Zindagi or Jeevan Songs Series
I started this series on my Facebook group Yaad Kiya Dil Ne on 18 Oct 20. Since then, many other members have put up these songs. Here, I shall be giving you one of my own, per day.
I hope you liked my choice for Song #24 – Tora man bada paapi in Zindagi or Jeevan Songs series. Let’s start with Song #25.
Song #25
Tere naam ka deewana tere ghar ko dhundhta hai
Theme-word: Jaan-e-wafa o jaan-e-jigar, ye zindagi hai to ek safar, Is safar mein ek musafir humsafar dhundhta hai
Anand Bakshi – Laxmikant Pyarelal
They paired together in a record 302 movies. One would thing that quantity was at the expense of quality. Amazingly, they continued having quality and popularity of their songs. They came together for the 1964 movie Mr X In Bombay with that great Kishore Kumar song: Mere mehboob qayamat hogi. Their last movie together was the 1992 movie Aashiq Awara. In these 29 years, Anand Bakshi wrote 1680 songs for them. That makes it nearly 58 songs per year and nearly 5 songs per month!
Suraj Aur Chanda – 1973 Movie
This movie from where I have taken this song was directed by T Madhava Rao (Madhav Rao in the poster) and starred Sanjeev Kumar, Rita Haskar (credited as Meeta in the poster), Sujit Kumar (Sujeet Kumar in the poster) and Bindu. Sanjeev Kumar is Suraj in the movie and Rita Haskar is Chandavati and thus the name of the movie.
Mohammad Rafi
Mohammad Rafi sang some really beautiful songs for Laxmikant Pyarelal starting with their first movie together: Parasmani (Woh jab yaad aaye bahut yaad aaye) and followed by Dosti (Chahunga main tujhe saanjh savere.
I love this song. One, for its excellent lyrics, two for its beautiful composition, three for its outstanding rendition by Mohammad Rafi and four by a carefree (his style) acting by Sanjeev Kumar as if he was cut out for this role (his characteristic).
Lyrics
तेरे नाम का दीवाना तेरे
घर को ढूंढता है
इस नजर पे दिल फ़िदा है
उस नजर को ढूंढता है
आवाज़ दिल की पहचान ले
मै कौन हु तू ये जान ले
इक रात का सितारा इक शहर
को ढूंढता है
तेरे नाम का दीवाना तेरे
घर को ढूंढता है
जाने वफ़ा ो जाने जिगर
ये ज़िन्दगी तो है एक सफर
इस सफर में एक मुसाफिर
हमसफ़र ढूंढ़ता है
तेरे नाम का दीवाना तेरे
घर को ढूंढता है
फलों में जैसे ही रंग ो फूल
मुझको छुपाले आँखों में तू
मेरा दिल तड़प तड़प कर
दिल वॉर को ढूंढ़ता है
तेरे नाम का दीवाना तेरे
घर को ढूंढता है
My Own Poetry
I am giving you my first ever Love Poem that I wrote at the age of 16 years:
TU
एक मुद्दत से तमन्ना थी जिसे कहने की,
बात वो अब भी मैं कह नहीं पायूँगा सनम,
ज़िंदा हैं अश्क़ अब भी जो बहाये मैंने,
मैं उन अश्कों मैं कभी बह नहीं पायूँगा सनम I
याद आएँगी मुझे खामोश ओ मजबूर रातें,
अपने ही आप से मैं करता रहा था बातें
सोचा था अब तेरे दीदार को ना तरसूँगा कभी
जो न मुझे मिल सका उस प्यार को ना तरसूँगा कभी
सोच कर फिर वही मायूस सा हो कर सोचा
बिन तुम्हारे मैं रह भी ना पायूँगा सनम
वो बात अब भी मैं कह नहीं पायूँगा सनम I
मेरे बारे में कभी तुमने भी ये सोचा होगा
ये भी एक और दीवाना है दीवानो की तरह
मैं जो रौशन हूँ सियाह रात में शमा की तरह
मेरा परवाना है यह भी परवानो की तरह
सोच कर तूने इतना तो सोचा होता:
इतने सितम मैं सह भी ना पायूँगा सनम
वो बात अब भी मैं कह नहीं पायूँगा सनम I
खुद को मुझसे इतना भी ना तू दूर समझ
अपने परवाने को इतना भी ना मजबूर समझ
मैं अगर चाहूँ तो इतनी भी है ताक़त मुझ में:
याद को तेरी मैं इक तू ही बना सकता हूँ
इक तो तू है जो मेरी हर बात को समझे वहशत
अपनी तू को मैं हर इक बात सुना सकता हूँ
तुझको सजाना चाहूँ तो ज़ुल्फ़ भी छूने नहीं दे
अपने अरमानो से तेरा हर अंग सजा सकता हूँ
गम नहीं अब जो तू लाख भी रूठे मुझसे
अपनी तू को मैं जब चाहे मना सकता हूँ I
The Song
Ladies and gentlemen, please enjoy: Tere naam ka deewana tere ghar ko dhoondhta hai…
I hope you enjoyed my choice for Song #25 in the series.
Please await Song #26 – Ai jaate huye lamho zara.