I started this series on my Facebook group Yaad Kiya Dil Ne on 18 Aug 20. Since then, many other members have put up these songs. Here, I shall be giving you one of my own, per day.
This is the Song #29 in the series. I hope you liked Song #28 – Ek din bik jaayega.
Song #29
Savere wali gaadi se chale jayenge
Theme-word: Yeh mela do ghadi ka do dinon ki hai bahar
Remembering Shammi Kapoor on His Birth Anniversary 21 Oct
With this, I would have posted all three songs from my ongoing series as tribute to Shammi Kapoor on his Birth Anniversary: Zindagi or Jeevan Song, Beautiful Duet and now Raat or Din Song.
Kashmir Valley Again
I have given you first two songs from Kashmir Ki Kali and the third is from the 1967 Hari Walia movie Latt Saheb, also shot in Kashmir.
The movie starred Shammi Kapoor as Jangu whose mother Lalita Pawar keeps fearing for his safety; indeed, she gets a premonition that he’d die after Dussehra. He does nothing to assuage his mother’s fears; eg, he fights with and kills a man-eating tiger, and rescues his employer’s daughter Nikki (Nutan) twice whilst risking his own life. Nikki starts loving him that brings the worst in Prem (Prem Chopra) who was promised her hand by her father. Anyway, Shammi Kapoor plods on, including in this song about the transience of life. Later, the same mother wishes he’d be dead!
Shailendra, Shankar Jaikishan and Mohammad Rafi
Shailendra wrote the lyrics in such a way so that they can be taken at the light-hearted level of Shammi Kapoor and yet have very deep meaning. He used the same simile as Shakeel Badayuni had used many years earlier in the title song of Mela: Ye zindagi ke mele duniya mein kam na honge, Afsos ham na honge.
Mohammad Rafi’s singing in the characteristic style of Shammi Kapoor is really good; at all times you feel Shammi Kapoor is singing and not Rafi.
Look at the greatness of the lyrics:
सवेरे वालि गाड़ी से चले जायेंगे -४
कुछ ले के जायेंगे
हो कुछ दे के जायेंगे
सवेरे वालि गाड़ी से चले जायेंगे -२
( ये मेला दो घड़ी का दो दिनों की है बहार
समय की बहती धार कहती जाती है पुकार ) -२
पुकार हाय हाय हाय-हाय
महमान कब रुके हैं कैसे रोके जायेंगे -२
कुछ ले के जायेंगे
हो कुछ दे के जायेंगे
सवेरे वालि गाड़ी सवेरे वालि
को: सवेरे वालि गाड़ी से चले जायेंगे -२
र: ( मिलो तो मिलो प्यार से बोलो तो मीठी बात
हमारे बड़े भाग हुई तुमसे मुलाकात ) -२
मुलाकात हाय हाय हाय
मिलेगा कुछ तो दिल जो यहाँ खो के जायेंगे
कुछ ले के जायेंगे
हो कुछ दे के जायेंगे
सवेरे वालि गाड़ी हाँ सवेरे वालि होय-होय
को: सवेरे वालि गाड़ी से चले जायेंगे -२
र: ( निशानी कोई प्यार की तो छोड़ जायेंगे
कहानी कोई प्यार की तो जोड़ जायेंगे ) -२
तो जोड़ जायेंगे हाय हाय
बनेंगे किसी के किसी के हो के जायेंगे
कुछ ले के जायेंगे
हो कुछ दे के जायेंगे
सवेरे वालि गाड़ी सवेरे वालि
को: सवेरे वालि गाड़ी से चले जायेंगे -२
कुछ ले के जायेंगे
कुछ दे के जायेंगे
सवेरे वालि गाड़ी से चले जायेंगे
हो सवेरे वालि गाड़ी से चले जायेंगे
My Own Poetry
I have taken the title from a dialogue in the Rajesh Khanna movie Anand:
“Babumoshai, Zindagi Aur Maut Uparwale Ke Hath Hai Jahanpanah”
जाने कब सांस रुक जाए, गर्म खून हो जाए सर्द?
यह जो महल हमने बनाये हैं, कब हो जाएँ गर्द?
जाने कब फरमान आ जाए मौत के शेहन-शाह का?
कौन जाने कहाँ है मुकाम ज़िन्दगी की राह का?
तिनका तिनका बटोर कर बनाया है जो आशियां,
हमसफ़र ओ रहबरों का बढ़ता हुआ ये कारवां,
कठपुतलियां हैं सब, जाने किस को वह उठा ले?
आज, कल या परसों, कब, कैसे, कहाँ?
मजबूरी ओ उदासी ने बाँध दिए हैं हाथ,
दोस्तों और आशिकों का है पल दो पल का साथ;
अभी तो सुहाना दिन है, रंग है और नूर है,
जाने कब बन जाए यह सियाह अँधेरी रात?
आज हमारी बज़म से जाने कहाँ वह जाते हैं?
कल हम ज़ुबान थे, आँख अब चुराते हैं,
मेला है भाई, भीड़ में भी सब अकेले हैं,
दुनिया यूँ ही चलती है, लोग आते हैं, जाते हैं I
यही हकीकत है तो आता है ख्याल मन में,
क्यों ना खुशियों के बूटे उगाएं दिल के आँगन में?
दोस्ती हो सबसे दुश्मनी का नाम ही न हो,
सब ही खुश आमदीद हों अपने नशेमन में I
ज़िन्दगी मिल जुल के प्यारी ओ हसीन हो,
दोस्तों की यादें खूबसूरत और रंगीन हों,
ज़िन्दगी ज़िंदादिली से जियें हम ऐसे,
के मौत को भी हमारी ज़िन्दगी पर यकीन हों I
ज़ेहन में न रंजिश किसी के वास्ते हो,
“छोटी सी ये दुनिया, पहचाने रास्ते” हों,
वफायें हों, जफाओं से कोई नाता ही न हो,
दिल में गर्माहट हर किसी के वास्ते हो I
मौत के फ़रिश्ते को पुर उम्मीद मिलें हम,
वक़्त आने पे हमारे हँसते हुए निकले दम,
छोड़ जाएँ खुशियां सब अपनों के लिए,
न आंसू हों, न पशेमानी, न ख़ौफ हो, न ग़म I
ऐ खुदा, तेरा ‘रवि’ हर दम तैयार हो,
मुस्कराते ले जाना, न के जब बिमार हो,
जीते जी मेरे अपनों का हो घर संसार,
मेरे मरने पे भी उनकी ज़िन्दगी में बहार हो I
The Song
Ladies and gentlemen, please enjoy a song sung by Mohammad Rafi for Shammi Kapoor in the 1967 movie Latt Sahib; Shailendra having penned the song and Shankar Jaikishan having composed it: Savere wali gaadi se chale jayenge…
I hope you liked my choice of Raat or Din Song #29.
Please await Raat or Din Song #30- Jab raat nahin katati.