in this parody I have drawn a sketch of Indian Vakeel:

सड़क पे जा रही थी बिल्ली अपने नन्हे बच्चों के साथ,
काले कोट पैंट में आदमी क्रॉस किया, फाइल थी उसके हाथ।

बच्चों को बिल्ली ने रोका: लगता है यह तो वकील।
इसने रस्ता क्रॉस किया तो अपशुगन होगा, अाई फील।

“मम्मी” पहले किटन ने कहा, “वकील ही तो है बेचारा।”
बिल्ली बोली, “ऐसी नादानी फिर न सोचना दोबारा।”

“जिनका भी रस्ता इसने कभी भी किया है क्रॉस,
लाइफ उन सब की हैस गॉन फॉर ए टॉस।”

“लोग क्रॉसिंग बिल्लियों को समझते हैं बैड लक,
पर बच्चो, मेरी लाइफ का एक्सपीरियंस कहता है WTF.”

“सब लोग कहते हैं बिल्लियां और लोमड़ियां होती हैं चालाक,
पर वकील तो हम सबको भी पकड़ा देगा ख़ाक।”

“हमारा केस यह लटका देगा अगले बीस या तीस साल,
और कहेगा फैसला होने ही वाला है तत्काल।”

“बटोर बटोर के जो भी मिला है हमको इस लाइफ में,
उसको देंगे फीस और हमारी ज़िन्दगी कटेगी स्ट्राइफ में।”

“मम्मी” दूसरा किटन बोला, “बहुत इंग्लिश वर्ड्स यू युज।”
बिल्ली बोली, “हाहा, सुनो वकील को, साउंड्स लाइक अब्यूज।”

हालांकि, normally, curiosity kills the cat,
पर वकील के बारे सुनके सब सड़क पे लेट गए फ्लैट।

जैसे danger चला गया वह उठ के फिर से भागे,
ताकि सड़क पे कोई और वकील न मिल जाए उनको आगे।

बिल्ली का कहा हुआ हम सब के लिए है हस्ब ए हाल,
वकील से बचा के रखिए हमेशा जान और माल।

#12 – DEKHO KABHI TO PYAR SE

Here is a poem about me as a poet!

कहीं तो कोई पत्ता हवा से फड़फड़ाया होगा,
कहीं तो चलते चलते कोई तो डगमगाया होगा।

भूले पड़े हैं राह में जैसे हों रोड़े या कंकर,
किसी की खूबसूरती देख के किसी ने तो उठाया होगा।

धुंधले हैं सब सितारे रौशनी शर्मा रही है उनसे,
एक तो होगा सितारा जो फिर भी जगमगाया होगा।

मय है वह बला जिसे बदनामी ही हुई है हासिल,
कोई तो शख़्स होगा खुशी से लड़खड़ाया होगा।

दुनिया है उतनी अच्छी या बुरी जितने हैं खुद हम,
कोई तो होगा जो यह राज़ समझ पाया होगा।

लगा के गोते लोग साहिल पे ही ढूंढ लेते हैं मोती,
समुन्द्र की गहराई से कोई तो गौहर ढूंढ लाया होगा।

पिंजड़े की कैद में कई पिंजड़े से ही कर लेते हैं इश्क़,
कोई तो परिंदा होगा जो मायूस फड़फड़ाया होगा।

सुखनवर नहीं हैं हम, रवि, शोहरत चूमे जिनके कदम,
हमारा कलाम कभी किसी को तो याद आया होगा।

कहीं तो कोई पत्ता हवा से फड़फड़ाया होगा,
कहीं तो चलते चलते कोई तो डगमगाया होगा।

Even in this blog of just six poems, I have given you from serious to funny, romantic to rueful.

I hope you enjoyed these figments of my imagination, composed and sung by me.

Please await Part III.

 

 

 

Author: Sunbyanyname

I have done a long stint in the Indian Navy that lasted for nearly thirty seven years; I rose as far as my somewhat rebellious and irreverent nature allowed me to. On retirement, in Feb 2010, the first thing that occurred to me, and those around me, was that I Flew Over the Cuckoo's Nest (you will find an article with this title in this blog) and hadn't lost all my noodles and hence thought of a blog titled 'This 'n That'. I later realised that every third blog is called 'This 'n That' and changed the name to 'Sunbyanyname'. I detest treading the beaten track. This blog offers me to air 'another way' of looking at things. The idea is not just to entertain but also to bring about a change. Should you feel differently, you are free to leave your comments. You can leave comments even when you agree and want to share your own experience about the topic of the blog post. Impudent or otherwise, I have never been insousciant and I am always concerned about the betterment of community, nation and the world. I hope the visitors of this blog would be able to discern it.

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